उतराखण्ड की आपदा नें पहले ही देश के लोगों को दुःख के सागर में धकेल दिया था और उसके बाद लचर आपदा प्रबंधन नें लोगों के दिलों में दुःख के साथ गुस्सा भर दिया ! और ऊपर से राजनितिक नेताओं द्वारा की जा रही राजनीति नें दुःख और गुस्से में डूबे देशवाशियों की भावनाओं को जबरदस्त आघात पहुंचाया है ! निर्ल्ल्जता की हद तो देखिये जिनके चहरे इस आपदा की कालिख से पुते हुए हैं वो अपना चेहरा छुपाने कि बजाय प्रचार पाना चाहते हैं ! लाशों के अम्बार पर बैठकर राजनीतिक रोटियां सेंकने कि कोशिश कर रहे हैं !


आपदा के छटवें दिन जब दिल्ली में भगत सिंह कोश्यारी अपने स्तर पर इकट्ठी की गयी राहत सामग्री अपने सचिव के जरिये उतराखण्ड भवन के अधिकारियों को देनें गए तो वहाँ के अधिकारियों नें कहा कि उतराखण्ड सरकार का फरमान आया है की मदद करनी है तो नकद अथवा चेक के माध्यम से ही की जाए ! उनको राहत सामग्री लेनें से मना किया है ! जबकि इसका भी मूल कारण राजनैतिक सोच ही थी क्योंकि भगत सिंह कोश्यारी भाजपा के थे और जब आठवें दिन सोनिया गांधी और उनके लाडले कांग्रेस के युवराज नें राहत सामग्री को पुरे दिखावी तामझाम के साथ रवाना किया तो क्यों नहीं उतराखण्ड के मुख्यमंत्री नें कहा की हमें राहत सामग्री की आवश्यकता नहीं है !

ऐसा नहीं है की ऐसी सोच केवल उतराखण्ड के मुख्यमंत्री की ही है बल्कि इसी सोच का प्रमाण कांग्रेस के तमाम नेताओं और केन्द्र सरकार नें भी दिया है ! नरेंद्र मोदी नें जब उतराखण्ड का दौरा किया तो कांग्रेस के प्रवक्ताओं नें उसको आपदा पर्यटन ( उनके शब्दों में डिजास्टर ट्यूरिज्म ) का नाम दिया था ! लेकिन उन्ही नेताओं के मुहं से तब ये शब्द नहीं निकला जब राजस्थान ,हरियाणा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों नें उतराखण्ड का दौरा किया और अब तो उनके पार्टी महासचिव भी उसी आपदा पर्यटन के लिए निकल लिए ! देश के गृहमंत्री नें मोदी के दौरे के तुरंत बाद सवाल उठाते हुए कहा की वीवीआईपी लोगों को उतराखण्ड नहीं जाना चाहिए परन्तु यही बात गृहमंत्री उन्ही की पार्टी के महासचिव राहुल गांधी को समझा पानें में नाकाम रहते हैं और वो उतराखण्ड का दौरा करते हैं !
मोदी के दो करोड़ रूपये की सहायता पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस नें आपदाग्रस्त इलाकों में भेजी जानें वाली राहत सामग्री को केवल इसलिए रोके रखा ताकि उनकी पार्टी के युवराज विदेश से जन्मदिन की छुट्टियाँ पूरी करके आये और राहत सामग्री को झंडी दिखाकर रवाना करे ताकि उनके युवराज की फोटो मीडिया में आ सके ! विडम्बना देखिये आफत की इस घड़ी में भी राजनैतिक प्रसिद्धि पानें की ख्वाहिस को कांग्रेस पार्टी रोक नहीं पायी ! इसी सोच का परिणाम देखिये लोग प्रधानमंत्री राहत कोष में पैसा देनें की बजाय स्वंयसेवी संस्थाओं को चंदा देना ज्यादा पसंद कर रहे है !
हालांकि ऐसा नहीं है की भाजपा इससे बची हुयी रही है उसनें भी एक दो मौकों पर ऐसी ही अपनी राजनैतिक सोच को आगे रखा ! भाजपा की और से ऐसी सोच का मोर्चा संभाला नरेंद्र मोदी नें और उन्होंने हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश करते हुए केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की पेशकश कर डाली ! लाशों के अम्बार पर बैठकर उनको ऐसा करनें की क्या आवश्यकता थी ! यह सवाल देश उनसे जरुर पूछ रहा है ! दूसरी बात मोदी द्वारा यह बात फैलाने की क्या आवश्यकता थी की वो गुजरातियों को लेकर जा रहे हैं ! ऐसा करनें के पीछे मोदी का उद्देश्य बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नाकारा साबित करना था ! और अपनी उस कुशल प्रशासकीय क्षमता का प्रदर्शन करना था जिसके लिए उनको जाना जाता है ! मोदी कितनें लोगों को निकाल कर ले गए ये भी एक प्रश्न उठ खड़ा हुआ है ! हालांकि मोदी नें ऐसा कुछ कहा नहीं है लेकिन मीडिया ये संख्या १५००० बता रही है जिस पर प्रश्न उठना लाजमी है !
भाजपा के प्रवक्ता लगातार राहुल की विदेश यात्रा को लेकर सवाल उठाते रहे हैं ! जिन सवालों का कोई महत्व नहीं था क्योंकि राहुल पहले होते तो अपनें दौरों से राहत कार्य में बाधा ही डालते ! और इसके अलावा मुझे नहीं लगत्ता की राहुल कुछ कर सकते थे ! वैसे अभी तक देश नें उनमें कोई काबिलियत की झलक देखी नहीं है ! इसलिए वो नहीं थे तो कम से कम कुछ लोगों का तो भला हुआ ! कुल मिलाकर इस आपदा से एक बात साफ़ हो गयी की राजनीतिज्ञ लाशों के अम्बार पर बैठकर भी राजनीति कर सकते हैं !
21 टिप्पणियां :
sahi kaha, rajneeti ki rotiyan har jahag seki jaa rahi hain...
सही लिखा आपने पूरण जी,यह राजनीति के पतन की निशानी है।
बेशर्मों को अगर शर्म आती तो इतने से ही आ जानी चाहिए थी कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार उन्हें राहत में तेजी लाने के निर्देश दे रहा है ! क्यों क्या इन्हें खुद की अक्ल नहीं है ?
बेहद सटीक और सामयिक संतुलित आलेख.
रामराम.
SABHI TATHY BHALI BHANTI JUTAYEN HAIN AGAR TO VAAKAI LAJJA KI BAT HAI PAR NETA SAMVEDNAHEEN HI HOTE HAIN -GUJRAT DANGON KE SAMAY SHRI NARENDR MODI JIS TARAH MUSLIM BHAI-BAHANON KE KHULEAAM KATL PAR CHUP RAHE VO YAHI SABIT KARTA HAI .
अपनैं लैख मैं हकीकत का सामना करवाया है !
बहुत बढ़िया,सटीक प्रस्तुति,,,
Recent post: एक हमसफर चाहिए.
सच कहा आपने ...
As an outsider, I do not know politics being played by different parties. But it is certain that every one is trying to milk this disaster to benefit their poll prospect. It is outrageous to claim a chief minister rescued 15000 people in a day. It is utterly condemnable that Vice President of another party flouts home ministers directive on VIP visit to Uttarakhand. About chief minister of the state, less said is better.
सुन्दर प्रस्तुति-
बधाई-
आभार !!
आभार !!
सही कहा आपने !!
सादर आभार !!
आभार ताऊ !!
राम राम !!
तथ्य एकदम सत्य है ! जहां तक दंगो की बात है तो हर किसी के चेहरे कालिख से पुते हुए हैं किसी पर गोधरा और गुजरात का दाग है तो किसी पर सिखों की हत्या का कलंक है !!
आभार !!
आभार !!
सादर आभार !!
लोगों की मौतों से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता ,सब अपनी राजनितिक रोटियां सेकने में आगे है !!
आभार !!
सादर आभार आदरणीय !!
ये सभी नेता अपनी राजनितिक रोटियां लाशों के ढेर पर सेंक रहें है.इन्हें जनता के दुःख तकलीफ से कोई लेना देना नहीं.उनके बयान,एक दुसरे की टांग खींचने खींचने के तरीकों ने इनके राजनितिक पतन की तस्वीर उजागर करदी है.ऐसा लगता है कि इन्हें तो ऐसे हादसे कि जरूरत थी, और वे इसके लिए ही प्रार्थना कर रहे थे ताकि चुनाव हेतु कुछ पैंठ बन सके.उन्होंने पांच साल में क्या किया है यह तो जनता जानती ही है, अब कुछ नया कर के लाभ मिले तो क्या बुरा है.वैसे भी राजनीती में नैतिकता नाम कि कोई चीज ही भी नहीं,संवेदना तो तो बिलकुल ही नहीं.
सही कहा है आदरणीय !!
एक टिप्पणी भेजें