बुधवार, 22 मई 2013

सत्ता परिवर्तन से क्या पाकिस्तान की नियत बदल जायेगी !!

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन होनें पर क्या पाकिस्तान और भारत के रिश्तों में कोई सुधार आएगा और क्या पाकिस्तान बदल जाएगा ! भारत के हुक्मरानों की पाकिस्तान के प्रति गर्मजोशी देखकर तो ऐसा हि लगता है कि पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन होते ही भारत पाकिस्तान के रिश्तों में बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा ! भारतीय प्रधानमंत्री नें पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री के सत्ता सँभालने से पूर्व ही भारत आने का न्यौता तक दे डाला और भारतीय प्रधानमंत्री के न्यौते को तो औपचारिकता के तौर पर माना जा सकता है ! लेकिन अब तो बिहार के मुख्यमंत्री भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बिहार आने का न्यौता दे रहें हैं ! अब भला उनसे कोई पूछे कि बिहार क्या भारत से अलग है और अगर बिहार भारत में ही है तो फिर उनको अलग न्यौता देनें की क्या जरुरत पड़ी ! लेकिन वोटबैंक की राजनीति जो ना करवाए वही कम है ! 

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन तो होता हि आया है ! और पाकिस्तान बनने के बाद से अब तक के भारत पाकिस्तान के रिश्तों पर नजर डालें तो यही पता चलता है कि पाकिस्तान में सता परिवर्तन का दोनों देशों के आपसी रिश्तों में किसी तरह का परिवर्तन होता नहीं है ! फिर हम इस बार इतने आशान्वित क्यों है ! और ऐसा भी नहीं है कि इस बार पाकिस्तान की सत्ता पर कोई ऐसा राजनेता बैठ रहा है जिससे भारत को किसी तरह की आशा दिखाई देती है ! पाकिस्तान की सत्ता पर इस बार भी वही नवाज शरीफ बैठ रहे हैं जिनके शासनकाल में पहले भी पाकिस्तान भारत को कारगिल युद्ध का घाव दे चूका है और हमनें अपने चार सौ से ज्यादा बहादुर सैनिकों की शहादत का बोझ पाकिस्तान के नापाक मनसूबे के चलते उठाया था ! फिर हम क्यों इतने आशान्वित हैं !

दरअसल हमारी सरकारों का पाकिस्तान को लेकर हमेशा हि ढुलमुल रवैया रहता है और हम रिश्ते सुधारने की ऐसी इकतरफा चाहत दिखाने लग जाते हैं जिसका परिणाम यह है कि पाकिस्तान यह समझ बैठा है कि कुछ भी होगा तो कुछ दिन भारत दिखावे का विरोध करेगा और फिर भूल जाएगा और वही हो रहा है ! अभी कुछ दिन हि नहीं गुजरे हैं जब पाकिस्तान नें हमारे दो सैनिकों के सर काट दिए थे और उसके बाद देश की जनता के गुस्से को देखते हुए हमारी सरकार नें कहा था कि अब पाकिस्तान के साथ रिश्ते सामान्य नहीं रह सकते लेकिन वो बात जबानी जमाखर्च के सिवाय नजर नहीं आई और उसके बाद सरबजीत वाला मामला हो गया लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान के नए प्रधानमन्त्री को भारत आने का न्यौता दिया जा रहा है उससे तो सन्देश यही जा रहा है कि हम वाकई गंभीर नहीं है !



आखिर हर बार ऐसा क्यों होता है कि हम पाकिस्तान को कड़ा सन्देश देनें में नाकाम रहते हैं ! कड़ा सन्देश देने का मतलब केवल युद्ध नहीं होता है बल्कि अन्य और कई तरीके है जिससे कड़ा सन्देश दिया जा सकता है और जब तक पाकिस्तान की तरफ से सकारात्मक पहल नहीं होती तब तक हमें अपना रवैया नरम करने की क्या आवश्यकता है ! हम अपने रवैये पर कायम रहनें में हर बार नाकाम रहते है और कुछ समय गुजरने के बाद हम उतावले हो जाते हैं !

15 टिप्‍पणियां :

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

दोनों तरफ़ के हुक्मरान एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं.

रामराम.

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

Puran bhayee, badi bebaki ke sath likha hai , lekhan ki dhar yu hi banaye rakhiye badhayee

दीपक बाबा ने कहा…

अतीत से सीख कर आगे बढ़ना चाहिए.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

राम राम ताऊ !!
आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!

Parul kanani ने कहा…

bahut sahi keha puran ji...aapsey bilkul sehmat hoon...ye vishay gambhir hai..par shayd hum utne gambhir nahi hai!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

अतीत से कुछ भी सीखना तो शायद हम कभी के भूल चुके हैं !!
आभार !!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

पकिस्तान या भारत में किसी की भी सरकार बने स्थितियां जो आज है,वही बनी रहेगी ,,,
Recent post: जनता सबक सिखायेगी...

Shalini kaushik ने कहा…

pakistan badalne ke liye bana hi nahi

Unknown ने कहा…

सत्ता बदलने से कुछ नहीं बदलने वाला पूरण जी।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

लगता तो ऐसा हि है !!
आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

यह बात सही है लेकिन हमारे हुक्मरान तो आतुर दिखाई दे रहे हैं !!
आभार !!

अरुणा ने कहा…

सत्ता परिवर्तन से क्या होगा .........
वहां की हवा भी विश्वास के काबिल नहीं

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!