हमारे देश में भ्रष्टाचार को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुयी है और हर कोई इस पर अपने विचार दे रहा है ! कोई कड़े कानूनों कि बात कर रहा है तो कोई मौजूदा कानूनों को हि प्रयाप्त मानते हुए सरकारों कि इच्छाशक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है ! हालांकि कड़े कानून और दृढ़ सरकारी इच्छाशक्ति से भी भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकता है लेकिन भ्रष्टाचार नें जिस तरह से अपने पैर जमा रखें हैं उसको देखकर लगता नहीं कि जनता कि जागरूकता के बिना इस पर पूर्ण रूप से लगाम लगाई जा सकती है !
हम बात जब जनता कि जागरूकता कि करतें है तो हमको पुरे देश के जनमानस कि मानसिकता को जानना और समझना बहुत हि जरुरी हो जाता है ! भारत कि जनता की बात की जाए तो आज भी हालात यह है कि देश की आधी से ज्यादा आबादी तो ऐसी है जिसको यह पता हि नहीं है कि सरकारी पैसा हमारा अपना पैसा है और हमसे जो कर वसूला जाता है वही पैसा सरकार तक पहुँचता है और उसी पैसे से सरकारी योजनाएं और सरकारी मशीनरी चलती है ! और वो लोग सोचते हैं कि कोई सरकारी धन कि लुट करता है तो उनको लगता है कि हमें क्या फर्क पड़ता है सरकार का धन लुट रहा है उसकी चिंता भी सरकार करे अपना तो कुछ जाता नहीं है ! इसको मैंने कई बार महसूस किया है में कई बार राज्य परिवहन कि बसों में यात्रा करता हूँ तो देखता हूँ कि कंडक्टर जब टिकट नहीं देता है तो बहुत कम लोग ऐसे होतें है जो उससे टिकट कि मांग करते हैं और वो इसलिए नहीं करते क्योंकि उनको लगता है कि हमारे तो एक दो रूपये का फायदा हो रहा है और नुकशान तो सरकार को हो रहा है ! अपना तो कोई नुकशान नहीं है ! उनको पता हि नहीं रहता कि यह सारा नुकशान उन्ही का हो रहा है !
अगर भ्रष्टाचार को जड़मूल से मिटाना है तो जनता के भीतर यह सोच पैदा करनें कि आवश्यकता है कि सरकारी पैसा अपना पैसा है और वो पैसा हमारी हि जेब से जा रहा है ! और यह बात जनता को जब तक समझ में नहीं आएगी तब तक यकीन मानिये कितने भी कानून आ जाए लेकिन भ्रष्टाचार पर पूर्ण रूप से लगाम नहीं लग पाएगी ! और भारत कि जो आधी से कम जनता यह बात जानती भी है कि सरकार का धन उनका अपना धन होता है उसका भी उदासीन रवैया हि नजर आता है ! हालांकि वे हर वक्त ये बताने से तो नहीं चुकते कि कितना भ्रष्टाचार हो रहा है लेकिन जब भ्रष्टाचार से लडनें कि बात आती है तो उनका रवैया उदासीन हि नजर आता है !
हमारे देश में भ्रष्टाचार से लडनें का जज्बा जिनमें इमानदारी से नजर आता है वो लोग बहुत हि कम संख्या में है और यही कारण है कि भ्रष्टाचार अनवरत गति से बढ़ता हि जा रहा है ! इसलिए जब तक बड़ी संख्या ऐसे लोगों कि नहीं हो जाए तब तक सम्पूर्ण रूप से इस समस्या को मिटाया नहीं जा सकता है ! कड़े कानूनों और सरकारी इच्छाशक्ति से कुछ हद तक काबू जरुर पाया जा सकता है !
17 टिप्पणियां :
हमारे देश में तो भ्रष्टाचार का द्नावल रूप देखने को मिल रहा है,हर एक आदमी को इसके प्रति जागरूक होने की जरूरत है.
जनता को तब होश आता है सीधा उसपर हंटर पड़ता है latest postऋण उतार!
देश के नागरिको को अब जागरूकता लानी होगी,,,
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sahi kah rahe hain aap ki log sochte hain ki hamara fayda sarkar ka nuksan jabki vah nuksan bhi hamara hai nahi soch pate ya nahi sochna chahte.बहुत सही कहा है आपने .आभार मृत शरीर को प्रणाम :सम्मान या दिखावा .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
बढ़िया प्रस्तुति -
मोदी जी ने बताया की टेक्नोलोजी से किस तरह काबू कर सकते हैं इसे-
आभार-
आभार !!
आभार माननीय !!
आभार मान्यवर !!
मैं मोदी जी कि पूरी बात नहीं सुन पाया लेकिन जितनी सुनी उस आधार पर कह सकता हूँ कि काफी बातें अच्छी कही थी !!
आभार माननीय !
आपकी बातें और आपकी भावना बिलकुल सही होतीं हैं, तथा प्रभावित भी करतीं हैं। आप अन्यथा न लें तो एक बात कहना चाहूँगी, आपकी पोस्ट्स में वर्तनी दोष बहुत होता है, जिस कारण ध्यान उधर चला जाता है और बातों का वजन कम हो जाता है। जैसे 'हि' यह 'ही', 'पुरे' 'पूरे', लुट 'लूट' इत्यादि होना चाहिए। आप इन बातों पर भी ध्यान दीजिये। निःसंदेह आप बहुत आगे जायेंगे।
धन्यवाद !
किसी अच्छी बात को अन्यथा लेने का तो सवाल ही नहीं उठता उल्टा में तो आपका आभारी हूँ जो आपनें इस और मेरा ध्यान आकृष्ट किया है और में भविष्य में इस गलती को सुधारनें कि कोशिश करूँगा !!
आभार !!
Aam Admi ko bhi bhagidari nibhani hgi..... Asha kuchh Badle...
सही कह रहीं है आप !!
आभार !!
सोते की भैंस तो पाडा ही देगी.:)
रामराम.
ठीक बोल्या हो !!
आभार !!
सहमत हूँ आपकी बात से लेकिन भ्रष्टाचार हमारे देश को लगा हुआ वो रोग है जिसका कोई एक लक्षण नहीं है बल्कि हजारों लक्षण है किसी एक को ठीक करने से कुछ नहीं होने वाला जब तक सामूहिङ्क रूप से इस रोग का इलाज नहीं किया जाएगा तब तक कुछ नहीं हो सकता।
आपनें सही कहा है !!
आभार !!
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