साल था जो पुराना वो बीत गया , नया क्या गुल खिलायेगा !
कुछ बदलेगा या वही रहेगा ,यह तो भविष्य ही बतलायेगा !!
पुराने ने बहुत सारे जख्म दियें हैं ,नया क्या उनको बदल पायेगा !
नहीं बदलेंगे तो क्या होगा ,नया भी क्या शर्मसार कर जाएगा !!
जो बीत गया वो अतीत हो गया ,वर्तमान को निखारा जाएगा !
अतीत से सबक लेकर क्या , वर्तमान को सुधारा जाएगा !!
साल बदलने से क्या होगा ,जब तक सोच को नहीं बदला जाएगा !
सोच बदलने से समाज बदलेगा ,देश अपने आप बदल जाएगा !!
रुढिवादी सोच बदलनी होगी ,तभी समाज का सुधार हो पायेगा !!
जब तक सोच नहीं बदलेगी ,यूँ ही नारी का शोषण होता जाएगा !!
पुराने ने इतना शर्मसार किया है , नये का भी उल्लास नहीं रहा है !
फिर भी कड़वी यादों को भुलाकर ,नये का स्वागत होता रहा है !!
उसी परम्परा का निर्वहन करना होगा ,कहना होगा नववर्ष अच्छा हो !
सभी कि भावनाओं का सम्मान रखता हूँ ,कहता हूँ नववर्ष मुबारक हो !!
कुछ बदलेगा या वही रहेगा ,यह तो भविष्य ही बतलायेगा !!
पुराने ने बहुत सारे जख्म दियें हैं ,नया क्या उनको बदल पायेगा !
नहीं बदलेंगे तो क्या होगा ,नया भी क्या शर्मसार कर जाएगा !!
जो बीत गया वो अतीत हो गया ,वर्तमान को निखारा जाएगा !
अतीत से सबक लेकर क्या , वर्तमान को सुधारा जाएगा !!
साल बदलने से क्या होगा ,जब तक सोच को नहीं बदला जाएगा !
सोच बदलने से समाज बदलेगा ,देश अपने आप बदल जाएगा !!
रुढिवादी सोच बदलनी होगी ,तभी समाज का सुधार हो पायेगा !!
जब तक सोच नहीं बदलेगी ,यूँ ही नारी का शोषण होता जाएगा !!
पुराने ने इतना शर्मसार किया है , नये का भी उल्लास नहीं रहा है !
फिर भी कड़वी यादों को भुलाकर ,नये का स्वागत होता रहा है !!
उसी परम्परा का निर्वहन करना होगा ,कहना होगा नववर्ष अच्छा हो !
सभी कि भावनाओं का सम्मान रखता हूँ ,कहता हूँ नववर्ष मुबारक हो !!
2 टिप्पणियां :
मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
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