पिछले दिनों हमारी सरकार नें खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी तो जो लोग उसका विरोध कर रहे थे उनके विरोध को विदेशी निवेश के समर्थक यह कहकर खारिज कर रहे थे कि आज ईस्ट इण्डिया कम्पनी वाला ज़माना नहीं है ! हमारी सरकार है और अगर कहीं कुछ गलत होता है तो हमारी सरकार हमारे हितों की रक्षा करेगी ! यह कहने वालों में वो लोग शामिल थे जो बड़े बड़े बुद्धिजीवी और अर्थशास्त्र के जानकार माने जाते हैं ! अब सवाल यह उठता है कि उनकी बातों में सच्चाई है या फिर कुछ लोगों के फायदे के लिए हि इस बात को कहा जा रहा था !
जो लोग विदेशी निवेश के समर्थक हैं और सरकार पर वो लोग इतना भरोसा कर रहें है लेकिन में इस मामले पर कहना चाहता हूँ कि उनकी बात सच्चाई से कोसों दूर है ! हम शायद बहुत भुलक्कड़ हैं इसीलिए हमें याद नहीं रहता और इस तरह के तर्क देते हैं वर्ना आजाद भारत में भी ऐसे उदाहरण हमारे सामने है कि हमारी सरकार विदेशी कंपनियों से हमारे हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है ! ये लोग शायद भोपाल गैस कांड को भूल गए जिसमें एक हि रात में तक़रीबन १७००० से ज्यादा लोग मारे गए थे तथा हजारों लोग जीवन भर के लिए अपंग हो गए और उस कम्पनी यूनियन कार्बाइड के मुखिया एंडरसन को सत्ता से जुड़े लोगों ने इस देश से ना केवल यहाँ से जाने दिया बल्कि उसको देश से बाहर निकालने में मदद भी की !
इसी तरह सीएसई की निदेशक सुनीता नारायण ने जब में यह खुलासा किया कि भारत में बिकने वाले शीतल पेयों में बहुत ज्यादा मात्रा में पेस्टीसाइड्स है जो हानिकारक है तो सबसे पहले हमारी सरकार नें शीतल पेयों की जांच करने कि बजाय सुनीता नारायण की जांच पर हि यह कहकर सवाल खड़े कर दिए कि उनके द्वारा की गयी जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके पास इस तरह की जांच करने वाली मशीनें हि नहीं है ! लेकिन जब सुनीता नारायण ने दुबारा अमेरिका से जांच करके अपनी बात को साबित किया और उसके बाद ज्यादा हल्ला होने पर संसदीय समिति गठित की गयी और उस समिति नें भी सुनीता नारायण द्वारा की गयी जांच को सही साबित किया !
भारत में शीतल पेय बनाने और बेचने वाली कंपनियां विदेशी हि है और आज इतने साल गुजर गए हमारी सरकार नें इन कंपनियों के विरुद्ध कड़ाई करना तो दूर अभी तक भी शीतल पेयों के लिए मापदंड तक नहीं बना पाई है जबकि अमेरिका में इन्ही कंपनियों में से एक कम्पनी कोका कोला के शीतल पेयों में यह पाया गया था कि ये कम्पनी जो फार्मूला इस्तेमाल करती है उसमें केंसर फैलाने वाले तत्व है तो अमेरिकी सरकार नें तुरंत कम्पनी को फार्मुला बदलने के लिए बाध्य कर दिया और अमेरिकी जनता के हितों को सर्वोपरी समझा जबकि भारत सरकार नें कम्पनी के हितों को सर्वोपरी समझते हुए मूकदर्शक बने रहना ज्यादा उचित समझा !
मैंने आपके सामने विदेशी कंपनियों से जुड़े दो ऐसे मामलों का जिक्र किया है जिनसे बड़ी संख्या में भारतीय प्रभावित हुए है और हो रहें हैं इसलिए विदेशी निवेश के समर्थकों की इस बात पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता कि हमारी सरकार विदेशी कंपनियों से हमारे हितों की रक्षा कर पाएगी !
13 टिप्पणियां :
सार्थक और जरुरी पोस्ट आँखें खोलने में सक्षम अच्छी जानकारी आभार
सुस्वागतम !!
सार्थक लेख
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New post बिल पास हो गया
लगता तो नहीं कि जनता के हितों के बारे मे यह सोच भी रहे है !
ब्लॉग बुलेटिन: ताकि आपकी गैस न निकले - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ज्ञानपूर्ण जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आपने अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है, धन्यवाद
ek gambheer samsya ko saral dhang se prastut kiya hai aapne...
मैंने एक कोशिश की है आइना दिखाने की !
जानकारी और एक संदेश देता हुआ आलेख हम आम जनता को ही आँखें खुली रखनी हैं विकास के नाम पर जो देश के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है उसका समर्थन नही करना है ,बहुत बहुत बधाई इस सार्थक आलेख हेतु
उम्मीद तो नहीं की ये सही निर्णय कर भी पायेंगें ...... सार्थक विचार
आभार !!
पूरण जी सादर अभिवादन ,आपकी चिंता वाजिब और समयानुकूल है सरकार कभी भी विदेशी निवेशको के साथ शाख्ती से पेश नहीं आई है वोडाफ़ोन के टैक्स चोरी का मामला अभी चल ही रहा है चार सालो से सरकार टैक्स नहीं वसूल पाई है संप्रुभ सरकार के लिए एह एक चुनौती है ,एह तो एक उदहारण हजारो विदेशी कंपनियों के हमारी रक्षा सरकार कैसे करेगी ,जब तक जन आन्दोलन नहीं होगा और स्वदेशीकरण की अलख नहीं जगेगी सरकार हमें एसे ही मूर्ख बनती रहेगी
आपका कहना सही है !!
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