दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल महंगी बिजली और पानी को लेकर अनशन कर रहें हैं और अनशन करते हुए बारह दिन हो गये लेकिन लगता है सरकार उनको खास तवज्जो नहीं देना चाहती है ! और इस बार युवा प्रदर्शनकारियों और मीडिया का भी उनको सहयोग नहीं मिल रहा है ! और यही कारण है कि सरकार के कानों पर उनके अनशन को लेकर जूं तक नहीं रेंग रही है ! लेकिन ऐसा होनें के पीछे खुद अरविन्द केजरीवाल के बर्ताव अथवा सोच ही है जिन्होंने यह कहकर आप पार्टी का गठन किया था कि अनशन को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है ! इसलिए अब अनशन करने का कोई फायदा नहीं है ! अब तो चुनाव लड़कर लोकसभा में पहुंचकर ही कुछ किया जा सकता है !
जब इसी सोच के तहत "आप" पार्टी का गठन किया गया था तो फिर अब अरविन्द केजरीवाल अनशन पर क्यों बेठे हैं ! और जब अनशन ही करना था तो अन्ना हजारे भी तो उसी रास्ते पर चल रहे थे ! फिर केजरीवाल नें अपना अलग राजनैतिक रास्ता क्यों चुना ! इसी सवाल का जवाब युवाओं को नहीं मिल रहा है और जब युवाओं को उनके इस सवाल का जवाब ही नहीं मिल रहा है तो वो फिर अरविन्द केजरीवाल के साथ भला क्यों आयेंगे ! अन्ना हजारे कि नैतिक शुचिता और मीडिया के सहयोग के कारण ही युवावर्ग जन लोकपाल आंदोलन के साथ जुड़ा हुआ था ! लेकिन जब अन्ना का रास्ता अलग हो गया और मीडिया भी साथ छोड़ गया तो केजरीवाल के पास समर्थकों का अकाल सा पड़ गया !
सोशल मीडिया से जुड़े हुए युवाओं में भी जन लोकपाल आंदोलन के समय जो जोश नजर आता था वो अब केजरीवाल के समर्थन में दूर दूर तक नजर नहीं आता है ! समर्थन तो दूर कि बात है अब तो शोशल मीडिया में केजरीवाल के विरोध अथवा चुटकियाँ लेने के स्वर ज्यादा दिखाई दे रहें हैं ! जिसका सीधा सा अर्थ है कि अनशन स्थल से लेकर शोशल मीडिया तक हर जगह से केजरीवाल के लिए अच्छे संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं ! और उनके लिए उनका असली रास्ता जो उन्होंने चुना है वो तो इससे भी कठिन साबित होने वाला है !