देश की कोई भी राज्य सरकार हो अथवा केन्द्र की सरकार हो सब की सब महिलाओं को सुरक्षा देनें में नाकाम साबित हो रही है ! ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा रामभरोसे वाली स्थति में ही चल रही है ! आखिर इतनें संसाधनों के बावजूद सरकारें नाकाम हो रही है तो इसमें सारा दोष सरकारों की कमजोर इच्छाशक्ति का ही माना जा रहा है ! दुर्भाग्यपूर्ण स्थति तो देखिये बेटी बचाओ आंदोलन का जोर शोर से प्रचार करनें वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के हालात खराब नहीं बल्कि दयनीय स्थति बयान करते हैं !
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री खुद विधानसभा में यह बताते हैं कि गुजरे साढे चार माह में राज्य से ८०७९ युवतियां गायब हुयी है ! जिसका सीधा अर्थ यह हुआ कि राज्य से रोजाना ६० के लगभग युवतियां गायब हुयी है ! इसके अलावा इसी समयावधि में ५९६ युवतियों का अपहरण और २४० युवतियों की हत्या हुयी है ! १७० युवतियों और ८३ नाबलिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं और ३२ युवतियों को जिन्दा जलानें की वारदातें हुयी है ! अब साढे चार माह के ये आंकड़े देनें में मंत्री महोदय को भले ही शर्म का अनुभव नहीं हुआ हो लेकिन आम आदमी के लिए ये आंकड़े जरुर शर्मनाक है !
हम सब जानते हैं कि हकीकत सरकारी आंकड़ों से ज्यादा भयावह होती है लेकिन अगर सरकारी आंकड़ों की बात ही करें तो जो आंकड़े मंत्री महोदय दे रहें है वो ही मध्यप्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की स्थति पर ना केवल प्रश्नचिन्ह लगा रहें बल्कि एक संजीदा सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए ! लेकिन अफ़सोस भारतीय राजनेताओं को तो देखकर शर्म को भी अपना सिर शर्म से झुकाना पड़ता है और शर्मिंदगी से तो इनका कोई वास्ता ही नहीं है ! अगर मुख्यमंत्री में थोड़ी शर्म हो तो स्थतियाँ सुधारने की और ध्यान देना चाहिए !!
आखिर मध्यप्रदेश में स्थतियाँ इतनी बदतर है तो मीडिया की भूमिका भी यहाँ संदेहास्पद ही है क्योंकि एक फ़िल्मी हीरो अथवा हीरोइन से जुडी हुयी छोटी छोटी बातों के लिए मीडिया के पास ढेर सारा वक्त है लेकिन मध्यप्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करनें के लिए उसके पास वक्त नहीं है ! मीडिया के लिए भी ये डूब मरनें वाली हालत ही है ! और जब तक मीडिया नहीं दिखाता तब तक सरकारें हरकत में आती नहीं है ! जिस राज्य का मुख्यमंत्री अपने शासन में महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम हो जाए तो उसके बाकी कामों में सफलता का कोई भी अर्थ नहीं हो सकता है और खासकर मेरी नजर में तो ऐसे मुख्यमंत्री कतई प्रशंसा के पात्र नहीं होने चाहिए !
17 टिप्पणियां :
हालत वाकई चिंताजनक है, बहुत ही सटीक और सामयिक आलेख.
रामराम.
behad gambhir aur chintniy stithiti hai
बेहद शानदार आलेख पूरण जी।
विचारणीय आलेख |
आभार ताऊ !!
राम राम !!
सही कह रहें हैं आप !!
सादर आभार !!
सहर्ष आभार !!
आभार मनोज जी !!
आभार !!
सार्थक लेख, बहुत बढिया
कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/like.html#comment-form
सुरक्षा के लिए सरकार की जिम्मेदारी तो बनती ही है,लेकिन उससे
ज्यादा अपनी सुरक्षा की खुद की होती है ,,,
सार्थक लेख,बहुत लाजवाब लिखा है आपने, आभार
आभार !!
संघटित अपराधों और अपराधियों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी पूर्णतया सरकारों की है और इसके लिए जरुरी संसाधनों के लिए सरकारों को जनता कर देती है ! जनता कर सरकारों की मौज मस्ती के लिए नहीं देती है !!
सादर आभार आदरणीय !!
bahut hi vicharniya aalekh hai ji
चिंताजनक है, बहुत ही सटीक और सामयिक आलेख....पूरण जी।
आभार !!
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