गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

गर्भ धारण अथवा गर्भ स्थापना के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे !!

जो औरतें सहज रूप से गर्भ धारण नहीं कर पाती है उनके लिए आयुर्वेद में कुछ उपचार बताए गये हैं ! जिनको अगर प्रयोग में लाया जाये तो गर्भ स्थापित हो सकता है ऐसे ही कुछ चुनिन्दा नुस्खे आपको बता रहा हूँ जो सहज और सरल है और प्रयोग में लिया जा सकता है !!

१. एक चम्मच असगंध का चूर्ण , एक चम्मच देशी घी के साथ मिलाकर मिश्री मिले हुए दूध के साथ मासिक धर्म के छठे दिन से पुरे माह पीने से बंध्यापन दूर होकर गर्भधारण होता है ! यह प्रयोग सुबह खाली पेट प्रयोग करना चाहिए और जब तक लाभ ना हो तब तक दोहराते रहना चाहिए !!

२. अपामार्ग की जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ ऋतुकाल के बाद २१ दिनों तक सेवन करने से गर्भ धारण होता है !! 

३. अशोक के फूल दही के साथ नियमित रूप से सेवन करते रहने से भी गर्भ स्थापित होता है !!

४. नीलकमल का चूर्ण और धाय (धातकी) के पुष्पों का चूर्ण समभाग मिलाकर ऋतुकाल प्रारम्भ होने के दिन से ५ दिनों तक नियमित रूप से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से गर्भधारण होता है ! प्रयोग असफल होने अगले ऋतुकाल से पुनः दोहराए !!

५. पीपल के सूखे फलों का चूर्ण आधे चम्मच की मात्रा में कच्चे दूध के साथ मासिक धर्म शुरू होने के पांचवें दिन से दो हफ्ते तक सुबह शाम प्रयोग करने से गर्भधारण होता है ! लाभ नहीं होने से अगले महीने भी इसको जारी रखें !!

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

गर्भस्राव और गर्भपात रोकने हेतु कुछ आयुर्वेदिक उपचार !!

प्राय देखा जाता है कुछ औरतें गर्भधारण तो करती है लेकिन उनको बार बार गर्भपात और गर्भस्राव जैसी समस्याओं के कारण निराशा हाथ लगती है ! इन्ही समस्याओं के लिए आयुर्वेद में कुछ सरल उपाय बताए गये हैं जिनको अगर प्रयोग में लाया जाये तो निश्चित रूप से सफलता हाथ लग सकती है और स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सकता है ! आज उन्ही चुनिन्दा नुस्खों को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जिनमें से आपको जो सहज और सुलभ हो उसका उपयोग कर सकतें है लेकिन एक बार में किसी एक ही नुस्खे का प्रयोग करें !!

  1. जिनको बार बार गर्भपात हो जाता हो वे गर्भ स्थापित होते ही नियमित रूप से कमल के बीजों का सेवन करें ,कमल की डंडी और नागकेसर को बराबर की मात्रा में पीस कर सेवन करने से प्रारंभिक महीनों में होने वाला गर्भस्राव रुकता है !!
  2. गुलर के फलों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम दूध के साथ सेवन करते रहने से तथा गुलर की जड़ की छाल का चूर्ण समभाग मिश्री के साथ नियमित सेवन करते रहने से गर्भस्राव नहीं होता है !!
  3. जिन स्त्रियों को बार बार गर्भपात होता हो उन्हें गर्भस्थापना होते ही नियमित रूप से सुबह शाम एक चम्मच अनंतमूल की जड़ के चूर्ण का सेवन करते रहना चाहिए ! इससे गर्भपात भी नहीं होगा और बच्चा भी स्वस्थ और सुन्दर होगा !!
  4. तीसरे से पांचवे महीने में गर्भपात की आशंका होने पर नागकेसर के पुष्प , वंशलोचन और मिश्री समभाग लेकर बनाया गया चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम कुछ दिन तक सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा !!
  5. लोध और पीपली को समभाग मिलाकर पीस लें ! एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोजाना सुबह शाम सेवन करते रहने से गर्भपात की सम्भावना टल जायेगी ! सातवें आठवें दिन में यह प्रयोग लाभप्रद होगा !!