मानव शरीर में स्थित बहतर हजार नाड़ियों का उदगम केन्द्र " नाभिचक्र" का योग और आयुर्वेद में बड़ा महत्व है ! नाभिमण्डल हमारे स्वास्थ्य का संतुलन करता है ! हमारे शरीर में नाभिचक्र का अपनें स्थान पर रहना अंत्यत आवश्यक है लेकिन कई बार भार उठाते समय अथवा चलते समय झटका लगने से हमारे शरीर का नाभिचक्र अपनें स्थान से हिल जाता है जिसे हम नाभि टलना कहते हैं ! नाभि टलने से पेट में गडगडाहट ,पेटदर्द ,दस्त लगने जैसी शुरूआती समस्याएं आ सकती है लेकिन लंबे समय तक नाभि का टले रहना कई अन्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है ! चिकित्सा की सफलता के लिए भी नाभिचक्र का अपनें स्थान पर होना बहुत जरुरी है लेकिन आधुनिक चिकित्सक नाभि परिक्षण नहीं करते हैं ! इसीलिए नाभि का परिक्षण कर लेना चाहिए और नाभि परिक्षण की कुछ विधियां हमारे यहाँ परम्परागत रूप से चली आ रही है जो में आपके सामने रख रहा हूँ !
आप खुद नाभि परिक्षण सही तरीके से नहीं कर सकते इसलिए नाभि परिक्षण करनें के लिए आपको अन्य व्यक्ति की सहायता लेनी होगी और नाभि परिक्षण खाली पेट ही करें !
( १ ) पहली विधि : जिसका नाभि परिक्षण किया जाना है उसको पीठ के बल सुलाकर हाथों को बगल में रखते हुये तथा दोनों टाँगे सीधी रखते हुये पैर के अगूंठे मिलाने को कहे ! यदि नाभि टली होगी तो पैर के अंगूठे छोटे बड़े मालुम होंगे और अगर नाभि सही जगह पर होने की स्थति में दोनों पैरों के अंगूठे समान होंगे !
( २ ) दूसरी विधि : नाभि से दायें और बाएं स्तनों की घुंडी का अंतर समान होता है ! इसलिए जिसका परिक्षण करना है उसको पीठ के बल सीधा सुला दें और एक धागा लेकर एक सिरा नाभि के बीचोंबीच रखे और दूसरे सिरे को दोनों स्तनों की घुंडी तक ले जाएँ ! अगर धागे का दूसरा सिरा स्तनों की घुंडी पर एक समान रहता है तो नाभि अपनीं सही जगह पर है और अगर उसमें फर्क रहता है तो नाभि अपनें स्थान से खिसकी हुयी है ! इस परिक्षण के लिए खाली पेट होना जरुरी नहीं है लेकिन यह विधि केवल पुरुषों के लिए ही उपयुक्त है !
( ३ ) तीसरी विधि : जिसका परिक्षण करना है उसको पीठ के बल सीधा सुला दें ! फिर अंगूठे से नाभि स्थल को दबाएँ ! यदि नाभि को दबाने से नाभि की घुंडी पर हदय की धड़कन जैसी धड़कन या स्पन्दन मालुम पड़े तो समझना चाहिए कि नाभिचक्र ठीक से काम कर रहा है और अगर धड़कन नाभि के ऊपर,नीचे अथवा दायें,बाएं मालुम पड़े तो समझना चाहिए कि नाभिचक्र सही जगह पर नहीं है ! और जिस जगह धड़कन है उसी जगह पर नाभि टली हुयी है ! जो लोग नाभि परिक्षण के अभ्यस्त होतें हैं वो लोग ज्यादातर इसी विधि का उपयोग करते हैं लेकिन जो लोग इसके अभ्यस्त नहीं होते हैं वो लोग इस विधि से धड़कन अथवा स्पंदन को सही तरीके से समझ नहीं पाते हैं !
( ४ ) चौथी विधि : जिसका परिक्षण करना है उसको दोनों हथेलियों को भली प्रकार से खोलकर अंगुलियां परस्पर मिलाने को कहे ! दोनों हथेलियों की छोटी अंगुली से लेकर मणिबंध तक का भाग सटाकर रखें ! फिर दोनों हथेलियों में मणिबंध मिलाते हुये दोनों हाथों की रेखाएं मिलाकर देखें कि क्या दोनों हथेलियों की रेखाएं आपस में ठीक से मिलती है या नहीं , क्या एक हाथ की छोटी अंगुली दूसरे हाथ की छोटी अंगुली से छोटी या बड़ी प्रतीत होती है अथवा नहीं ! यदि मणिबंध रेखाएं मिलाने पर दोनों हथेलियों की सबसे छोटी अंगुली के पोरवें बराबर नहीं मिले और दोनों अंगुलियां एक समान दिखाई ना देकर छोटी बड़ी प्रतीत हो तो नाभि टली हुयी समझना चाहिए ! महिलाओं की नाभि परिक्षण का यह सर्वोतम तरीका है !
मैंने आपको नाभि परिक्षण की कुछ विधियां यहाँ बताई है जिनकी सहायता से नाभि परिक्षण किया जा सकता है और अब अगले लेख में नाभि को ठीक करने की विधियां आपके सामने लेकर आऊंगा !
( ४ ) चौथी विधि : जिसका परिक्षण करना है उसको दोनों हथेलियों को भली प्रकार से खोलकर अंगुलियां परस्पर मिलाने को कहे ! दोनों हथेलियों की छोटी अंगुली से लेकर मणिबंध तक का भाग सटाकर रखें ! फिर दोनों हथेलियों में मणिबंध मिलाते हुये दोनों हाथों की रेखाएं मिलाकर देखें कि क्या दोनों हथेलियों की रेखाएं आपस में ठीक से मिलती है या नहीं , क्या एक हाथ की छोटी अंगुली दूसरे हाथ की छोटी अंगुली से छोटी या बड़ी प्रतीत होती है अथवा नहीं ! यदि मणिबंध रेखाएं मिलाने पर दोनों हथेलियों की सबसे छोटी अंगुली के पोरवें बराबर नहीं मिले और दोनों अंगुलियां एक समान दिखाई ना देकर छोटी बड़ी प्रतीत हो तो नाभि टली हुयी समझना चाहिए ! महिलाओं की नाभि परिक्षण का यह सर्वोतम तरीका है !
मैंने आपको नाभि परिक्षण की कुछ विधियां यहाँ बताई है जिनकी सहायता से नाभि परिक्षण किया जा सकता है और अब अगले लेख में नाभि को ठीक करने की विधियां आपके सामने लेकर आऊंगा !
17 टिप्पणियां :
बढ़िया --
शुभकामनायें आदरणीय-
सादर आभार !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक आज शनिवार (28-09-2013) को ""इस दिल में तुम्हारी यादें.." (चर्चा मंचःअंक-1382)
पर भी होगा!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर जानकारी! आपका हार्दिक आभार!
सहर्ष सादर आभार आदरणीय !!
आभार ब्रिजेश जी !!
बहुत खूब लिखा है।
सुन्दर आलेख इसे नाभि (नाभ )हटना भी ख देते हैं। पीठ के बल लेट पैरों को मिलाकर नाभि पर मूसली मूठ के तरफ से रखने पर (मूसल लोहे का ,मूसली -इमामदस्ता ,)नाभ लौट आती है यानी सही जगह पर आजाती है समायोजित हो जाती है।
सादर आभार !!
बहुत ही उपयोगी, आभार.\
रामराम.
आभार ताऊ !!
राम राम !!
सहर्ष आभार !!
केवल मूठ रखनी है या मूसली मूठ के साथ कृपया स्पस्ट करें।
आपकी बात समझ में नहीं आई !!
i am suffer by Neval Displacement from last 10 yrs. Pls help me......
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Sir, U were to inform ways of curing nabhi chakra. We are eagerly waiting
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