बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

चंद्रशेखर आजाद जी पुण्यतिथि पर सादर समर्पित !!


चंद्रशेखर आजाद जी पर लिखी गयी मेरे पसंदीदा कवि राजबुन्देली जी की एक रचना :-

सूरज कॆ वंदन सॆ पहलॆ,धरती का वंदन करता था !
इसकी पावन मिट्टी सॆ,माथॆ पर चन्दन करता था !!
इसकी गौरव गाथाऒं का,वॊ गुण-गायन करता था !
आज़ादी की रामायण का,नित्य पारायण करता था !!
संपूर्ण क्रांन्ति का भारत मॆं, सच्चा जन-नाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!

भारत माँ का सच्चा बॆटा,आज़ादी का पूत वही था !
उग्र-क्रान्ति की सॆना का,संकट-मॊचन दूत वही था !!
आज़ादी की खातिर जन्मा, आज़ादी मॆं जिया मरा !
गॊली की बौछारॊं सॆ वह, शॆर-बब्बर ना कभी डरा !!
कपटी कालॆ अंग्रॆजॊं का खत्म, कुटिल उन्माद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!

इस सॊनॆ की चिड़िया कॊ,खुलॆ-आम जॊ लूट रहॆ थॆ !
उस कॆ कॆहरि-गर्जन सॆ ही,सबकॆ छक्कॆ छूट रहॆ थॆ !!
उस मतवालॆ की सांसॊं मॆं, आज़ादी थी, आज़ादी थी !
हर बूँद रुधिर की उस की, आज़ादी की उन्मादी थी !!
यह राष्ट्र-तिरंगा भारत का, तब तक आबाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!