मंगलवार, 17 सितंबर 2013

दंगो को प्रायोजित तौर पर भड़काया जाता है !

मुजफ्फरनगर दंगे के कारण दंगों को लेकर फिर सवाल खड़े हुए हैं और जो सबसे बड़ा सवाल है उस पर शायद कोई चर्चा नहीं करना चाहता है ! सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या परिस्थितियों के कारण दंगे भडकते हैं या फिर दंगे भडकाए जाते हैं ! जहाँ तक  पिछले १०-१५ सालों में हुए दंगों को देखा जाए तो एक बात साफ़ निकल कर आती है कि ये अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ खुरापाती लोगों द्वारा ये दंगे देश के बहुसंख्यक समाज पर थोपे गएँ हैं और उन दंगों के असली गुनहगारों को बचाने का कार्य छद्म सेक्युलर पार्टियों नें किया और उसका पूरा दोष मीडिया के उन छद्म सेक्युलरवादियों की मदद से बहुसंख्यक समाज पर थोपनें की कोशिश की जो इन्ही पार्टियों की नीतियों के समर्थक हैं !

अगर आप गौर करेंगे तो मेरी बात आपको भी समझ में आ जायेगी ! गुजरात दंगे को लेकर मीडिया में बहुत चर्चा हुयी लेकिन चर्चा हमेशा इकतरफा ही रही क्योंकि गुजरात दंगे की शुरुआत गोधरा की घटना से हुयी थी और गोधरा की घटना के बारे में सबको पता है कि वो कोई आकस्मिक घटना नहीं थी बल्कि पहले से योजना बनाकर उस घटना को अंजाम दिया गया था ! और उसके कारण ही आक्रोश फैला जिसमें व्यापक नरसंहार हुआ ! अगर गोधरा नरसंहार नहीं हुआ होता तो गुजरात में कोई भी दंगा नहीं होता इसलिए गुजरात दंगों के असली आरोपी तो वही हैं जिन्होनें गोधरा नरसंहार को अंजाम दिया था ! दो समुदायों के बीच अगर ऐसी शुरुआत कोई करता है तो फिर उसके परिणाम आगे जाकर क्या होंगे और कितनें भयानक होंगे यह किसी को पता नहीं होता है !

इसी तरह २०११ में राजस्थान के भरतपुर जिले के गोपालगढ़ में दंगा हुआ जिसका कारण ये था कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को पंचायत नें कब्रिस्तान के लिए जगह दे दी और उस जगह को लेकर विवाद चल रहा था ! उसी विवाद को जबरन सुलझाने और हर कीमत पर कब्रिस्तान बनाने को लेकर पांच हजार लोगों की भीड़ इकटठी हो गयी और जबरन वहाँ कब्रिस्तान बनाने की कोशिश की गयी जिसमें विवाद हो गया जिसको सुलझाने की कोशिश भी दो स्थानीय विधायकों नें की थी जिनमें एक विधायक अल्पसंख्यक समुदाय से ही थी और दोनों पक्षों को इसके लिए राजी भी कर लिया कि सरकारी फैसले के आनें तक का इन्तजार किया जाएगा और उस फैसले को दोनों समुदाय मानेंगे ! उसके बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों नें ईदगाह से गोलीबारी करनी शुरू कर दी और मामला दंगे में बदल गया ! 


इसी तरह असम के कोकराझार हिंसा की शुरुआत छात्रों की आपसी मारपीट से हुयी थी जब बोड़ो छात्रों नें दो अल्पसंख्यक छात्रों के साथ मारपीट की और इसके जबाब में जब दो बोड़ो बुजुर्गों की हत्या कर दी तो कोकराझार में दंगों की शुरुआत हो गयी जिसमें दोनों और से एक सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुयी थी ! उसी को बहाना बनाते हुए मुंबई में रैली करके वहाँ अशांति फैलाने की कोशिश की गयी और इसी को लेकर लखनऊ और इलाहाबाद में अलविदा की नमाज अता करके निकल रहे लोगों में से अराजक तत्वों नें दोनों शहरों में कहर बरपाया लेकिन गनीमत यह रही कि तीनों ही जगह ये बवाल दंगों में तब्दील नहीं हुआ !

इसी तरह उतरप्रदेश में पिछले डेढ़ साल से लगातार दंगों के एक के बाद एक मामले सामनें आ रहे हैं ! मथुरा के कोशीकलां में उस समय एक छोटी सी बात को लेकर दंगा भड़क गया जब एक बहुसंख्यक समाज के युवक नें मस्जिद के बाहर रखे पानी के ड्रम में हाथ धो लिया ! इसी तरह मेरठ के नंगलामल गांव में मंदिर में बज रहे भजनों को बंद करानें को लेकर दंगा हुआ ! तो बरेली में कांवरियों और अल्पसंख्यक समाज के लोगों के बीच बोल बम बोलते हुए गुजर जानें और चुपचाप गुजर जाने को लेकर हुआ ! इसी तरह अभी मुज्जफरनगर दंगे की शुरुआत उन तीन हत्याओं को माना जा रहा है जो लड़कियों की छेड़छाड़ को लेकर हुयी थी लेकिन उन हत्याओं के कारण आक्रोश जरुर था लेकिन दंगे की शुरुआत जौली गंगनहर पर पंचायत से लौट रहे लोगों को रोककर मारनें के कारण हुयी ! 

हालांकि पिछले डेढ़ साल में यूपी में ढेरों दंगों के मामले आये हैं जिनकी पूरी चर्चा करना जरुरी भी नहीं है लेकिन जो असल बात जरुरी है वो यह है कि हर दंगा आक्रामकता अथवा सुनियोजित्ता से थोपा गया है जिसमें से एक भी दंगे के दोष की अंगुली बहुसंख्यक वर्ग की तरफ नहीं उठती है ! अल्पसंख्यक समाज के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए ! क्यों कुछ मुट्ठीभर लोग दोनों समाजों के ऊपर दंगे थोप देते हैं इस पर विचार करनें की आवश्यकता है ! राजनैतिक पार्टियों की चालों को समझना होगा और देखना होगा कि ये पार्टियां तुस्टीकरण का ऐसा खेल खेल रही है जिसके कारण दोनों समुदायों के बीच नफरत पैदा हो रही है !

उतरप्रदेश सरकार अब भी इससे बाज नहीं आ रही है जिसका खुलासा केन्द्रीय ख़ुफ़िया विभाग भी अपनीं भेजी रिपोर्ट में कर रहा है और बता रहा है कि उतरप्रदेश सरकार किस तरह से एक समुदाय विशेष के विरुद्ध कार्यवाही कर रही है और दूसरे समुदाय के अपराधियों को बचाया जा रहा है ! इससे एक समुदाय में असंतोष फैलना ही है जिसके कारण ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होनें की आशंका पैदा हो रही है ! हालांकि कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों को इन छद्म सेक्युलर पार्टियों की असलियत का पता चल रहा है जिसके कारण ही आज शिया धर्मगुरु कल्ल्वे सादिक जी नें कहा है कि भाजपा से ज्यादा कांग्रेस खतरनाक है मुसलमानों के लिए और उससे नफरत करनें की जरुरत है ! असल में दोनों समुदायों के बीच शान्ति और प्रेम रहना ही सबके लिए अच्छा है !

21 टिप्‍पणियां :

रविकर ने कहा…

बाकी बातें बाद में, सबसे आगे वोट |
करते हमले ओट से, खर्च करोड़ों नोट |
खर्च करोड़ों नोट, चोट पीड़ा पहुँचाये |
पीते जाते रक्त, माँस अपनों का खायें |
अग्गी करके धूर्त, दिखाते हैं चालाकी |
जाँय अंतत: हार, दिखी "पूरण" बेबाकी ||

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सटीक !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष सादर आभार !!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


असलियत तो एक दिन सबको पता लगना ही है
latest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
latest post कानून और दंड

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (18-09-2013) प्रेम बुद्धि बल पाय, मूर्ख रविकर है माता -चर्चा मंच 1372 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष सादर आभार !!!

Madan Mohan Saxena ने कहा…

अच्छा लिखा है आपने।
बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

Pankaj Kumar ने कहा…

सटीक प्रस्तुति.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सटीक लिखा आपने.

रामराम.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार ताऊ ,
राम राम !!

virendra sharma ने कहा…

सेकुलर शब्द को संविधान की प्रस्तावना से निकाला जाए इसे कंजड़ ,भंगी ,चूढा ,चमार ,आदि शब्दों की तरह गाली समझा जाए। प्रतिबंधित किया अजय इसका उद्घोष। इस एक शब्द ने भारत का बड़ा हित किया है। इसे ज़मीन पे लिखके खूब जूते लगाए जाए। …पुतला जलाया जाए इसका।

BEWARE OF SECULARS.

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सटीक प्रस्तुतीकरण...

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

शर्मा जी , में इन जातिवादी शब्दों को गाली नहीं मानता और जो लोग इन जातियों को गाली के तौर पर देखते हैं वो सही नहीं है ! ये जातियां हमारे हिंदू समाज का अहम और अभिन्न अंग है ! जहाँ तक सेक्युलर शब्द है वो गलत नहीं है लेकिन तुच्छ राजनितिक पार्टियों नें इसको गाली बना दिया है !

Unknown ने कहा…

सटीक लेखन पूरण जी. मैं कल एक न्यूज़ चैनल द्वारा उत्तर प्रदेश के एक जिले पर किये गए स्टिंग आपरेशन को देख रहा था। अगर यह सही है। तो मै यही कहूंगा 'हे राम यह कैसी राजनीति'

राजीव कुमार झा ने कहा…

सटीक विश्लेषण .

kebhari ने कहा…

Bahut khub likha hai aapne, hamare desh mai politics bahut hi gandi ho gayi hai pta nhi kab ye neta log sudhrenge....

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

मनोज जी , वैसे इस आपरेशन से उस माडिया चेन्नल को सच कहने का बहाना मिल गया वर्ना यह सच्चाई तो हर कोई पहले भी जानता था ! केवल मुज्जफरनगर दंगा ही नहीं बल्कि हर दंगे को लेकर इस तरह के सवाल सपा सरकार पर मैनें पहले भी उठाये हैं !
आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

राजनीति गन्दी नहीं है बल्कि हम लोग गन्दी राजनीति करनें वाली पार्टियों को पहचान कर उन्हें दण्डित करने की बजाय उन्हें पुरस्कारस्वरूप वोट देते हैं !
आभार !!