
मुज्जफरनगर का दंगा भी इसी डर का परिणाम था कि २८ अगस्त को हुयी घटना पर कारवाई करने से पुलिस नें संतोषजनक कारवाई नहीं की ! जिससे लोगों में असंतोष फैलता गया जिसके परिणामस्वरूप ही भारतीय किसान यूनियन नें पंचायत का आयोजन किया और उस पंचायत को समर्थन देनें के बहाने उसमें कुछ राजनैतिक पार्टियां भी शामिल हो गयी ! तब तक कुछ भी करनें के बजाय अखिलेश सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और उसी पंचायत में शामिल होनें जा रहे लोगों पर हुए हमले नें ही यह आग लगाई थी ! इस पुरे घटनाक्रम में कहीं भी शोशल मीडिया की भूमिका थी नहीं !
शोशल मीडिया में जो कुछ आपतिजनक सामग्री आई वो दंगों के बाद आई थी ! वैसे शोशल साइटों पर कुछ लोग होते हैं जो सदैव ऐसी सामग्री डालते रहते हैं जिसके कारण थोड़ी बहुत आपतिजनक सामग्री तो हर समय मिल जायेगी जो दंगे नहीं भड़का सकती ! और शोशल मीडिया का विस्तार इतना है भी नहीं कि उसका इतना बड़ा प्रभाव पड़ जाए इसलिए इस दलील में कोई दम नहीं है कि शोशल मीडिया के कारण मुज्जफरनगर का दंगा हुआ है ! हाँ शोशल मीडिया पर जो लोग पहले से अंकुश लगाने की मंशा पाले बैठे हैं वो जरुर ऐसी अफवाहें उड़ा सकते हैं !