शहीद हेमराज के परिवार को आज तीन दिन हो गये अनशन करते हुए लेकिन अफ़सोस कि बात है कि सरकार ने किसी भी तरह का कोई प्रयास नहीं किया कि उनका अनशन तुडवाया जाये ! कैसे कोई लोकतांत्रिक सरकार इतनी संवेदनहीन हो सकती है ! यही सोचकर मन दुखी था और आज कुछ भी लिखने का मन नहीं था फिर फेसबुक पर देखा कि विवेक प्रकाश जी ने एक कविता पोस्ट कि जो शहीद हेमराज जी के ऊपर ही लिखी थी ! मुझे अच्छी लगी और आपको शेयर कर रहा हूँ !
आँखें डबडबा गयी दिल रोने लगा कैसा ये हाल हुआ !
सीमा पर फिर शहीद आज किसी माँ का लाल हुआ !!
कौन हैं जिम्मेदार इनकी मौत का एक जवाब दे दो !
कब तक उजडेंगी कोख माओं की कुछ तो हिसाब दे दो !!
दुधमुहाँ बच्चा पिता के प्यार से वंचित हो गया !
सर कटी लाश पर आंचल माँ का रक्त रंजित हो गया !!
सुहाग उजड़ा जिसका वो आज अवाक रह गयी !
पति मिल गया आग में बाकी उसकी राख रह गयी !!
क्रिकेट की इस खेल को कब तक हम खेलेंगे !
आखिर कब तक खंजर माँ के सीनों पर झेलेंगे !!
प्रखर करो आवाज की शाही गलियारा हिल जाए !
मिलकर करो प्रयत्न की वापस रुतवा हमारा मिल जाये !!