भारत का मीडिया ( मेरा यहाँ मीडिया से तात्पर्य केवल इलेक्ट्रोनिक मीडिया से है ) क्या किसी छुपे एजेंडे पर काम कर रहा है ! अगर विगत में और वर्तमान में घटित घटनाओं पर नजर डालें तो आपको आभास हो जाएगा कि भारतीय मीडिया हिंदू विरोधी एजेंडे पर काम कर रहा है ! अभी हाल ही में आगरा में हुए धर्मान्तरण को लेकर मीडिया नें जिस तरह से आक्रामक प्रदर्शन किया और हिंदू संघटनों से जुड़े लोगों के बयानों को आपतिजनक कहकर प्रसारित किया गया जबकि एक भी बयान आपतिजनक नहीं था ! किसी नें भी यह नहीं कहा कि हम जबरन धर्मांतरण करवाएंगे ! उससे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं और उन सवालों के घेरे में खुद मीडिया है ! और जाहिर है उन सवालों का जबाब मीडिया की तरफ से नहीं आएगा क्योंकि आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि दूसरों से सवाल करने वाले मीडिया नें कभी अपनें ऊपर उठ रहे सवालों का जबाब दिया हो !
आगरा और बलसाड में हुयी धर्मान्तरण की घटना क्या भारत में हुयी पहली धर्मान्तरण की घटनाएं थी जिस पर मीडिया इतना हल्ला मचा रहा है ! और वही मीडिया एत्मादपुर और भागलपुर पर ख़ामोशी क्यों धारण कर लेता है ! कहा जा रहा है कि आगरा में लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया गया तो यही आरोप तो एत्मादपुर में भी लग रहें हैं ! तो मीडिया क्या एत्मादपुर और भागलपुर पर इसलिए चुप्पी साध लेता है क्योंकि वहाँ हिंदुओं का धर्मांतरण होता है और आगरा और बलसाड में ईसाईयों और मुस्लिमों का धर्मान्तरण होता है इसीलिए आक्रामक हो जाता है ! इसाई मिशनरियां आजादी के पहले से धर्मान्तरण में लगी हुयी है और आजादी के बाद भी उनका धर्म परिवर्तन का अभियान जारी रहता है और उस पर खर्च करनें के लिए भारी धनराशि विदेश से आती है ! अगर एक अखबार की खबर पर विश्वास किया जाए तो हर साल करीब १०५०० करोड़ रूपये विदेश से आनें की जानकारी तो सरकारी खुफिया एजेंसियों को भी है जिसकी रिपोर्ट वो सरकार को सौंप चुकी है ! उस पर यही मीडिया आँखे मुंद लेता है !
पूर्वोतर भारत में आदिवासी जनजातियों का बड़े पैमाने पर ईसाई मिशनरियों नें धर्मांतरण कर दिया और लोभ और लालच के बल पर यह सब किया गया लेकिन कभी मीडिया का इस पर आक्रामक रवैया नजर आना तो दूर की बात है कभी चर्चा तक नहीं की ! वैसे भी महज कुछ अपवादों को छोड़ दे तो धर्मान्तरण का जरिया लोभ,लालच और दबाव ही रहा है ! स्वेच्छा से धर्मान्तरण उसको माना जाता है जिसमें व्यक्ति जिस धर्म में जाता है उसका अध्ययन करता है और उसमें अच्छाई नजर आती है ! जबकि धर्मान्तरण की असली हकीकत यह होती है कि जिनको धर्मान्तरित किया जाता है उनको तो उस धर्म का क,ख,ग भी नहीं मालुम होता है तो उसको स्वेच्छा से किया हुआ धर्मांतरण कैसे माना जा सकता है ! जाहिर है सच सामने आये या ना आये लेकिन ऐसे धर्मान्तरण के पीछे दबाव,लोभ,लालच ही होता है !
यही मीडिया जब आसाराम बापू पर छेड़छाड़ का आरोप लगता है तो उनके विरुद्ध लगातार दुष्प्रचार आरम्भ कर देता है ! लेकिन वही मीडिया जयपुर के ईसाई मर्सी होम वाली घटना और जम्मू कश्मीर के बडगाम वाली घटना पर मीडिया चर्चा तो दूर खबर तक नहीं चलाता है क्योंकि ये घटनाएं हिंदू धर्म की ना होकर किसी अन्य धर्म से जुडी होती है और मीडिया को तो हिंदू धर्म को ही निशाना बनाना होता है ! बाबा रामदेव जब चार जून वाली घटना से व्यथित और क्रोधित होकर निजी सेना बनाने की बात करते हैं तो इसी मीडिया की भवें तन जाती है और इतना आक्रामक हो जाता है कि अंतत बाबा रामदेव को सफाई देनी पड़ती है ! वहीँ यही मीडिया मुस्लिम धर्मगुरु सलीम अहमद के उस बयान पर चुप्पी साध लेता है और खबर को दिखाता तक नहीं है जिसमें वो धर्मांतरण के मुद्दे पर बोलते हुए ना केवल मुसलमानों की सेना गठित करनें की बात कहते हैं बल्कि संसद पर हमला करनें और सांसदों को मारने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उतरप्रदेश के मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी भी सार्वजनिक मंच से देते हैं !
निर्मल बाबा पर दिन रात कोहराम मचाने वाला मीडिया पॉल दिनाकरन पर ख़ामोशी अख्तियार कर लेता है ! जबकि दोनों मामलों में एक जैसी समानता होती है ! ऐसा नहीं है कि मीडिया को पॉल दिनाकरन के बारे में पता नहीं हो क्योंकि एक बार एबीपी न्यूज पॉल दिनाकरन पर रिपोर्ट भी दिखाता है लेकिन अचानक ही उस पर ख़ामोशी धारण हो जाती है ! अब उस ख़ामोशी के पीछे राज क्या था यह तो वही लोग जाने जिन्होंने इस पर ख़ामोशी धारण की थी ! प्रवीण तोगड़िया के बयानों पर हायतोब्बा मचाने वाला मीडिया अकबरुद्दीन अवैसी के बयानों को हजम कर जाता है ! हिंदुओं पर बालविवाह को लेकर निशाना साधनें वाला मीडिया मुस्लिम लड़कियों की १५ साल की उम्र में शादी को सही ठहराने वाले फैसले पर चर्चा तक करना उचित नहीं समझता है !
भारत में न्यूज चेन्नल के नाम पर चलने वाले २४ घंटे खबरिया चेन्न्लों का असल चेहरा यही है जिसमें वो अपनें छुपे एजेंडे को ख़बरों की आड़ में अंजाम देते हैं ! और उनका छुपा एजेंडा यही है कि अन्य धर्मों की कमियों पर पर्दा डालना और हिंदू धर्म की कमियों को बढाचढा कर पेश करना और हिंदू संघटनों और उनसे जुड़े लोगों को बदनाम करना ! मीडिया में हर गलत को गलत कहने की ताकत होनी चाहिए लेकिन ऐसी ताकत भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पास नहीं है ! उसके लिए हिंदू आसान निशाना है जिन पर निशाना साधकर वो अपनी पीठ थपथपा लेता है जबकि अन्य धर्मों में जो गलत होता है उस पर कुछ कहने की ताकत मीडिया में नहीं है ! अब ये ताकत क्यों नहीं है यह तो मीडिया ही जान सकता है क्योंकि यह अटूट सच्चाई है कि बिना किसी कारण के कोई पक्षपात नहीं करता है !
यही मीडिया जब आसाराम बापू पर छेड़छाड़ का आरोप लगता है तो उनके विरुद्ध लगातार दुष्प्रचार आरम्भ कर देता है ! लेकिन वही मीडिया जयपुर के ईसाई मर्सी होम वाली घटना और जम्मू कश्मीर के बडगाम वाली घटना पर मीडिया चर्चा तो दूर खबर तक नहीं चलाता है क्योंकि ये घटनाएं हिंदू धर्म की ना होकर किसी अन्य धर्म से जुडी होती है और मीडिया को तो हिंदू धर्म को ही निशाना बनाना होता है ! बाबा रामदेव जब चार जून वाली घटना से व्यथित और क्रोधित होकर निजी सेना बनाने की बात करते हैं तो इसी मीडिया की भवें तन जाती है और इतना आक्रामक हो जाता है कि अंतत बाबा रामदेव को सफाई देनी पड़ती है ! वहीँ यही मीडिया मुस्लिम धर्मगुरु सलीम अहमद के उस बयान पर चुप्पी साध लेता है और खबर को दिखाता तक नहीं है जिसमें वो धर्मांतरण के मुद्दे पर बोलते हुए ना केवल मुसलमानों की सेना गठित करनें की बात कहते हैं बल्कि संसद पर हमला करनें और सांसदों को मारने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उतरप्रदेश के मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी भी सार्वजनिक मंच से देते हैं !
निर्मल बाबा पर दिन रात कोहराम मचाने वाला मीडिया पॉल दिनाकरन पर ख़ामोशी अख्तियार कर लेता है ! जबकि दोनों मामलों में एक जैसी समानता होती है ! ऐसा नहीं है कि मीडिया को पॉल दिनाकरन के बारे में पता नहीं हो क्योंकि एक बार एबीपी न्यूज पॉल दिनाकरन पर रिपोर्ट भी दिखाता है लेकिन अचानक ही उस पर ख़ामोशी धारण हो जाती है ! अब उस ख़ामोशी के पीछे राज क्या था यह तो वही लोग जाने जिन्होंने इस पर ख़ामोशी धारण की थी ! प्रवीण तोगड़िया के बयानों पर हायतोब्बा मचाने वाला मीडिया अकबरुद्दीन अवैसी के बयानों को हजम कर जाता है ! हिंदुओं पर बालविवाह को लेकर निशाना साधनें वाला मीडिया मुस्लिम लड़कियों की १५ साल की उम्र में शादी को सही ठहराने वाले फैसले पर चर्चा तक करना उचित नहीं समझता है !
भारत में न्यूज चेन्नल के नाम पर चलने वाले २४ घंटे खबरिया चेन्न्लों का असल चेहरा यही है जिसमें वो अपनें छुपे एजेंडे को ख़बरों की आड़ में अंजाम देते हैं ! और उनका छुपा एजेंडा यही है कि अन्य धर्मों की कमियों पर पर्दा डालना और हिंदू धर्म की कमियों को बढाचढा कर पेश करना और हिंदू संघटनों और उनसे जुड़े लोगों को बदनाम करना ! मीडिया में हर गलत को गलत कहने की ताकत होनी चाहिए लेकिन ऐसी ताकत भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पास नहीं है ! उसके लिए हिंदू आसान निशाना है जिन पर निशाना साधकर वो अपनी पीठ थपथपा लेता है जबकि अन्य धर्मों में जो गलत होता है उस पर कुछ कहने की ताकत मीडिया में नहीं है ! अब ये ताकत क्यों नहीं है यह तो मीडिया ही जान सकता है क्योंकि यह अटूट सच्चाई है कि बिना किसी कारण के कोई पक्षपात नहीं करता है !
4 टिप्पणियां :
बहुत सही
आभार !!
बहुत उपयोगी जानकारी!!
Nice blog and good information shared here.
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