उतराखण्ड आपदा के बाद राहत कार्यों पर जिस तरह से राजनितिक सोच हावी है वो यह दर्शाती है कि हमारे राजनितिक दल कितनें निचे गिर सकती है ! हर कोई राहत और बचाव कार्यों के जरिये अपनी राजनैतिक चालें चलने पर आमादा है ! जहां इस मामले में बाकी पार्टियों के हालात बाद है तो कांग्रेस के हालात तो बदतर से ज्यादा बुरे हो गएँ है ! किस तरह से राजनीति हो रही है इसका उल्लेख मैनें कल अपनी पोस्ट "संवेंदनशून्य राजनीति को झेलने को मजबूर लोग " में किया था ! लेकिन आज जो देखनें को मिला वो तो और भी भयावह है !
जहां प्रधानमंत्री और उतराखण्ड सरकार राहत के लिए लोगों से पैसे देने की अपील कर रहें है ! वहीँ उतराखण्ड सरकार विज्ञापनों पर पैसा खर्च कर रही है ! एक और विज्ञापनों से राहत और बचाव कार्यों में अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश की जा रही है ! वहीँ इन विज्ञापनों के जरिये नाकामी पर तल्ख़ हो रहे मीडिया को लालच देकर उससे नरम रुख अख्तियार करनें की आशा की जा रही है ! जहां लोग राहत के नाम पर अपनी जेब का पैसा राहत कोष में जमा करवा रहे हैं वहीँ उतराखण्ड की सरकार सरकारी धन के जरिये अपनी छवि चमकाने और अपनी अपनी नाकामी को छुपाने की कोशिश की जा रही है ! अगर किसी को मेरी बात पर शंका हो तो इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं !
ऊपर जो विज्ञापन का चित्र मैंने दिया है उसमें सोनिया जी और मनमोहन सिंह जी का फोटो दिया है ! इस विज्ञापन को भी दो बार बदला गया है जिसके कारण दो बार सरकारी धन की बर्बादी हुयी है ! पहले एक विज्ञापन दिया जिसमें कुछ शब्दों की गडबडी और सोनियां गांधी का मुस्कराता हुआ चेहरा था ! जिससे सन्देश यह जा रहा था कि आपदाग्रस्त लोगों की बर्बादी पर सोनिया जी मुस्करा रही है ! उसके बाद उस विज्ञापन को बदला गया ! जिसका चित्र भी मैनें निचे दिया है जिसमें दोनों विज्ञापन दिखाई दे रहे हैं और उनकी त्रुटियाँ भी दिखाई दे रही है !
लोग जहां दुःख की इस घड़ी में यथासंभव सहयोग दे रहें है वहीँ सरकारों द्वारा इस तरह से धन की बर्बादी की जा रही है ! और यहाँ सवाल धन की बर्बादी का तो है ही लेकिन साथ में सवाल सोच का भी है ! अभी तक आपदा में फंसे हुए लोगों को पूरी तरह से निकाला भी नहीं गया है और सेना के जवान हर तरह की जोखिम उठाकर उनको बचाने में लगे हुए हैं ! वहीँ उतराखण्ड सरकार और उनकी पार्टी को पीड़ित लोगों की चिंता से ज्यादा अपनी सरकार और पार्टी की छवि चमकाने की चिंता है ! दूसरी और आज देहरादून में राहत पहुंचाने के नाम पर कांग्रेस और टीडीपी के नेताओं में मारपीट भी हुयी है ! जिससे जाहिर होता है की पीड़ित लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने से ज्यादा श्रेय लेने की चिंता है ! अफ़सोस होता है की राजनीति इतनी निचे भी गिर सकती है !!
13 टिप्पणियां :
सही लिखा पूरण जी,आज न्यूज़ चैनल पर यही देख रहा था,वाकई नीचे गिरने की यह पराकाष्ठा है।
आपकी यह रचना कल दिनांक 28.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.com पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
भगवान ही मालिक है !!
आभार !!
सहर्ष आभार !!
वाकई सभी सीमाएं लांघ गये हैं ये.
रामराम.
सही बात है ताऊ !!
आभार , राम राम !!
राजनीती में बने रहने के लिए मूल्यों से गिरना ,उनका पतन होना बहुत जरूरी है,इसके बिना आप सफल राजनितज्ञ नहीं हो सकते.गिरी हुई राजनीती,व राजनीतिज्ञों का गिर चरित्र आज हमारी अंतर्राष्ट्रीय पहचान बन गयी है.
लगता तो ऐसा ही है !!
सादर आभार आदरणीय !!
सारे सवाल मौजू (प्रासंगिक )उठाए हैं आपने .यह तमाशबीन सरकार सदियों से मुआवजा ही बाँट रही है आपदा प्रबंधन मनमोहन लिए बैठे चैन की बंसी बजा रहें हैं .इन्हें दिशा का ही बोध नहीं हैं दिशाच्युत राजनीति दिशाच्युत लोग .ॐ शान्ति .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
सादर आभार !!
वाकई दुखद है ये...
सही कहा है आपनें !!
आभार !!
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