सोमवार, 17 जून 2013

जेडीयू नें कहीं आत्मघाती कदम तो नहीं उठा लिया है !!

आखिरकार एनडीए से जेडीयू का रिश्ता नितीश कुमार जी की हठधर्मिता की भेंट चढ ही गया ! हालांकि नितीश कुमार जी के तेवरों को देखते हुए यह पहले ही हो जाना चाहिए था लेकिन शरद यादव जी और भाजपा की गटबंधन बनाए रखने कि चाहत नें ही इसे इतने दिनों तक इसको बनाए रखा था ! लेकिन अबकी बार नितीशजी  शरद यादवजी  पर भारी पड़े और अपनी जिद को अंजाम दे ही दिया जिसकी छटपटाहट उनके दिल में पिछले दो सालों से उबाल मार रही थी ! लेकिन क्या ऐसा करके नितीश जी फायदे में रहेंगे या फिर जेडीयू एक बार सिमट जाएगा और राजद फिर से बिहार पर काबिज हो जाएगा !

जेडीयू के एनडीए गटबंधन से बाहर होने से भले ही इसे शुरूआती तौर पर भाजपा के लिए झटका माना जा रहा हो और इसका नुकशान तो भाजपा को भी होगा लेकिन इसकी एक हकीकत ये भी है कि भाजपा को जितना नुकशान होगा उससे कई गुना नुकशान जेडीयू को होगा ! आज की तारीख में नितीश सरकार पर इससे कोई खतरा नहीं हो और अपना कार्यकाल भी यह सरकार पूरा कर ले तो भी नितीश के लिए अग्निपरीक्षा आगामी लोकसभा चुनाव और ढाई साल बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में होगी ! अभी तक नितीश नें भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे तब भी जेडीयू भाजपा गटबंधन को मिलने वाले मतों और राजद लोजपा को मिलने वाले मतों में कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं था ! और अब भाजपा के अलग होनें के बाद तो निश्चित रूप से जेडीयू पर राजद भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है !

नितीश कुमार जी नें जिन मुस्लिम वोटबैंक को ध्यान में रखकर ये कदम उठाया उसका भी भरोसा नहीं है कि वो भी जेडीयू के पाले में आएगा या नहीं और भाजपा के साथ अगड़ी जातियों का जो वोटबैंक था वो भी हाथ से निकल गया ! इस तरह कहीं जेडीयू कि हालत ना माया मिली ना राम वाली हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए ! भाजपा और जेडीयू दोनों के लिए भले ही अलग होना नुकसानदेह हो लेकिन लालू जी के चेहरे पर बैठे बिठाए इस फैसले नें मुस्कान ला दी और उनकी मुस्कान व्यर्थ भी नहीं है क्योंकि इसका असली फायदा तो लालू जी को ही मिलना है ! उनके लिए सत्ता का बनवास खतम होनें के संकेत ये फैसला जो दे रहा है !