रविवार, 13 जनवरी 2013

आखिर कब तक शहीदों की चिताओं को उपलों से जलाएंगे !!


शहीद हेमराज के परिवार को आज तीन दिन हो गये अनशन करते हुए लेकिन अफ़सोस कि बात है कि सरकार ने किसी भी तरह का कोई प्रयास नहीं किया कि उनका अनशन तुडवाया जाये ! कैसे कोई लोकतांत्रिक सरकार इतनी संवेदनहीन हो सकती है ! यही सोचकर मन दुखी था और आज कुछ भी लिखने का मन नहीं था फिर फेसबुक पर देखा कि विवेक प्रकाश जी ने एक कविता पोस्ट कि जो शहीद हेमराज जी के ऊपर ही लिखी थी ! मुझे अच्छी लगी और आपको शेयर कर रहा हूँ !




आँखें डबडबा गयी दिल रोने लगा कैसा ये हाल हुआ !
सीमा पर फिर शहीद आज किसी माँ का लाल हुआ !!
कौन हैं जिम्मेदार इनकी मौत का एक जवाब दे दो !
कब तक उजडेंगी कोख माओं की कुछ तो हिसाब दे दो !!

दुधमुहाँ बच्चा पिता के प्यार से वंचित हो गया !
सर कटी लाश पर आंचल माँ का रक्त रंजित हो गया !!
सुहाग उजड़ा जिसका वो आज अवाक रह गयी !
पति मिल गया आग में बाकी उसकी राख रह गयी !!

क्रिकेट की इस खेल को कब तक हम खेलेंगे !
आखिर कब तक खंजर माँ के सीनों पर झेलेंगे !!
प्रखर करो आवाज की शाही गलियारा हिल जाए !
मिलकर करो प्रयत्न की वापस रुतवा हमारा मिल जाये !!

शनिवार, 12 जनवरी 2013

शहीदों के प्रति बैरुखी क्यों दिखाती हैं सरकारें !!

हमारी सरकारें सैनिकों और शहीदों को क्यों नहीं गंभीरता से लेती है क्या इसलिए कि शहीद और सैनिक वोटबैंक नहीं है ! सरकारें संजीदा हो या नहीं हो लेकिन सरकार के इस रवैये ने हर हिन्दुस्तानी को शर्मसार कर दिया है ! शहीद हेमराज के परिवार वाले और उसके गांव वाले आज अनशन पर बैठे हैं ! अभी दो दिन नहीं हुयें हैं शहीद हेमराज के अंतिम संस्कार को और उन्होंने अनशन का रास्ता अख्तियार कर लिया लेकिन सरकारी बैरुखी के आगे और वे कर भी क्या सकते थे और इसके लिए उन्हें सरकारों कि बैरुखी ने मजबूर कर दिया !

क्यों एक वो परिवार सरकार के विरुद्ध अनशन का रास्ता अपना रहा है जिन्होंने अभी अभी अपना जवान बेटा खोया हो ! शहीद हेमराज का परिवार अनशन को क्यों मजबूर हो गया इसको जानना बेहद जरुरी है ! शहीद हेमराज के साथ जिस तरह कि बर्बरता पाकिस्तानी सैनिकों नें दिखाई उसके कारण परिवार का गुस्सा पाकिस्तान के खिलाफ तो था ही लेकिन हमारी सरकारों ने जिस बैरुखी का परिचय दिया वो उनके घावों पर नमक छिडकने जैसा था !

दोनों शहीदों के अंतिम संस्कार में केन्द्र सरकार की तरफ से किसी नें भाग लेने कि जरुरत ही नहीं समझी जो शहीदों के प्रति सरकार की उपेक्षा को दर्शाती है और शहीद सुधाकर सिंह के अंतिम संस्कार में तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नें हिस्सा लेकर कुछ हद तक बात संभाल ली ! लेकिन शहीद हेमराज के अंतिम संस्कार में तो उतरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी हिस्सा लेना उचित नहीं समझा जो हर देशवासी को बुरा लगा ! जिसका जिक्र मैंने अपनी पिछली पोस्ट (भारतीय ख़ुफ़िया तंत्र क्यों बार बार विफल हो जाता है !!) में किया था ! और इस तरह से केन्द्र और राज्य सरकार की बैरुखी नें शहीद हेमराज के परिवार को उदिग्न कर दिया !