मंगलवार, 20 मई 2014

नई सरकार की राह आसान तो कतई नहीं है !!

नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नयी सरकार २६ मई को शपथ लेगी लेकिन जिस दिन से नई सरकार शपथ लेगी उसी दिन से उसके लिए चुनौतियां भी शुरू हो जायेगी ! सभी वर्गों और सभी लोगों के लिए मोदी आकांक्षाओं के केन्द्र बन गए हैं जिसमें मोदी जी की खुद की भूमिका भी है क्योंकि उन्होंने ही लोगों को अपनी चुनावी सभाओं में बहुतेरे सपने दिखाए थे ! जिनको पूरा कर पाना मोदीजी के लिए आसान तो कतई नहीं होगा !

नई सरकार के सामने पिछले कुछ समय से खराब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लानें की चुनौती होगी ही साथ में विकास को तेजी प्रदान करनें की चुनौती से भी उसे जूझना पड़ेगा ! युवाओं को रोजगार प्रदान करनें का रास्ता भी नयी सरकार को बनाना होगा ! भ्रस्टाचार पर लगाम लगाने की आशा भी लोग मोदी जी से कर रहें हैं ! मोदी जी नें जो जनाकांक्षाएं लोगों के भीतर जगाई है उनको पूरा करना होगा और ये सब आकांक्षाएं मोदीजी की ही देन है जिनके सहारे वे सत्ता तक तो पहुँच गए लेकिन उनकी असली चुनौती अब ही शुरू होगी ! कालाधन वापिस लाने का वादा भी मोदी जी कर चुके हैं अब देखना ये है कि वो अपनें वादों पर खरे उतरते हैं !

महंगाई वो मुद्दा है जिस पर जनता ज्यादा इन्तजार के मुड में कतई नहीं है और रातों रात महंगाई से निजात दिलाने की आशा भी नहीं की जा सकती लेकिन जनता को तो इससे कोई सरोकार नहीं है ! वो तो हर हाल में महंगाई से निजात चाहती है ! जनता को महंगाई से निजात दिलाने के लिए मोदीजी की सरकार को पहले दिन से ही जुट जाना होगा और ना केवल जुट जाना होगा बल्कि अपेक्षित परिणाम भी लाने होंगे ! जो आसान तो कतई नहीं है !


 पूर्वोतर राज्यों के वे लोग जो बांग्लादेशियों के कारण होने वाली समस्याओं से जूझ रहे हैं उनकी नजर भी मोदी जी पर रहेगी क्योंकि मोदी जी एक बार नहीं बल्कि कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि वो अगर सत्ता में आते हैं तो बांग्लादेशियों को भारत से बाहर खदेड़ देंगे ! ये काम भी इतना आसान नहीं होगा क्योंकि सबसे पहले तो इनकी पहचान करना ही कठिन कार्य है ! ये लोग कई तरह के वैध दस्तावेज अब तक प्राप्त कर चुके हैं और दूसरी बात ये है कि ये लोग करोड़ों की संख्या में है इतने लोगों को बंगलादेश वापिस लेनें को तैयार होगा ये विश्वास करना कठिन है ! मोदीजी नें वादा किया है इनको बाहर निकालने का लेकिन ये वादा इतना आसान भी नहीं है ! 

महिलाओं की सुरक्षा का वादा भी मोदी जी नें किया था तो उसको देखना और उस पर खरा उतरना मोदी जी के लिए टेढ़ी खीर ही है ! भारत में संघीय ढाँचागत व्यवस्था है जिसके तहत अलग अलग राज्यों में अलग अलग पार्टियों की सरकारें है जिनका सहयोग मोदीजी के लिए वांछनीय है लेकिन जिस तरह से दलगत राजनीति हावी है उसमें सबका सहयोग मिलना दूर की कौड़ी लगता है ! और राज्यों के सहयोग के बिना मोदीजी चाह कर भी विकास को वो गति प्रदान नहीं कर सकते जिसके सपनें उन्होंने अपने चुनावी भाषणों में दिखाए थे ! कुल मिलकर ये तो कहा ही जा सकता है कि नई सरकार की राह आसान तो कतई नहीं रहने वाली है ! 

10 टिप्‍पणियां :

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

राष्ट्रीय चरित्र ( National Character )
आज तक कुछ और था
लगता है अबकी बार
कुछ अलग होगा :)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (21-05-2014) को "रविकर का प्रणाम" (चर्चा मंच 1619) पर भी है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

मोदी को उद्योग पति या संघ के हित के बजाय जनता के हित के लिए काम करना पड़ेगा !

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

वो तो अभी भविष्य के गर्भ में है जिस पर हमको नजर रखनी होगी !
आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष सादर आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

एक समन्वय स्थापित करना होगी ! मोदी को उसी दिशा में कदम बढाने होंगे जहां पर अमीर गरीब के बीच की खाई को पाटा जा सके !!
सादर आभार !!

Asha Joglekar ने कहा…

पूरण खंडेल वाल जी से सहमत.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!

dr.mahendrag ने कहा…

चुनौतियां हर सरकार के समक्ष होती हैं , यदि ये न होती तो पहली सरकार क्यों जाती ?चुनौतियों पर विजय पाना ही सफलता को पाना है

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आपका कहना भी सही है !!
सादर आभार !!