गुरुवार, 19 सितंबर 2013

तुच्छ राजनितिक स्वार्थों के लिए संप्रदायों के दिलों में जहर तो मत घोलो !!

देश के एक इलेक्ट्रोनिक मीडिया चेन्नल आज तक नें जब मुज्जफरनगर दंगे को लेकर स्टिंग आपरेशन किया तो देश के सामनें एक कड़वी सच्चाई बेपर्दा होकर बाहर आई ! और वो सच्चाई थी कि कैसे एक चुनी हुयी सरकार के मंत्री नें दंगों की भूमिका तैयार की और जब दंगे शुरू हो गए तो भी जो हो रहा है होनें दो का निर्देश पुलिसवालों को देकर दंगों को होनें दिया ! हालांकि देखें तो गलती उन पुलिसवालों की भी थी लेकिन इसके बावजूद इस सच्चाई को तो हर कोई जानता है कि पुलिस राज्य सरकारों के दबाव में काम करती है और जो कोई अधिकारी राज्य सरकार के दबाव में काम नहीं करता है उसे किस तरह दण्डित किया जाता है यह भी किसी से छुपा हुआ नहीं है ! 

हालांकि मीडिया चेन्नल के इस स्टिंग में ऐसा कुछ भी नया नहीं निकलकर आया है जिसको लोग पहले से नहीं जानते हैं ! जो ख़बरों पर बारीकी से नजर रहते हैं उन्हें पता था कि एक के बाद एक हो रहे दंगों के पीछे किसका दिमाग काम कर रहा है और उतरप्रदेश सरकार में सबसे ज्यादा किसका प्रभाव है ! और उस आदमी की मानसिकता भी किसी से छुपी हुयी नहीं थी ! हाँ इतना जरुर हुआ कि मीडिया के हाथ में सीधा हमला बोलनें का हथियार जरुर मीडिया को मिल गया जिसको भी लेनें से मीडिया चूक गया ! क्यों नहीं मीडिया नें इन दंगों के निष्पक्ष जांच की मांग उठायी जबकि इतने बड़े पैमाने पर दंगे हुए हैं ! मीडिया भी उन पार्टियों के खिलाफ तगड़ा हमला बोलनें से कतराती है जिनको सेक्युलर होनें का प्रमाणपत्र या तो मीडिया खुद बांटती है अथवा ये पार्टियां ही आपस में बाँट लेती है !

मीडिया के इसी रवैये और लेटलतीफी के कारण ही उतरप्रदेश में एक के बाद एक दंगे होते रहे और मीडिया चैन की बंसी बजाता रहा और अब इतने बड़े नरसंहार के बाद थोड़ी बहुत नींद उडी है जिसे अभी भी पूरा जागना नहीं कहा जा सकता है ! जबकि सपा सरकार आनें के बाद से लगातार वहाँ दंगों की एक श्रृखंला आरम्भ हो गयी और समझदार लोग यह जानते हैं कि बिना सरकारी सरंक्षण के इस तरह की श्रृंखला आरम्भ हो नहीं सकती ! भारत में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि इस तरह से एक ही राज्य में लगातार एक निश्चित अंतराल पर इस तरह से दंगों की श्रृंखला आरम्भ हुयी हो ! हाँ किसी आक्रोशित करनें वाली घटना को लेकर एक ही समय में अलग अलग जगहों पर एक साथ दंगे हो चुके हैं जो एक बार काबू में आने के बाद शांत हो गए थे !


मुज्जफरनगर दंगा इस मामले में भी बाकी दंगो से अलग था कि पहली बार गाँवों को दंगों की आग में झोंक दिया गया जो पूर्वोतर भारत को अलग कर दें तो बाकी भारत में आज तक कभी नहीं हुआ था ! आगे जितने भी दंगे हुए हैं वो शहरों तक सिमित थे लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे नें गाँवों को अपनी चपेट में ले लिया या फिर सच कहा जाए तो शुरुआत ही गाँवों से हुयी ! अब आप अंदाजा लगा सकते हैं की पिछले डेढ़ साल में सपा सरकार नें किस तरह से उतरप्रदेश के साम्प्रदायिक सद्भाव को तहस नहस किया है ! यह रातों रात नहीं हुआ है बल्कि यह सपा सरकार की लगातार कोशिशों का नतीजा था ! और केन्द्र सरकार सपा के समर्थन से टिकी हुयी है इसलिए वो मूकदर्शक बनीं रही ! 

समझदार लोग उतरप्रदेश सरकार पर तुस्टीकरण को लेकर और मीडिया की शिथिलता को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं ! जिस पर मैनें भी अपनें पूर्वलिखित लेखों तुस्टीकरण का यह खेल कहाँ तक ले जाएगा,अखिलेश सरकार अपनीं विफलताओं को तुस्टीकरण की आड़ में छुपाना चाहती है और दंगो का दर्द क्या किसी को पार्टियों की सरकारें देखकर होता है में उठाये थे ! जब तुष्टिकरण की सारी सीमाएं सरकारें लांघने लगे तो लोगों में असंतोष पनपता ही है जिसके परिणाम दोनों समुदायों को जान माल की हानि उठाकर भुगतने पड़ते हैं ! उतरप्रदेश से आ रही ख़बरों पर विश्वास किया जाए तो अभी भी ऐसा ही लग रहा है कि उतरप्रदेश सरकार उसी असंतोष पनपाने वाली नीति पर आगे बढ़ रही है ! और इसकी पुष्टि तो मुज्जफरनगर दंगों के बाद गृहमंत्रालय को भेजी अपनीं रिपोर्ट में केन्द्रीय ख़ुफ़िया विभाग भी कर रहा है !

जब दिलों में असंतोष पनपता है तो हर छोटी से छोटी बात को भी लोग उसी नजरिये से देखना शुरू कर देते हैं और जब दिलों में आपसी प्यार पनपता है तो बड़ी से बड़ी घटना को लोग नजरअंदाज कर देते हैं ! और अभी उतरप्रदेश में यही हो रहा है सरकार का पनपाया हुआ असंतोष लोगों को छोटी छोटी बातों पर आक्रोशित कर रहा है ! अब समय की यही पुकार है कि केन्द्र सरकार अपनें तुच्छ राजनितिक हितों का ध्यान रखते हुए वहाँ की जनता के हितों और आपसी सद्भाव की रक्षा करने के लिए कुछ कदम उठाये ! वर्ना कहीं ऐसा नहीं हो बहुत देर हो जाए और हमको इससे भी भयावह कुछ देखना पड़ जाए !

11 टिप्‍पणियां :

HARSHVARDHAN ने कहा…

एक दम सच कहा आपने कुछ लोग अपने फायदे के लिए संप्रदायों को भड़काते हैं!! श्रेष्ठ लेखन आभार।।

नई कड़ियाँ : मकबूल फ़िदा हुसैन

Unknown ने कहा…

सही लिखा पूरण जी, सारी असलियत सामने आ गई। फिर भी कोई कुछ करने को तैयार नहीं ?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (20-09-2013) "हिन्दी पखवाड़ा" : चर्चा - 1374 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सही कहा आपनें !!
आभार मनोज जी !!!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष आभार आदरणीय !!

रविकर ने कहा…

तब के दंगे और थे, अब के दंगे और |
हुड़दंगी सिरमौर तब, अब नेता सिरमौर |

अब नेता सिरमौर, गौर आ-जम कर करलें |
ये दंगे के दौर, वोट से थैली भर लें |

मरते हैं मर जाँय, कुचल कर बन्दे रब के |
दंगाई महफूज, मार के निचले-तबके ||

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सटीक लिखा आपनें !!
सादर आभार !!

kunal kumar ने कहा…

aachhi Jankaari di http://www.hinditechtrick.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

sahi kaha aapne
बेहतरीन प्रस्तुति

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पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष आभार !!
कुलदीप जी !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति !