गुरुवार, 8 जुलाई 2021

क्या रविशंकर प्रसाद की कुर्सी ट्विटर पर कारवाई ना करने के कारण गयी !

एक बात बार बार कही जा रही है कि रविशंकर प्रसाद जी को मंत्रीपद से इसलिए हाथ धोना पड़ा क्योंकि वो ट्विटर के खिलाफ कारवाई करने में विफल रहे लेकिन इस बात में मुझे जरा सी भी सच्चाई नजर नहीं आती ! और मुझे लगता है कि उनको मंत्रीपद से इसलिए हटाया गया क्योंकि वो ट्विटर के खिलाफ कारवाई करना चाहते थे और ट्विटर को नियम मानने के लिए बाध्य करने की कोशिश कर रहे थे ! 

 
 
ट्विटर मनमानी कर रहा था और वो उस कानून को नहीं मान रहा था जो शोसल मीडिया के लिए लागू किया था इसीलिए वो ट्विटर पर कारवाई करना चाह रहे थे लेकिन कोई ऐसा था जो उनको यह करने नहीं दे रहा था ! अब वो कोई ऐरा गैरा तो होगा नहीं कोई ऐसा व्यक्ति ही होगा जो मंत्री को कारवाई करने से रोक सकता था ! अगर ऐसा नहीं होता तो रविशंकर प्रसाद जी शोसल मीडिया पर ट्विटर के खिलाफ नहीं लिखते क्योंकि कोई अपनी नाकामी का ढोल थोड़े ही पीटता है ! 


रविशंकर प्रसाद ट्विटर से खासे नाराज थे लेकिन कारवाई करने में असमर्थ इसीलिए वो शोसल मीडिया के जरिये ट्विटर के मनमाने तरीके का विरोध कर रहे थे ! जबकि पता उनको भी था कि सवाल उन्हीं पर ही उठने वाले हैं लेकिन वो ये जताना भी चाह रहे थे कि वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं और अब तो ट्विटर मुझे भी नहीं बख्स रहा ! क्योंकि उनका एकाउंट भी एक घंटे के लिए ट्विटर नें सस्पेंड कर दिया और उससे पहले कुछ समय तक उनको कुछ भी लिखने से रोक दिया गया था ! 

शनिवार, 3 जुलाई 2021

गौमाता की सुध कब लेगी मोदी सरकार !!!

भाजपा विपक्ष में थी तब गौहत्या रोकने के लिए केन्द्रीय कानून की मांग करती थी लेकिन अब जब वो सत्ता में है तो इससे कन्नी काट रही है और इस पर बोलने से भी बच रही है ! सत्ता से बाहर थे तब सत्ता पाने के लिए गौमाता का सहारा लिया और सत्ता में आने पर उसी गौमाता को भूल गए ! इस मुद्दे पर तो भाजपा नें कांग्रेस से दौ कदम आगे बढ़कर काम किया और प्रधानमंत्री नें गौरक्षकों को गुण्डा तक कह दिया ! इसका मतलब है कि भाजपा अब गौमाता की सुध कभी नहीं लेने वाली है !



राजनितिक नेताओं की नियत को जनता कैसे पहचान सकती है क्योंकि इन्हीं नरेंद्र मोदी जी नें २०१४ के चुनावों से पहले पिंक रिवोल्यूशन कहकर गौहत्या पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा था लेकिन सत्ता में आये तो पिंक रिवोल्यूशन भूल गए और वही डॉलर इनको प्रिय हो गए जो कांग्रेस को थे ! ये तो कांग्रेस से भी दौ कदम आगे बढ़कर गौरक्षकों को गुंडा बताने में लग गए !

मोदी जी नें सत्ता में आने के बाद गौहत्या रोकने के लिए एक कदम नहीं उठाया जिससे ये लगे कि ये कुछ करेंगे क्योंकि कुछ करने की इनकी मंशा ही नहीं है ! कहा जाता है राजनीति में मुद्दे ख़त्म नहीं किये जाते तो ये भी ठीक उसी नक्शेकदम पर चल रहे हैं क्योंकि इनकी सोच है कि इन्हीं मुद्दों पर हमको ५० साल सत्ता मिलती रहे जो कभी होगा नहीं ! भाजपा को यह लगता है कि शुरू में कांग्रेस नें जिस तरह मुस्लिम लीग के मुकाबले हिन्दू पार्टी होने के कारण इतनी साल सत्ता भोग ली तो हम भी भोग लेंगे तो यह उसकी मुर्खता है क्योंकि समय बदल चूका है अब संचार साधन बढ़ गए !

शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

मोदी सरकार विवादित मुद्दों पर रक्षात्मक क्यों !!

चुनावी घोषणापत्र में मुद्दे इसीलिए शामिल किये जाते हैं ताकि जनता को यह पता लग सके कि उस पार्टी की सरकार बनी तो उसकी कार्ययोजना क्या होगी और उन्ही मुद्दों के आधार पर ही चुनावी सभाओं में भाषण दिए जाते हैं ! लेकिन क्या हकीकत में सत्ता में आने के बाद उन वादों और चुनावी घोषणापत्रों में शामिल मुद्दों का कोई महत्व सत्तारूढ़ पार्टी के लिए रह भी जाता है ! अगर मोदी सरकार के इस शुरूआती दौर को देखें तो सबकुछ उल्टा उल्टा सा ही दिखाई दे रहा है ! वादे और मुद्दे कुछ और थे और सरकार का रवैया कुछ और दिखा रहा है ! 

जम्मू काश्मीर से धारा ३७० को हटाने के पक्ष में भाजपा सदा से रही है और ये मुद्दा भाजपा के हर घोषणापत्र में शामिल रहा है ! वाजपेयी सरकार के समय में इसको नहीं हटा पानें को लेकर भाजपा हमेशा यही दलील देती रही कि गटबंधन की मजबूरियों के कारण उसको इस मुद्दे को ठन्डे बस्ते में डालना पड़ा लेकिन अब भी उसके लिए ये मुद्दा है ! लेकिन अब जब भाजपा फिर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है तो उसको ये क्यों कहना पड़ रहा है कि धारा ३७० को हटाने का अभी कोई इरादा नहीं है ! जब प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री जितेन्द्रसिंह नें धारा ३७० को हटाने को लेकर बयान दिया था तभी सरकार नें उस बयान को उनका निजी बयान कहकर पीछा छुडाया था और अब गृह राज्यमंत्री किजिजू भी कह रहें हैं कि धारा ३७० को हटाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है !

मोदी जी नें अपनें चुनावी भाषणों में पिंक रिवोल्यूशन के नाम पर कत्लखानों को मिलने वाली सब्सिडी को लेकर तत्कालीन मनमोहन सरकार और सबसे ज्यादा सत्तासीन पार्टी कांग्रेस पर जबरदस्त हमला बोला था ! लेकिन हैरानी की बात है कि जब मोदी सरकार का खुद का बजट संसद में प्रस्तुत हुआ तो कत्लखानों को लेकर वही नीति अपनाई गयी जिसकी आलोचना करते हुए मोदी जी सत्ता तक पहुंचे थे ! वैसे भी गौहत्या भाजपा का सदैव मुद्दा रहा है फिर क्या कारण था कि मोदी सरकार को उन्ही नीतियों पर आगे बढ़ना पड़ रहा है जिन को लेकर वो कांग्रेस पर हमेशा से आक्रामक रहे हैं ! 

मंगलवार, 20 मई 2014

नई सरकार की राह आसान तो कतई नहीं है !!

नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नयी सरकार २६ मई को शपथ लेगी लेकिन जिस दिन से नई सरकार शपथ लेगी उसी दिन से उसके लिए चुनौतियां भी शुरू हो जायेगी ! सभी वर्गों और सभी लोगों के लिए मोदी आकांक्षाओं के केन्द्र बन गए हैं जिसमें मोदी जी की खुद की भूमिका भी है क्योंकि उन्होंने ही लोगों को अपनी चुनावी सभाओं में बहुतेरे सपने दिखाए थे ! जिनको पूरा कर पाना मोदीजी के लिए आसान तो कतई नहीं होगा !

नई सरकार के सामने पिछले कुछ समय से खराब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लानें की चुनौती होगी ही साथ में विकास को तेजी प्रदान करनें की चुनौती से भी उसे जूझना पड़ेगा ! युवाओं को रोजगार प्रदान करनें का रास्ता भी नयी सरकार को बनाना होगा ! भ्रस्टाचार पर लगाम लगाने की आशा भी लोग मोदी जी से कर रहें हैं ! मोदी जी नें जो जनाकांक्षाएं लोगों के भीतर जगाई है उनको पूरा करना होगा और ये सब आकांक्षाएं मोदीजी की ही देन है जिनके सहारे वे सत्ता तक तो पहुँच गए लेकिन उनकी असली चुनौती अब ही शुरू होगी ! कालाधन वापिस लाने का वादा भी मोदी जी कर चुके हैं अब देखना ये है कि वो अपनें वादों पर खरे उतरते हैं !

महंगाई वो मुद्दा है जिस पर जनता ज्यादा इन्तजार के मुड में कतई नहीं है और रातों रात महंगाई से निजात दिलाने की आशा भी नहीं की जा सकती लेकिन जनता को तो इससे कोई सरोकार नहीं है ! वो तो हर हाल में महंगाई से निजात चाहती है ! जनता को महंगाई से निजात दिलाने के लिए मोदीजी की सरकार को पहले दिन से ही जुट जाना होगा और ना केवल जुट जाना होगा बल्कि अपेक्षित परिणाम भी लाने होंगे ! जो आसान तो कतई नहीं है !