शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

जहां पर हर रोज बलात्कार होतें है उन पर लेखनी मौन क्यों है !!

दिल्ली बलात्कार कांड ने एक बहस को जन्म दिया और बड़े से लेकर छोटे लेखकों तक ने अपने लेखन के माध्यम से इसमें हिस्सा लिया ! समाजशास्त्री भी इससे अछुते नहीं रह सके और उन्होंने भी किसी ना किसी रूप में इसमें भाग जरुर लिया और अपने विचारों को सामने रखा लेकिन किसी नें उस जगह का नाम लेना उचित तक नहीं समझा जहां पर हर रोज बलात्कार होतें है ! हर रोज औरत के शरीर को रोंदा जाता है क्या यह हमारे दोहरे चरित्र को नहीं दर्शाता है जो घटना मीडिया में सुर्खियाँ बटोरती है उसी पर हम बहस को केंद्रित कर देतें है उसको छोडकर हम दूसरी और सोच भी नहीं पातें हैं यह लेखनी कि संकीर्णता को दर्शाता है !

हर शहर में एक इलाका ऐसा भी है जहां पर हर रोज और हर समय बलात्कार होतें रहतें हैं ! पैसों के बल पर औरत के शरीर को रोंदा जाता है जिसको हम अलग अलग नामों से जानते हैं जिसको रेडलाइट एरिया ,वेश्यालय या फिर वेश्याघर के नाम से जानते हैं ! हर कोई जानता है कि इनमें लायी जाने वाली लड़कियों कि किस तरह से धोखे का शिकार बनाकर यहाँ तक पहुंचाया जाता है ! कभी कोई प्रेमजाल में फांसकर लड़की को यहाँ तक लाता है तो कोई कभी नौकरी के बहाने से लड़कियों को यहाँ तक पहुंचा देते हैं और कई बार जबरदस्ती उठाकर भी लड़कियों को यहाँ तक पहुंचाया जाता है ! इनके कई दलाल काम करते हैं जो किसी ना किसी तरह से लड़कियों को यहाँ तक पहुंचाते रहते हैं ! और उन लड़कियों को ग्राहकों (हवस के पुजारियों) के सामने पेश कर दिया जाता है और बाद में ये लडकियां उसको ही अपना भाग्य मानकर स्वीकार कर लेती है !!


जब सबको यह पता है कि किस तरह से वेश्यालयों में लड़कियों को लाया जाता है तो फिर यह कहना गलत है कि वो अपनी मर्जी से यह सब करती है जबकि हकीकत यह है कि वो लडकियां सब कुछ लुटाने के बाद इसी को अपना भाग्य मान लेती हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि अब बाहरी समाज उनको कभी भी स्वीकार नहीं करेगा ! ऐसे में इनके साथ होने वाले बर्ताव को बलात्कार क्यों नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि कहने को तो यह अपनी मर्जी से ये सब करती है लेकिन उस मर्जी के पीछे छुपी हुयी सच्चाई को भी जानना बहुत जरुरी है और उस पर विचार करने कि आवश्यकता है !

हालांकि कहने को वेश्यावृत्ति रोकने के लिए हमारे देश में कानून बना हुआ है लेकिन हर शहर में चल रहे वेश्यावृत्ति के अड्डे कानून कि हकीकत बयान काटने के लिए काफी है और कानून कितना काम कर रहा है और अब तो हमारा कानून भी वेश्यावृत्ति को अपराध नहीं मानता है बल्कि वेश्यावृत्ति में जबरदस्ती धकेलने को ही अपराध मानता है !



6 टिप्‍पणियां :

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

प्रभावशाली ,
जारी रहें।

शुभकामना !!!

आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा सच्चाई से परिपूर्ण आलेख,,,,

recent post : बस्तर-बाला,,,

रविकर ने कहा…

सटीक सवाल -
आभार भाई ||

virendra sharma ने कहा…


पोस्ट पर प्रकाशित विचारों से सहमत .देह मण्डी में औरत अपनी मर्ज़ी से नहीं है .वह दर्जा मौजू काल गर्ल्स का है .आपकी दूसरी बात जो आपने शालिनी जी की पोस्ट के बाबत की है .मैं यही टिपण्णी

उनकी पोस्ट पे भी कर चुका हूँ अपने ब्लॉग पे बाद में लगाया है .जब आप कुछ लिख के पोस्ट कर देते हैं वह ब्लोगर की वृहत संपत्ति बन जाता है हर किसी को हक़ हासिल है उसकी समीक्षा का आप

चाहे तो हमारे इस वक्तव्य की समीक्षा कर सकते हैं अपने ब्लॉग पे .किसी भी पोस्ट पर भी .ब्लॉग का मतलब ही विमर्श है .विमत को अवकाश देना है .

शिवनाथ कुमार ने कहा…

काफी संवेदनशील मुद्दा उठाया है आपने ,,,,
विचारणीय ,,,

virendra sharma ने कहा…

इसी प्रतिक्रिया अनुक्रिया का नाम ब्लोगिंग है भाई साहब .आभार आपकी द्रुत टिपण्णी का .एक बात और है- बिंदास बोलो !आप ऐसे ही इच हैं ,बोले तो हमारे जैसे .

ram ram bhai
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शनिवार, 19 जनवरी 2013
कहीं आप युवा कांग्रेस की राहुल सेना तो नहीं ?

http://veerubhai1947.blogspot.in/