सोमवार, 8 अप्रैल 2013

नए शोधों में शामिल राजनेता,अफसरों को सम्मान मिलना चाहिए !!

भारत के राजनेता आजकल अपने नए नए शोधों के साथ सामनें आ रहे हैं और ऐसी ऐसी बातें हमको बता रहें हैं जिनको शायद भारत कि जनता पहले से नहीं जानती थी ! और राजनेता जब अपनें शोधों से जनता को अवगत करवा रहे हो तो भला सरकारी अफसर कहाँ पीछे रहने वालें हैं क्योंकि राजनेताओं को चतुर और होशियार बनाने में उनका योगदान भी तो सबसे ज्यादा रहता है नयी बातों को सामनें लानें में भला वो क्यों पीछे रहें ! शायद आरबीआई गवर्नर कि यही सोच रही होगी जिसके कारण ही उन्होंने यह रहस्योदघाटन किया होगा कि महंगाई बढनें के पीछे असल वजह गरीबों का ज्यादा खाना है !

अभी कल ही एक महानुभाव हमें मधुमखियों के छाते के समान देश को समझनें कि बात समझा रहे थे ! और उनकी बात अभी तक पूरी तरह समझ में आई ही नहीं थी और वही बात दिमाग में उमड़ घुमड़ मचा रही थी ! उसको समझनें कि जद्दोजेहद कर ही रहे थे कि इतनें में एक महाशय नें तो हमें यह तक समझानें कि ठान ली कि मधुमखियाँ भी देवी का अवतार होती है ! और इसके लिए उन महाशय नें तो देवी का नाम तक बता दिया तो  भारतीय होनें के नाते किसी भी देवी का नाम आते ही हमारा मन तो श्रद्धा से भर जाता है ! और भारतीय संस्कृति में तो पृकृति से जुडी हर चीज को ही देवताओं से जोड़ा जाता है ! इसलिए उनकी बात नहीं मानने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था लेकिन फिर भी ना जाने क्यों मन में कुछ शंका सी हो रही थी !

अभी उस शंका से बाहर ही नहीं निकले थे कि एक और महानुभाव नें अपना नया शोध प्रस्तुत कर दिया और उन्होंने एक और चोंकाने वाली जानकारी दे डाली और वो जानकारी यह थी कि जनसंख्या बढनें के पीछे बिजली के जाने का हाथ है ! अब नेताजी के इस शोध पर कोई मुर्ख भी चौंक जाएगा फिर हम तो अपनें को थोडा बहुत दिमाग वाला समझ रहे थे लेकिन नेताजी के इस शोध नें हमारी समझदारी को मटियामेट करके रख दिया ! हमें तो इतनें दिन तक यह पता ही नहीं था कि भारतीय बिजली जानें इस बेसब्री के साथ इन्तजार करते हैं और बिजली जानें के बाद जनसँख्या बढाने का काम ही उनकी पहली प्राथमिकता हो जाती है !

कुछ दिन पहले के एक शोध कि तरफ फी ध्यान दिलाना चाहूँगा जिसमें कहा गया था कि नब्बे प्रतिशत भारतीय मुर्ख होते हैं ! उन महाशय के भी अजीब ही शोध होते हैं जो दिमाग कि चक्करघिन्नी बना देते हैं ! लेकिन उनका इधर में कोई नया शोध तो नहीं आया है और उसका कारण यह हो सकता है कि आजकल उनको अपराधियों कि सजा माफ़ करवानें का नया शौक जो लगा है ! जिससे उनको शोध करनें का समय नहीं मिलता होगा क्योंकि बेचारे कभी इस राज्यपाल को तो कभी उस राज्यपाल को चिठ्ठी लिखते रहते हैं लेकिन निराश होनें कि आवश्यकता नहीं है जैसे ही समय मिलेगा वो अपनें नए शोध के साथ सामनें आ ही जायेंगे !


12 टिप्‍पणियां :

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर पूरण जी,आभार।

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत बढ़िया कटाक्ष है पूरण जी ,जारी रखे !
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Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन सुन्दर ढंग से कटाक्ष भरा आलेख,आभार.

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति -
आभार आदरणीय-

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 9/4/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।

सुज्ञ ने कहा…

सटीक व्यँग्य

Unknown ने कहा…

एक दम सही बात है..
बाबा आम आदमी के कटु वचन

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार माननीय !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार आदरेया !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!