मंगलवार, 24 सितंबर 2013

हर संस्था की विश्वनीयता बनाए रखना क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं !!

अपनें राजनैतिक फायदे के लिए कांग्रेस समर्थित यूपीए सरकार नें देश की तमाम संस्थाओं की विश्वनीयता पर सवाल खड़े करनें में कोई कसर नहीं छोड़ी ! यह अलग बात है कि हर बार सरकार की खुद की विश्वनीयता संदेह के कठघरे में खड़ी होती गयी और आज हालात यह है कि वो विश्वनीयता के मामले में सबसे निचले पायदान पर है ! जब टूजी का मामला हुआ तो उसनें केग को कठघरे में खड़ा कर दिया लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट नें टूजी के मामले में फैसला सुनाया तो सरकार के सारे आरोप धराशायी हो गए ! इस दूसरे कार्यकाल में सरकार लगातार घोटालों के आरोपों में घिरती रही और सरकार हर उस संस्था पर सवाल खड़े करती !

अपनें इस कार्यकाल में सरकार नें हर संस्था की विश्वनीयता को संधिग्ध बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ! देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई का जिस तरह से दुरूपयोग किया उसके लिए तो सर्वोच्च न्यायालय तक नें सीबीआई को सरकार के पालतू तोते की संज्ञा तक दे डाली ! सीबीआई के अलावा केग,सीवीसी,पीएसी जैसी संवैधानिक संस्थाओं की विश्वनीयता को संदिग्ध बनाने की भरपूर कोशिशें सरकार की और से लगातार की गयी ! और सरकार की ये कोशिशें हरदम मीडिया की सुर्खियाँ बनती रही लेकिन इन कोशिशों से इन संस्थाओं से ज्यादा खुद सरकार की विश्वनीयता गिर रही थी ! जिसका पता सरकार चला रही पार्टी कांग्रेस को भी था लेकिन उसकी इच्छा अपनीं विश्वनीयता की चिंता करनें से ज्यादा घोटालों को दबाने की थी जिसमें भी वो सर्वोच्च न्यायालय के कड़े रुख के कारण नाकामयाब होती गयी !

सरकार नें देश की सबसे विश्वनीय संस्था सेना को भी विवादों में लानें में कोई कसर नहीं छोड़ी ! थल सेनाध्यक्ष वी.के सिंह के उम्र का विवाद हो या फिर उनकी गोपनीय चिठ्ठी को मीडिया में गुपचुप तरीके से पहुंचाना हो ! और इन सब में देश के सुरक्षा हितों तक को ताक में रख दिया गया था ! जब सेनाध्यक्ष का उम्र विवाद चल रहा था और उस मामले में सरकार की फजीहत हो रही थी तो उस गोपनीय चिट्ठी को लीक किया गया था जिसमें जिसमें सेनाध्यक्ष नें हमारी सेना की कमजोरियों का जिक्र किया था ! जिन जानकारियों को हासिल करनें के लिए दुश्मन देश जासूसी का सहारा लेते हैं वही जानकारियाँ उन्हें सहज में हमारे मीडिया के द्वारा मिल गयी ! 


और क्या यह उन्ही हमारी कमियों का जाहिर हो जाने का नतीजा है कि अब चीनी सैनिक हमारे ही क्षेत्र में आकर यहाँ तम्बू गाड़कर बैठ जाते हैं और हमारी सरकार उनको वापिस भेजनें के लिए हमारी सेनाओं को हमारे ही क्षेत्र से पीछे हटा लेती है ! अब फिर एक ऐसा ही नया विवाद हालिया दिनों में मिलिटरी इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट के तहत बनायी गयी टेक्नीकल सर्विस डिविजन की कार्यप्रणाली को लेकर उठ खड़ा हुआ है ! अगर सरकार की और से इस विवाद को भी ज्यादा हवा दी गयी तो जाहिर है कुछ ऐसी जानकारियाँ जगजाहिर हो सकती है जिनका जाहिर होना देशहित में नहीं हो ! हालांकि सरकार की किसी भी कोशिश से सेना की विश्वनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगने जैसी कोई बात नहीं क्योंकि देश की नजर में आज भी सरकार से ज्यादा सेना विश्वनीय है ! 

18 टिप्‍पणियां :

Darshan jangra ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - बुधवार - 25/09/2013 को
अमर शहीद वीरांगना प्रीतिलता वादेदार की ८१ वीं पुण्यतिथि - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः23 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Vicharniy Baat ..... Sahmat Hun...

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष सादर आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

विचारनीय आलेख
Latest post हे निराकार!
latest post कानून और दंड

संध्या शर्मा ने कहा…

सेना और देश की सुरक्षा से सबंधित जानकारियों को गोपनीय और सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है। पूर्णतः सहमत ...

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!

HAKEEM YUNUS KHAN ने कहा…

मनमानी लोगों को भाति है लेकिन उसके अंजाम कई बार भयानक भी होते हैं. पुलिस अंजाम भुगतने के बाद आती है. कोर्ट उसे और ज्यादा भुगतवाता है.
बलात्कारी पुलिस और अदालत किसी की नहीं सुनते. अपनी जान की हिफाज़त खुद कर सको तो कर लो.
महिलाओं को आजादी के नाम पे गुमराह कर के उनका शोषण करने का ही एक तरीका है |यदि यह माहिलाओं द्वारा मांगी आजादी होती तो वोह दहेज़ से छुटकारा मांगती, पिता की जायदाद में से उतना हक मांगती जितना भाई को मिलता है | शादी के बाद पिता का घर ना छोड़ने की शर्त रखती इत्यादि |

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही सटीक लिखा, जिम्मेदारी तो है पर निभाए कौन?

रामराम.

Laxman Bishnoi Lakshya ने कहा…

बहुत सुंदर रचना
जय जय जय घरवाली

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार ताऊ !!
राम राम !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर सटीक आलेख रचना !
नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!

नयी सोच ने कहा…

सार्थक लेख ....