कल राज्यसभा में माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी को गुस्सा आया तो देश को पता तो चला कि उनको गुस्सा भी आता है वर्ना देश को तो अब तक पता ही नहीं था कि उनको गुस्सा भी आता है ! लेकिन उन्होंने अपनें गुस्से को जाहिर करनें के लिए गलत जगह और गलत मुद्दे का चुनाव कर लिया जिसके कारण उनके गुस्से की कोई अहमियत भी नजर नहीं आई ! वैसे प्रधानमंत्री जी से ज्यादा देश गुस्से में है और देश का गुस्सा खुद प्रधानमंत्रीजी के प्रति है और देश के पास उसकी वाजिब वजहें खुद प्रधानमंत्री जी नें ही देश को मुहैया करवाई है !
वैसे अपनें प्रधानमन्त्री जी को जिन बातों पर गुस्सा आना चाहिए उन पर गुस्सा आता नहीं है ! पाकिस्तानी सैनिक भारतीय जवानों के सर काटकर ले जाते हैं लेकिन प्रधानमंत्री जी को गुस्सा नहीं आता बल्कि अपनें मंत्रीमंडल के सहयोगी मंत्री को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की निजी भारत यात्रा की अगुवानी करनें भेज देते हैं ! उस अगुवानी से अभिभूत पाकिस्तान भारतीय सैनिकों की हत्या करके चले जाते हैं तब भी उनको गुस्सा नहीं आता है ! इटली के सैनिक भारतीय मछुआरों की हत्या कर देते हैं तब भी उनको गुस्सा आना तो दूर उल्टा उनको वोट देनें इटली जानें का विरोध तक सरकार नहीं कर पाती है ! वो तो भला हो सर्वोच्च न्यायालय का जिसनें इटली के राजदूत के देश छोड़ने पर रोक लगाकर उनको वापिस आनें पर मजबूर कर दिया !
अपनें मंत्रिमंडल के मंत्रियों के द्वारा किये गए भ्रष्टाचार पर भी उनको गुस्सा नहीं आया और वे आखिरी दम तक " कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ " का नारा दोहराते रहे लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में उस नारे की हवा निकल गयी और भ्रष्टाचार की बात पुख्ता हो गयी ! उनके दूसरे कार्यकाल से ही उनके मंत्रियों पर घोटालों के आरोप लगते रहें हैं और कुछ तो साबित भी हो गए हैं लेकिन खुद प्रधानमंत्री जी निजी तौर पर इससे बचे हुए थे लेकिन कोयले घोटाले की कालिख खुद प्रधानमंत्री तक भी पहुँचती दिखाई दे रही है जिससे बचने की कोशिश फायलें गायब करवा कर की जा रही है ! लेकिन इन सब बातों पर उनको गुस्सा नहीं आता है !
प्रधानमंत्री जी को गुस्सा उस बात पर आया जिस पर तो खुद सर्वोच्च न्यायालय के फैसले मुहर लगा चुके हैं ! टू जी से लेकर कोयले घोटाले तक की जांच खुद सर्वोच्च न्यायालय अपनी निगरानी में करवा रहा है और कालेधन वाले मामले की जांच को तो जैसे तैसे आपकी सरकार नें सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जाने से बचा लिया जिसमें नौ दिन चले अढाई कोस वाली हालत है ! प्रधानमंत्री जी इतनें नासमझ तो होंगे नहीं कि आप ये ना समझे हो कि सर्वोच्च न्यायालय की नजर में ना आपकी सरकार ईमानदार थी और ना आपकी जांच एजेंसियां ईमानदारी से काम कर रही थी जिसके कारण ही सर्वोच्च न्यायालय को जांच अपनी निगरानी में लेनी पड़ी थी !
माननीय गुस्से को जाहिर करनें की वाजिब वजह तो खोजिये क्योंकि बिना वजह का गुस्सा भी हंसी का कारण बन जाता है ! वैसे प्रधानमंत्री जी नें कल आर्थिक बदहाली का ठीकरा भी विपक्ष पर यह कहकर फोड़ने की कोशिश की कि विपक्ष सदन को चलनें नहीं देता है जिसके कारण निवेश के अनुकूल वातावरण नहीं बन पा रहा है और सदन चलाने की जिम्मेदारी जितनी सरकार की है उतनी विपक्ष की भी है ! मान गए प्रधानमंत्री जी आपकी बात लेकिन यह तो बता दीजिए कि क्या वाकई सरकार सदन चलाना भी चाहती है क्योंकि देश को तो ऐसा लगता नहीं है क्योंकि पिछले संसद सत्र की ही बात करें तो रेल मंत्री पवन बंसल जी पर लगे आरोपों के चलते आपनें पूरा सत्र उनके इस्तीफे की मांग के हंगामे की भेंट चढा दिया था लेकिन इस्तीफा नहीं लिया था और सत्र समाप्त हुआ नहीं कि आपनें उनका इस्तीफा ले लिया !
वैसे ज्यादातर संसद सत्र भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मंत्रियों को बचाने की भेंट ही चढ गए थे जिसका दोष विपक्ष का तब होता जब ये सारे आरोप झूंठे होते लेकिन ऐसा हुआ नहीं तो संसद नहीं चलने का दोष किसको दिया जाए ! देश भी चाहता है कि संसद चले लेकिन भ्रष्टाचारी लोगों को सजा भी देश चाहता है ! देश के पास गुस्सा होनें के बहुत से कारण है प्रधानमंत्रीजी पर गुस्सा होनें के लिए इसलिए प्रधानमंत्रीजी के गुस्से पर देश का गुस्सा भारी पड़ता जा रहा है !
14 टिप्पणियां :
क्या कहा जाय-
आभार -
प्रधानमंत्री जी को गुस्सा भी आता है ..ये कोई चुटकुला है क्या ? वे तो ठहरे मौनी बाबा..
प्रधानमंत्री जी गुस्सा हो रहे हैं या ;;;; सटीक लेखन के लिए आपको बधाई पूरण जी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार -01/09/2013 को
चोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम ! हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः10 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
maa ganga ko yun to gussa nahi aata kintu jab pap sir chadhkar bolta hai tab ve vinash la deti hain aise hi hain hamare pradhanmantri ji .
BASELESS ALLEGATIONS OF OPPOSITION HAS INSPIRED MR.P.M. TO SHOW HIS ANGER .OPPOSITION MUST THINK HUNDRED TIMES TO SAY ANYTHING .
sahi sawal
सही कहा आपने.
रामराम.
हाँ है तो चुटकुला ही .......
आभार !!
आभार मनोज जी !!
माँ गंगा और प्रधानमंत्री में कोई समानता नहीं है यह तर्क ही बैमानी है !
आभार !!
शिखा जी , घोटालों की बाढ़ आई हुयी है और प्रधानमंत्री लाचार होकर कुछ भी नहीं कर पा रहें हैं ऐसे में विपक्ष के आरोप निराधार कैसे हैं ! कोयला घोटाले में खुद प्रधानमंत्री शक के घेरे में है और अब उससे जुडी फाइलें गायब हो जाना क्या दर्शाता है !!
आभार !!
आभार !!
आभार ताऊ !!
राम राम !!
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