हर रोज अखबारों के पन्ने हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो सबमें बलात्कार के समाचार पढ़ने और सुनने को मिल रहे हैं ! और पिछले कुछ दिनों में ऐसे मामले कुछ ज्यादा ही सामने आ रहे हैं वो भले मीडिया के ज्यादा तवज्जो देने के कारण हो लेकिन लगता तो ऐसा ही है कि बलात्कार के मामलों में वृद्धि हो रही है ! अगर एक भी महिला ,बच्ची किसी पुरुष कि पाशविकता कि शिकार होती है तो वाकई ये चिंतनीय है और इस पर अंकुश लगाने कि आवश्यकता है ! हमें सोचना होगा कि आखिर हम कैसे समाज का निर्माण करते जा रहे हैं जहां पर एक औरत भी सुरक्षित नहीं है !
आखिर क्या कारण है कि ऐसी घटनाओं को रोक पाने में हम नाकाम साबित हो रहे हैं ! जहां तक मुझे लगता है कि ऐसी घटनाओं के कारणों को खोजने में देश का वो बुद्धिजीवी वर्ग लगातार अपने विचार प्रकट करता है जो ऐसी घटनाओं से चिंतित है ! लेकिन उस बुद्धिजीवी वर्ग के पास केवल विचार ही है जिन्हें वो प्रकट कर सकता है क्योंकि नीतियां बनाने में उसकी कोई सीधी भूमिका नहीं है ! और जिनके हाथों में नीतियां बनाने का जिम्मा है उन तक या तो बुद्धिजीवियों के विचार पहुँच ही नहीं रहे हैं या फिर उनके पास समय नहीं है जो इस तरह के मामलों पर वो गंभीरता से सोच सके !
मैंने अपने पिछले एक लेख "क्या केवल कड़े कानूनों से बलात्कार रुक जायेंगे " में भी लिखा था कि केवल कानूनों को कड़ा कर देनें भर से बलात्कार नहीं रुकेंगे ! दरअसल देश के नीति निर्धारकों को विचार करना होगा और उस हर कारण को खोजना होगा जिसके कारण से ऐसी मानसिकता पनपती है और औरतें और बच्चियां पुरुष कि पाशविकता अथवा व्यभिचार की शिकार होती है ! और उस कारण को मिटाना होगा वर्ना वो दिन दूर नहीं है कि भ्रूणहत्या के पीछे जितना कारण दहेज का है उतना बड़ा कारण ये भी हो सकता है क्योंकि आज ऐसे समाचारों को सुनकर हर उस माँ बाप का दिल घबरा जाता है जिनके घर में बच्चियां हैं और इधर में तो छोटी छोटी बच्चियों के साथ दुराचार के ऐसे मामले सामनें आयें हैं जिनको सुनकर ही दिल दहल जाता है !
किसी भी अपराध को रोकनें के लिए कड़े कानून अपनी जगह पर है और उनकी भी आवश्यकता है लेकिन अगर शासन व्यवस्था अथवा देश के नीति निर्धारक अपराध को पनपाने वाले कारणों का निदान नहीं कर पाते तो अपराध को कम कर पाना दुरूह कार्य है ! क्योंकि केवल कड़े कानूनों से अपराधी को दण्डित तो कर सकते हैं लेकिन उस अपराध को पनपाने वाली जड़ को खतम कर पाना नामुमकिन है !
1 टिप्पणी :
क़ानून चाहे जितना भी सक्त बन जाए,बलात्कार नही रोका जा सकता,,
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