सुचना माध्यमों ( मीडिया ) को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है लेकिन वो तभी माना जा सकता है जब सुचना माध्यम स्वतंत्र और पक्षपात रहित हो ! आज हमारे देश में सुचना माध्यमों के अनेक रूप है जिनमें समाचार पत्र और समाचार चैंनल मुख्य रूप से शामिल है ! इसके अलावा पत्र पत्रिकाएं और अंतर्जाल (इंटरनेट ) पर चल रहे ऐसे सुचना माध्यम भी शामिल है जिनको या तो इन्ही समाचार चेनलों और समाचार पत्रों द्वारा ही चलाया जाता है और कुछ ऐसे भी अंतर्जाल संस्करण हैं जिनको ऐसे कुछ पत्रकार स्वतंत्र सुचना माध्यम के नाम पर चला रहे हैं जिनके पास बड़े समाचार पत्र अथवा समाचार चेन्नल चलाने के लिए पूंजी नहीं है लेकिन जनता को सही सूचनाएं मुहैया करवाने के लिए इस तरह का प्रयास कर रहे हैं ! लेकिन इनकी पहुँच केवल उन लोगों तक है जो अंतर्जाल कि दुनिया से जुड़े हुए रहते हैं !
इसलिए आज भी लोगों के पास समाचार चैंनल और समाचार पत्र ही सूचनाओं को जानने का सबसे ज्यादा सुलभ साधन है ! लेकिन आज सबसे ज्यादा प्रश्नचिन्ह भी इन्ही सुचना माध्यमों पर लग रहा है ! समाचार चैंनलों और समाचार पत्रों के हिस्सेदारों पर नजर डालें तो एक सच सामनें निकल कर आता है कि इन हिस्सेदारों में राजनेताओं के रिश्तेदार ,भू-सम्पतियों के लेनदेन से जुड़े लोग और उधोगपति ही नजर आयेंगे और इन सब लोगों के अपनें हित रहते हैं इसीलिए ये लोग इन समाचार माध्यमों में बने रहते हैं ताकि सता के मुख्य केन्द्रों तक अपनी पहुँच बनाए रख सके और अपने और अपनों के हितों कि रक्षा कर सके ! और यही सबसे बड़ा कारण होता है कि ये सुचना माध्यम वैसी बातों को उठाने से बचते हुए दीखते है जहां पर इनके हित प्रभावित होते हैं !
कालेधन का मामला उठाने से बचते हुए आप हर समाचार चैंनल को देख सकते हैं जिसका कारण यही है कि इन्ही लोगों के द्वारा ही सबसे ज्यादा कालेधन का संग्रह किया जाता है और उसको उठाने से इनके निजी हित प्रभावित होते हैं ! इन चैंनलों नें कालेधन के मुद्दे को जोरशोर से उठाने पर बाबा रामदेव से किनारा करना ही उचित समझा और किसी जमाने में इन्ही समाचार चैंनलों के कर्मचारी ( उनको पत्रकार कहना ईमानदार पत्रकारों का अपमान होगा क्योंकि ईमानदार पत्रकार अपने मालिकों कि मर्जी के आधार पर नहीं चलते ) बाबा रामदेव के आगे पीछे घूमते थे और उनकी एक एक बात को दिखाते थे लेकिन जब इन्होनें देखा कि अब तो बाबा कालेधन वाले मुद्दे के हाथ धोकर पीछे पड़ गये हैं तब इनको लगा कि अब तो बाबा को ज्यादा तव्वजो देनी बंद करनी पड़ेगी और वही किया गया ! कुछ नें तो अपनें स्तर पर ऐसी भ्रामक ख़बरें फैलाई जिनका कोई वजूद ही नहीं था !
अब ऐसे सुचना माध्यमों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कैसे माना जा सकता है ! और जब तक ऐसे सुचना माध्यम हमारे देश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में मौजूद होंगे तब तक आम जनता को सही सही सूचनाएं कैसे प्राप्त हो सकती है लेकिन परदे के पीछे से खेले जा रहे इस खेल से आम जनता वाकिफ नहीं हो पाती और जो कुछ ये प्रायोजित ( एक निश्चित सोच के साथ सूचनाएं देने को प्रायोजित ही कहा जाएगा ) करके दिखाते हैं उसी को जनता सच मान लेती है और जनता कि मज़बूरी यही है उसको पता नहीं रहता है ! जिसका फायदा ये गठजोड़ उठाता है !
3 टिप्पणियां :
चौथा खम्भा कहा जाने वाला मिडिया भी आम जनता को गुमराह करते है,बहुत ही प्रभावी प्रस्तुती.
बहुत सही लिखा आपने,सच लिखने की हिम्मत एंव होंसला बनाए रखें शुभकामनाओं सहित आभार।
आभार !!
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