रविवार, 3 मार्च 2013

कठोरता छोड़ो और विनम्रता सीखो।

एक साधु बहुत बूढ़े हो गए थे। उनके जीवन का आखिरी क्षण आ पहुँचा। आखिरी क्षणों में उन्होंने अपने शिष्यों और चेलों को अपने पास बुलाया। जब सब शिष्य उनके पास आ गए तब उन्होंने अपना पोपला मुँह पूरा खोल दिया और शिष्यों से बोले-'देखो मेरे मुँह में कितने दाँत बच गए ?  शिष्यों ने उनके मुँह की ओर देखा।

कुछ टटोलते हुए वे लगभग एक स्वर में बोल उठे-'महाराज आपका तो एक भी दाँत शेष नहीं बचा है । शायद कई वर्षों से आपका एक भी दाँत नहीं है।' साधु बोले-देखो, मेरी जीभ तो अभी भी बची हुई है।'

सबने उत्तर दिया-हाँ, आपकी जीभ अवश्य बची हुई है। इस पर सबने कहा-पर यह हुआ कैसे ? मेरे जन्म के समय जीभ थी और आज मैं यह चोला छोड़ रहा हूँ तो भी यह जीभ बची हुई है। ये दाँत पीछे पैदा हुए, ये जीभ से पहले कैसे विदा हो गए ? इसका क्या कारण है, कभी सोचा है ?

शिष्यों ने उत्तर दिया - हमें मालूम नहीं । महाराज आप ही बतलाइए।
उस समय मृदु आवाज में संत ने समझाया- यही रहस्य बताने के लिए मैंने तुम सबको इस बेला में बुलाया है। इस जीभ में माधुर्य था, मृदुता थी और खुद भी कोमल थी, इसलिए वह आज भी मेरे पास है परंतु मेरे दाँतों में शुरू से ही कठोरता थी इसलिए वे पीछे आकर भी पहले खत्म हो गए, अपनी कठोरता के कारण ही ये दीर्घजीवी नहीं हो सके। दीर्घजीवी होना चाहते हो तो कठोरता छोड़ो और विनम्रता सीखो।

22 टिप्‍पणियां :

रविकर ने कहा…

शुभ शुभ आदरणीय -

kuldeep thakur ने कहा…

आप की ये रचना शुकरवार यानी 08-03-2013 को http://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में शामिल होना।
सूचनार्थ।

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही ज्ञानवर्धक कहानी,सादर आभार महोदय.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार महोदय !!

Shalini kaushik ने कहा…

एकदम विपरीत कहाँ तो आप राजनीति की गूढ़ बाते करते हैं कहाँ ज्ञानवर्धक कहानी .बहुत सुन्दर शिक्षा प्रद आभार छोटी मोटी मांगे न कर , अब राज्य इसे बनवाएँगे .” आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

वाह! इतनी सरलता से आपने इतनी बड़ी बात समझा दी | बधाई


कभी यहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Unknown ने कहा…

बेहद सुन्दर पूरण जी,आभार।

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक कहानी है
latest post होली

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

शालिनी जी वो राजनीति वाली सोच मेरी होती है लेकिन कहानी ,कविता इत्यादि सामग्री वो होती है जो मेरी नहीं होती है और जो मुझे अच्छी लगती है और मुझे लगता है कि वो सहेजने लायक है तो जाहिर है ब्लॉग से अच्छी जगह सहेजने के लिए हो हि नहीं सकती जहां पर यह भी फायदा होता है कि दूसरे भी उसको पढ़ सकते हैं !
आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Arthpoorn Katha....

Jyoti khare ने कहा…

सुंदर रचना
बधाई

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

nek salah aur kam ki baht

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

अच्छी बात बताती कहानी.....

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

वाह !

सदा ने कहा…

बहुत ही सार्थक एवं सकारात्‍मक प्रस्‍तुति ... आभार

वाणी गीत ने कहा…

सार्थक सन्देश !

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!