कई दिनों से मौत से लड़ाई लड़ने के बाद आखिर जीने की इच्छा दिल में लिए दामिनी इस दुनिया से रुखसत हो गयी लेकिन उसकी मौत समाज और सरकारों के सामने सवाल छोड़ गयी कि आखिर देश कि कितनी बेटियों कि बलि लेकर जागेगा समाज और हमारी सरकार ! दामिनी तो बस एक नाम था ऐसी हजारों दामिनियाँ हर साल बलात्कार कि शिकार होती है लेकिन हम हैं कि कुम्भकर्णी नींद में सो रहे है और दामिनी वाले मामले को भी अगर मीडिया पुरजोर तरीके से नहीं उठाता तो शायद ही हमारी कुम्भकर्णी नींद टूटती और अब टूटी भी है तो कोई पुख्ता नहीं है कि हम कब फिर सो जाएँ !!
दामिनी के साथ हुयी घटना के बाद भी समाज और सरकारें किसी तरह का सबक लेकर आगे से ऐसी घटनाएं ना हो इसके लिए कोई कदम उठाकर ही दामिनी को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है वर्ना शब्दों द्वारा दी गयी श्रद्धांजलि का कोई फायदा नहीं होने वाला है ! एक दामिनी को तो नहीं बचा सके लेकिन कड़े कदम उठाकर यह सुनिश्चित कर सकतें हैं कि आगे से कोई दामिनी को इस तरह से इस दुनियां से ना जाना पड़े जिस तरह से दामिनी को जाना पड़ा !!
दामिनी कि आत्मा को भगवान चिरशांति प्रदान करें यही भगवान से कह सकते हैं और दामिनी कि आत्मा को तो यही कह सकतें है कि शर्मसार हैं हम इसके अलावा कहने के लिए कोई शब्द नहीं है !!
4 टिप्पणियां :
शानदार अभिव्यक्ति,
जारी रहिये,
बधाई।
आवेश है पर शब्द नहीं
भाई पूरण जी सादर नमस्कार
भाई जी कुछ दिनों से विद्यालय में पेपर चलने के कारण से कुछ व्यस्ता के कारण ब्लागों पर कम ध्यान दे पा रहा था।आप भी आजकल राष्ट्रधर्म व द लाइट आफ आयुर्वेद पर नही जा सके हो शायद वैसे मेंने मेटर्श अवश्य डाले हैं आप लोगो की साइट्स पर नही आ पाया था सो सोरी इस काम के लिए
वाकी आपकी पोस्ट अच्छी है इस भारत की वहरी सरकार की शायद कुम्भकर्णी नींद में एक छोटी सी आवाज लग पाये।
भारत अब अपराधियों का गढ़ बनता जा रहा है और सरकारें अपराधियों की शरण स्थली जिस प्रकार आन्दोलनों को व्यक्तियों की अभिव्यक्तियों को दबाने की चेष्टा हो रही है वह एक हताश सरकार की ही कारगुजारी कही जाएगी कल तक गुजरात जैसे शान्ति प्रद क्षेत्र को जो लोग कोस रहैं थे वे आज दिल्ली के इस नरक दरिया में हो रहै बलात्कार पर चुप क्यों हैं क्यों इसे छुपाने के षडयन्त्र ही कर रहै है तथा नये नये प्रकार के अमानवीय जुमले जैसे वयान गढ़ रहै हैं।
uske aatma ko chir shanti pradan karen :(
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