मंगलवार, 3 सितंबर 2013

मीडिया का अतिरेकी रवैया अपनाना क्या सही है !

आज आप अगर मीडिया की तरफ नजर दौड़ाएंगे तो हमारे देश के इलेक्ट्रोनिक मीडिया को भेड़चाल में चलता हुआ देखेंगे ! एक ही मुद्दे के पीछे इतना अतिरेकी रवैया अपना लेंगे कि आम दर्शक परेशान हो जाता है ! इस भेड़चाल में हर चेन्नल शामिल हो जाता है जिसके कारण दर्शकों के पास अन्य कोई विकल्प भी नहीं रहता है ! मीडिया को उसकी उपयोगिता के कारण ही लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है लेकिन बाकी स्तम्भों की तरह इसमें भी गिरावट का दौर जारी है !

मीडिया की इस भेड़चाल और अतिरेकी रवैये के कारण कई अहम मुद्दे गायब ही हो जातें हैं ! अभी का ताजा आसाराम बापू वाले प्रकरण को ही देख लीजिए मीडिया एक सप्ताह से लगातार इसी एक मुद्दे को चक्करघिन्नी की तरह घुमाए जा रहा है ! और इस बीच आये कई अहम मसले लोगों की जानकारी में ही नहीं आ पाए ! इसी दरम्यान कुछ संसोधनों के साथ खाध सुरक्षा बिल पास हो गया लेकिन लोगों को पता तक नहीं चला कि यह बिल किस रूप में पास हुआ है ! उसी तरह दामिनी बलात्कार प्रकरण में एक अपराधी को कानूनी बारीकी का फायदा मिलनें से दंड मिलने से बच गया लेकिन मीडिया के लिए वो अहम मुद्दा नहीं बना जबकि उस पर विस्तृत चर्चा होनें की आवश्यकता थी ! 

इसी तरह हमारी अर्थव्यवस्था लगातार धराशायी होती जा रही है लेकिन आसाराम प्रकरण की आड़ में मीडिया नें उस तरफ से भी मुहं फैर रखा है ! हर चेन्नल में होड़ मची हुयी है कि कौन आसाराम प्रकरण को ज्यादा दिखाता है ! इन्तिहा की हद तो देखिये कल एक चेन्नल नें तीन साल पुराना स्टिंग आसाराम के ऊपर दिखाया और बड़ी बेशर्मी से बताया भी कि यह तीन साल पुराना है ! तो भाई जब आपके पास तीन साल से पड़ा हुआ था तो दिखाया अब क्यों और क्या इसी मीडिया को जिम्मेदार कहा जाएगा क्यों तीन साल का इन्तजार किया गया ! या फिर इसको इतनें दिन रोके रखनें के पीछे भी कोई सौदा हुआ था और अब चेन्नल को लगा कि अब तो आसाराम पर इससे भी जघन्य आरोप लग चुके हैं तो अब उनके इस स्टिंग को आगे दिखाने का कोई फायदा नहीं होगा इसलिए पड़ा रहनें से अच्छा है कि अभी दिखा दिया जाए !


वैसे लगातार मीडिया का एक और चेहरा भी सामनें आया है और वो है किसी भी जानी मानी हस्ती पर जब आरोप लगते हैं तो मीडिया आक्रामकता के साथ उसकी बखिया उघाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ता है लेकिन जब कोई ऐसी शक्सियत कानून से बेदाग़ निकल भी जाती है तब मीडिया उसको नहीं दिखाता है ! कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य पर आरोप लगे और उनको गिरप्तार किया गया तब तो मीडिया नें खूब दिखाया लेकिन उन पर लगाया गया आरोप अदालत में झूँठ निकला तो किसी भी मीडिया चेन्नल नें नहीं दिखाया ! जबकि जिस तरह से लगातार दिखाकर मीडिया उस व्यक्ति की बदनामी करता है उसी तरह से फिर वो बेदाग़ निकलता है तो क्या उसे नहीं दिखाया जाना चाहिए ! बाबा रामदेव पर कितनें आरोप लगे और मीडिया नें उनको बदनाम करनें में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन क्या किसी को पता है कि कितनें आरोप बाद में झूठे भी साबित हो चुके हैं ! 

14 टिप्‍पणियां :

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

वर्तमान में मिडीया को इन्हीं धंधों से मोटा दाम और काम मिलता है. बहुत ही दुखद है.

रामराम.

रविकर ने कहा…

सादर-

रेकी रेका रोचता, इसे पसन्द बवाल |
फैलाए उत्तेजना, और कमाए माल |
और कमाए माल, खबर खरभर कर देता |
करता कभी कमाल, कदाचित पैसे लेता |
दिखा रहा प्रत्यक्ष, करे जैसे यह नेकी |
छुपा जाय पर सत्य, मीडिया यह अतिरेकी ||


रेका=संदेह / शंका

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सही कहा ताऊ आपनें !!
आभार,राम राम !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आदरणीय आपनें शतप्रतिशत सत्य कहा है !!
सादर आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष आभार !!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

पत्रकारिता एक मिशन है -पर वह अपने उच्च उद्देश्यों से गिर चुकी है.

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत उत्कृष्ट
कभी यहाँ भी पधारें

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आपका कथन सत्य है !
सादर आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

जरुर आयेंगे और आते भी हैं !!
आभार !!

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

सटीक ओर सार्थक मीडिया नें मर्यादा खो दी जीवन की अभिलाषा खो दी

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!

HARSHVARDHAN ने कहा…

सार्थक लेख। आभार।।

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पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!