शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

अपनी भारत माँ का प्यार लिए फिरता हूँ वाणी में !!

केसर घाटी में आतंकी शोर सुनाई देता है 
हिजबुल लश्कर के नारों का जोर सुनाई देता है 
मलयसमीरा मौसम आदमखोर दिखायी देता है 
लालकिले का भाषण भी कमजोर दिखायी देता है !!


भारत गाँधी गौतम का आलोक था 
कलिंग विजय से ऊबा हुआ अशोक था 
अब ये जलते हुए पहाड़ों का घर है बारूदी आकाश हमारे सर पर है 
इन कोहराम भरी रातों का ढ़लना बहुत जरुरी है 
घोर तिमिर में शब्द-ज्योति का जलना बहुत जरुरी है !!

मैं युगबोधी कलमकार का धरम नहीं बिकने दूंगा
चाहे मेरा सर कट जाये कलम नहीं बिकने दूंगा 
इसीलिए केवल अंगार लिए फिरता हूँ
वाणी में आंसू से भीगा अखबार लिए फिरता हूँ 
वाणी में ये जो भी आतंकों से समझौते की लाचारी है
 ये दरबारी कायरता है आपराधिक गद्दारी है
ये बाघों का शरण-पत्र है भेड़, शियारों के आगे वटवृक्षों का शीश नमन है !!


खरपतवारों के आगे हमने डाकू तस्कर आत्मसमर्पण करते देखे थे 
सत्ता के आगे बंदूकें अर्पण करते देखे थे 
लेकिन अब तो सिंहासन का आत्मसमर्पण देख लिया 
अपने अवतारों के बौने कद का दर्पण देख लिया 
जैसे कोई ताल तलैया गंगा-यमुना को डांटे एक तमंचा मार रहा है 
एटम के मुँह पर चाटें जैसे एक समन्दर गागर से चुल्लू भर जल मांगे ऐसे घुटने टेक रहा है 
सूरज जुगनू के आगे ये कैसा परिवर्तन है खुद्दारी के आचरणों में संसद का सम्मान पड़ा है !! 

चरमपंथ के चरणों में किसका खून नहीं खोलेगा 
पढ़-सुनकर अखबारों में सिंहों की पेशी करवा दी 
चूहों के दरबारों में हिजबुल देश नहीं हत्यारी टोली है 
साजिश के षड्यंत्रों की हमजोली है !!

जब तक इनका काम तमाम नहीं होता 
उग्रवाद से युद्धविराम नहीं होता 
दृढ़ संकल्पों की पतवार लिये फिरता हूँ 
वाणी में चंदरबरदायी ललकार लिये फिरता हूँ 
वाणी में इसीलिए केवल अंगार लिये फिरता हूँ 
वाणी में जो घाटी में खड़े हुयें हैं हत्यारों की टोली में खूनी छींटे छिड़क रहे हैं !!

आँगन द्वार रंगोली में जो पैरों से रौंद रहे हैं भारत की तस्वीरों को गाली देते हैं 
ग़ालिब को तुलसी, मीर, कबीरों को उनके पैरों बेड़ी जकड़ी जाना शेष अभी भी है 
उनके फन पर ऐड़ी - रगड़ी जाना शेष अभी भी है जिन लोगों ने गोद लिया है
जिन्ना की परिपाटी को दुनिया में बदनाम किया है 
पूजित पावन माटी को जिन लोगों ने कभी तिरंगे का सम्मान नहीं सीखा 
अपनी जननी जन्मभूमि का गौरवगान नहीं सीखा 
जिनके कारण अपहरणों की स्वर्णमयी आजादी है !!

रोज गौडसे की गोली के आगे कोई गाँधी है 
जिन लोगों का पाप खुदा भी माफ़ नहीं कर सकते हैं 
जिनका दामन सात समन्दर साफ़ नहीं कर सकते हैं 
जो दुश्मन के हित के पहरेदार बताएं जाते हैं 
जो सौ - सौ लाशों के जिम्मेदार बताये जाते हैं 
जो भारत के गुनाहगार हैं फांसी के अधिकारी हैं 
आज उन्हीं से शांतिवार्ता करने की तयारी है 
जिन लोगों ने संविधान पर थूका है और हिन्द का अमर तिरंगा फूंका है 
दिल्ली उनसे हाथ मिलाने वाली है 
ये भारत के स्वाभिमान को गाली है !!

इस लाचारी को धिक्कार लिये फिरता हूँ 
वाणी में तीखे शब्दों की तलवार लिये फिरता हूँ 
वाणी में इसीलिए केवल अंगार लिये फिरता हूँ 
वाणी में हर संकट का हल मत पूछो, 
आसमान के तारों से सूरज किरणें नहीं मांगता नभ के चाँद-सितारों से सत्य कलम की शक्ति पीठ है !!

राजधर्म पर बोलेगी वर्तमान के अपराधों को समयतुला पर तोलेगी 
पांचाली के चीर हरण पर जो चुप पाए जायेंगे 
इतिहासों के पन्नों में वे सब कायर कहलायेंगे 
बंदूकों की गोली का उत्तर सद्भाव नहीं होता 
हत्यारों के लिए अहिंसा का प्रस्ताव नहीं होता 
ये युद्धों का परम सत्य है सारा जगत जानता है 
लोहा और लहू जब लड़ते हैं तो लहू हारता है 

जो खूनी दंशों को सहने वाला राजवंश होगा 
या तो परम मूर्ख होगा या कोई परमहंस होगा 
आतंकों से लड़ने के संकल्प कड़े करने होंगे 
हत्यारे हाथों से अपने हाथ बड़े करने होंगे 
कोई विषधर कभी शांति के बीज नहीं बो सकता है 
एक भेडिया शाकाहारी कभी नहीं हो सकता है 

हमने बावन साल खो दिए श्वेत कपोत उड़ाने में 
खूनी पंजों के गिद्धों को गायत्री समझाने में 
एक बार बस एक बार इन अभियानों को झटका दो 
लाल चौक में देशद्रोहियों को सूली पर लटका दो 
हर समझौता चक्रव्यूह बन जाता है बार-बार अभिमन्यु मारा जाता है 

अब दिल्ली सेना के हाथ नहीं बांधे 
अर्जुन से बोलो गांडीव धनुष साधे 
घायल घाटी का उपचार लिए फिरता हूँ 
वाणी में बोस-पटेलों की दरकार लिए फिरता हूँ 
वाणी में इसीलिए केवल अंगार लिए फिरता हूँ 
वाणी में शिव-शंकर जी की धरती ने कितना दर्द सहा होगा 
जब भोले बाबा के भक्तों का भी खून बहा होगा 
दिल दहलाती हैं करतूतें रक्षा करने वालों की आँखों में आंसू लाती हैं 

हालत मरने वालों की काश्मीर के राजभवन से आज भरोसे टूट लिये 
लाशों के चूड़ी कंगन भी पुलिसबलों ने लूट लिये 
ये जो ऑटोनोमी वाला राग अलापा जाता है 
गैरों के घर भारत माँ का दामन नापा जाता है 
ये जो कागज के शेरों की तरह दहाडा जाता है 
गड़े हुए मुर्दों को बारम्बार उखाड़ा जाता है 
इस नौटंकी का परदा हट जाना बहुत लाजमी है 
जाफर जयचंदों का सर कट जाना बहुत लाजमी है 
कोई सपना ना देखे हम देश बाँट कर दे देंगे हाथ कटाए बैठे हैं 

अब शीश काटकर दे देंगे शेष बचा कश्मीर हमारे श्रीकृष्ण की गीता है 
सैंतालिस में चोरी जाने वाली पावन सीता है 
अगर राम का सीता को वापस पाना मजबूरी है 
तो पाकिस्तानी रावण का मरना बहुत जरुरी है !!

धरती-अम्बर और समन्दर से कह दो 
दुनिया के हर पञ्च सिकन्दर से कह दो 
कोई अपना खुदा नहीं हो सकता है 
काश्मीर अब जुदा नहीं हो सकता है 
अपना कश्मीरी अधिकार लिए फिरता हूँ 
वाणी में अपनी भारत माँ का प्यार लिए फिरता हूँ वाणी में 
इसीलिए केवल अंगार लिए फिरता हूँ वाणी में !!

7 टिप्‍पणियां :

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

भारत माता को नमन ...जय हिन्द

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड) पर भी होगी!
--
कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

लाजबाब प्रस्तुति,,,

recent post: वह सुनयना थी,

Gyanesh kumar varshney ने कहा…

भाई पूरण जी नमस्कार इतनी बढ़िया कविता पढ़वाने के लिए आभार वैसे तुम्हारी प्रोफाइल देखकर मैंने भी अपने आपको हरिओम जी से जोड़ लिया है।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

हरिओम जी मेरे पसंदीदा हैं इसीलिए मुझे उनकी जो भी कविता मिलती है उसको में अपने संग्रह में जोड़ता जाता हूँ !

प्यार की स्टोरी हिंदी में ने कहा…

Nice and Interesting Hindi Story and प्यार की स्टोरी हिंदी में Shared Ever.

Thank You.