आजकल मीडिया में लव जिहाद की चर्चा जोरों पर है लेकिन क्या लव जिहाद मीडिया की उपज है ! अगर हम इस शब्द की उपज पर ध्यान दें तो यह शब्द मीडिया की उपज नहीं है बल्कि शोशल मीडिया में लव जिहाद की चर्चा पहले से होती रही है ! लेकिन अब ये शब्द शोशल मीडिया की सीमाओं से होता हुआ राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियाँ बन चूका है ! रास्ट्रीय निशानेबाज तारा शाहदेव के मामले नें इसको राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियाँ बना दी ! सवाल ये उठता है कि क्या यह महज कपोल कल्पना है या फिर हकीकत में इसमें कुछ सच्चाई है !
जिस तरह से एक के बाद एक मामले सामने आ रहें हैं उसके बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसा हो तो रहा है ! भले ही अभी कुछ ही मामले सामने आये हो लेकिन इस बात की और इशारा तो कर ही रहे हैं कि ऐसा कुछ घट तो रहा है जिसका निदान समय रहते हुए किया जाना बहुत जरुरी है ! वैसे भी इतिहास और वर्तमान देखा जाए तो येनकेनप्रकारेण इस्लामीकरण को बढ़ावा देनें की नीति रही है ! और इतिहास गवाह है कि जब बात इस्लामीकरण की आती है तो सही और गलत का फर्क भी मिट जाता है ! तैमूरलंग से लेकर औरंगजेब तक का शासनकाल और आज ईराक ,सीरिया में जो हो रहा है उससे इस बात को समझा जा सकता है !
कुछ लोग इसको प्यार से जोड़कर दख रहें हैं लेकिन इसको प्यार से जोड़ना ही गलत है ! प्यार कभी धोखा देना नहीं सिखाता है और निश्छल प्रेम को ही प्यार कहा जा सकता है ! वैसे इसको लव जिहाद की बजाय लव की आड़ में जिहाद कहना ज्यादा उपयुक्त होगा क्योंकि लव अंग्रेजी का शब्द है जिसका हिंदी अर्थ प्यार होता है ! प्यार में धोखा नहीं दिया जाता लेकिन यहाँ तो धोखा ही धोखा है ! जिहाद के नाम पर तो जो खूनखराबा दुनिया भर में हो रहा है वो दुनिया देख रही है इसीलिए इसको अगर प्यार की आड़ में जिहाद कहा जाए तो ज्यादा उपयुक्त शब्द होगा ! क्योंकि जिहाद के नाम पर दुनियाभर में चल रही गतिविधियां जिहाद की उस शब्दावली का खंडन करती है जो शब्दावली मुस्लिम बुद्धिजीवी सार्वजनिक मंचों पर देते हैं !
कहीं ना कहीं लव जिहाद के जो भी आरोपी हैं उन्होंने प्यार का अपमान तो किया ही है साथ ही प्यार शब्द को ही संशय के घेरे में ला दिया है ! इसलिए इनको ऐसी कड़ी सजा दी जानी चाहिए जो एक उदाहरण बन सके और आगामी भविष्य में ऐसे धोकेबाजों के मन में डर बैठाया जा सके ! बुराई इस बात में नहीं है कि हिंदू और मुस्लिम लड़के लडकियां आपस में प्यार करे अथवा शादी करे ! बुराई इस बात में है कि नाम बदलकर प्यार करे और जब शादी हो जाए तो असलियत सामनें लाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करे और उसके लिए यातनाएं देनें में भी परहेज ना करें ! ये प्यार तो नहीं हो सकता है ,ये तो केवल और केवल धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का एक जरिया ही है जिस पर लगाम लगाई जानी चाहिए !
13 टिप्पणियां :
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (05.09.2014) को "शिक्षक दिवस" (चर्चा अंक-1727)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
धर्म की आड़ में प्यार की खिली उड़ाई जा रही है। और हमारे देश की गंभीर समस्या भी बनती जा रही है।
समीक्षा उचित रही :)
स्वागत है मेरी नवीनतम कविता पर
रंगरूट
धार्मिक उन्माद चाहे किसी भी मज़हब का हो अच्छा नहीं होता।
बढ़िया आलेख।
समाज को सतर्क करता आलेख.
सहर्ष आभार !!
इसको प्यार तो कहा ही नहीं जाना चाहिए !!
आभार !!
सच कहा आपनें आदरणीय ! धार्मिक उन्माद किसी भी धर्म अथवा पंथ में हो उसका खामियाजा मानवता को ही भुगतना पड़ता है !
सादर आभार !!
आभार !!
आभार !!
सुंदर लेखन , पूरण सर धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार !!
धर्म परिवर्तन का यह सबसे विकृत रूप है जो मानवीय संवेदनाओं पर कुठाराघात करता है। कैसा लव और कैसा जिहाद। जिहाद शब्द का कुरआन में अर्थ बुराइयों के साथ जिहाद है उनका उन्मूलन है यहां तो प्रेम का ही उन्मूलन है। उत्पीड़न प्रधान कहीं प्रेम होता होगा इस्लाम में ?
एक टिप्पणी भेजें