दिल्ली में हुयी दिलदहला देने वाली बलात्कार की घटना के बाद हर तरफ से यह मांग जोर पकड़ रही है कि ब्लात्कारियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए और इसके लिए कानून में संसोधन किया जाना चाहिए ! लेकिन क्या बलात्कारियों को फांसी देने से बलात्कार के मामले नहीं होंगे इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है ! क्योंकि सजा का प्रावधान केवल इसलिए नहीं बनाया जाता है कि उससे कुछ लोगों को दण्डित किया जा सके बल्कि इस बात को ध्यान में रखकर बनाया जाता है कि उस अपराध में लिप्त लोगों का हश्र देखकर समाज में यह सन्देश जाये कि अगर उस तरह का अपराध हमने भी किया तो उसी तरह का हश्र हमारा भी हो सकता है और यही खौफ अपराध को कम करने में मदद करता है !!
और इसी बात को ध्यान में रखते हुए बलात्कारियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए कानून में संशोधन तो होना चाहिए और कड़ी सजा के प्रावधान किये जाने चाहिए ! लेकिन इसके लिए फांसी की सजा नहीं होनी चाहिए क्योंकि फांसी उनके लिए आसान मौत होगी क्योंकि फांसी चारदीवारी के अंदर दी जाती है और बहुत कम लोग ही उसके बारे में जान पाते हैं और जो भी लोग जान पाते हैं वो भी कुछ समय के बाद उस बात को भूल जातें हैं ! इसलिए फांसी की सजा समाज और अपराधी में वो खौफ पैदा नहीं कर पाएगी जिसके लिए सजा का प्रावधान किया जाता है !
बलात्कारियों के लिए सजा ऐसी होनी चाहिए जिससे अपराधी ज़िंदा भी रहे और उसको देखकर समाज में भी बलात्कार के प्रति सजा का खौफ बना रहे ! इसके लिए मेरा मानना है कि अंगभंग जैसी सजा देकर उसके ललाट पर अमिट बलात्कारी शब्द गुदवा देना चाहिए जिसके कारण जब समाज उसको हिकारत की नजर से देखेगा तो रोजाना वो अपनी सजा पायेगा और उस सजा का खौफ भी समाज में बना रहेगा जिसके कारण दूसरा कोई उस तरह का अपराध करने से पहले हजार बार सोचेगा !
2 टिप्पणियां :
सोमवार, 24 दिसम्बर 2012
बे -खौफ बलात्कारी परिंदे
http://veerubhai1947.blogspot.in/
टिप्पणियाँ स्पेम से न निकालो तो और टिप्पणियाँ( क्यों )करें .
सेतु समायोजन बहुत मौजू (प्रासंगिक )और सार लिए है ,आज की आवाज़ है .बधाई बेहतरीन बेहतरीन चर्चा मंच सजाने के लिए .
सोमवार, 24 दिसम्बर 2012
बे -खौफ बलात्कारी परिंदे
http://veerubhai1947.blogspot.in/
इतनी तीखी धार व्यंग्य चित्र की काजल की ही हो सकती है .आपके कार्टून हज़ार में मिला दिए जाएँ ,तो भी हम पहचान लेंगे .
मान्यवर ,यह एक राष्ट्रीय समस्या है इसका हल भी राष्ट्रीय स्तर पर मानक अंशांकित सज़ा निर्धारण से ,मामलों के द्रुत निपटान से ही होगा .एक सन्देश तो चले कहीं से भी .इसे सुषमा शीला के खानों में बांटके न देखा जाए .
सोमवार, 24 दिसम्बर 2012
बे -खौफ बलात्कारी परिंदे
http://veerubhai1947.blogspot.in/
वन्दना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो ,
हो जहां बलि शीश अगणित एक सिर मेरा मिला लो ....
हिन्दुस्तान के साझा ज़ज्बातों को स्वर दिया है आपकी रचना ने यह मामला भारत रेप का ,आधी आबादी की सुरक्षा का .
मान्यवर ,यह एक राष्ट्रीय समस्या है इसका हल भी राष्ट्रीय स्तर पर मानक अंशांकित सज़ा निर्धारण से ,मामलों के द्रुत निपटान से ही होगा .एक सन्देश तो चले कहीं से भी .इसे सुषमा शीला के खानों में बांटके न देखा जाए .
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विचारणीय बिंदु हो सकता है आपका यह विचार .आभार .
विचारणीय बिंदु हो सकता है आपका यह विचार .आभार .
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