बुधवार, 12 जून 2013

आडवाणी जी की शतरंजी चालों में चित हो गयी भाजपा !!

भाजपा में पिछले पांच दिनों में जो घटनाक्रम सामने आया उसनें भाजपा की जगहंसाई करवाने कोई कसर नहीं छोड़ी ! और खासकर लालकृष्ण आडवाणी जी नें तो मानो भाजपा की जगहंसाई का ठान ही राखी थी ! पहले गोवा में कार्यकारिणी की बैठक में नहीं जाना और उसके बाद जिस तरह से इस्तीफे दिए ! मानो आडवाणी जी कह रहे हो कि में तो बदनाम होऊंगा ही लेकिन जितनी बदनामी में भाजपा की कर सकता हूँ उतनी तो करने की कोशिश तो जरुर करूँगा !

इस पुरे घटनाक्रम को देखें तो सबसे ज्यादा किरकिरी भी आडवाणी जी की हुयी और भाजपा के कार्यकर्ताओं के मन में आडवाणी जी के प्रति जो सम्मान पहले था वो अब नहीं रहेगा ! जिसके लिए उत्तरदायी केवल और केवल आडवाणी जी  ही है क्योंकि पिछले पांच दिनों से चले घटनाक्रम में आडवाणी जी का चेहरा एक सुलझे हुए बुजुर्ग नेता के बजाय सत्ता लालसा में डूबे नेता का ही दिखाई दिया ! पार्टी के लोकतंत्र का सम्मान करने कि बजाय आडवाणी जी नें एक अलग और ऐसा रास्ता अपनाया जो पार्टी के अंदरूनी लोकतंत्र के विपरीत जाता था ! आडवाणी जी की अपनी छवि भले ही धूमिल हुयी हो लेकिन क्रमबद्ध चले इस घटनाक्रम से पार्टी की छवि को भी नुकशान तो पहुंचा ही है !

आडवाणी जी को पहले ही पता था कि वो गोवा जाकर भी नरेंद्र मोदी जी को चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष बनने से रोक नहीं सकते क्योंकि भाजपा के ज्यादातर जनाधार वाले नेता नरेंद्र मोदी जी के पक्ष में थे ! इसीलिए उन्होंने कोपभवन जाने का फैसला किया और मीडिया में बीमारी की बात फैलाकर घर बैठे रहे ! लेकिन फिर भी वो नरेंद्र मोदी जी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनने से रोक नहीं पाए ! तब आडवाणी जी नें अपनी दूसरी चाल का पासा फैंका और चुन चुनकर पदों से इस्तीफे दिए ! जिनको बाद में वापिस भी ले लिया ! और आडवाणी जी अपनी दूसरी चाल में कामयाब रहे !

शुक्रवार, 7 जून 2013

मोदीमय होती भाजपा में अलग थलग पड़ते आडवाणी !!

भाजपा में जहां नरेंद्र मोदी जी की ताकत लगातार बढती जा रही है वहीँ भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी जी अलग थलग पड़ते जा रहे हैं ! पिछले दिनों शिवराजसिंह चौहान के पक्ष में दिए गए अपने बयानों को लेकर आडवाणी जी किरकिरी झेल ही रहे थे वहीँ उपचुनावों के आये नतीजों नें मोदी जी को एक सम्बल प्रादन किया वहीँ आडवाणी जी को नेपथ्य में धकेलने का काम किया है ! एक तरफ शिवराजसिंह चौहान नें उनके बयानों का अपने तौर पर खंडन किया तो दूसरी तरफ गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पारिकर जी नें यह कहकर कि "मोदी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता है " गोवा में होने वाली पार्टी कार्यकारिणी की बैठक से पहले मोदी के पक्ष में हवा बनाने का काम ही किया है !

आडवाणी जी हवा का रुख भांपने में नाकाम साबित हुए हैं और अभी भी उनके मन में कहीं ना कहीं खुद प्रधानमन्त्री बनने अथवा किसी अपने चहेते को प्रधानमंत्री बनवाने की इच्छा बलवती है ! और आडवाणी जी को इस राह में मोदी सबसे बड़े गति अवरोधक लग रहे हैं इसीलिए उनको मोदी का बढ़ता कद रास नहीं आ रहा है ! लेकिन अब वे भाजपा में अकेले ऐसे नेता बचे हैं जो यह सोचते हैं कि वो मोदी को दूर रख पायेंगे और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने से रोक लेंगे ! जबकि भाजपा के बाकी सब नेता अब ये मान चुके है कि अब मोदी को रोकना नामुमकिन है और यही कारण है कि आडवाणी जी को छोडकर किसी अन्य बड़े नेता का अब मोदी विरोधी रवैया देखने को काफी समय से नहीं मिला है !

वैसे भी देखा जाए तो आडवाणी जी २००९ में एनडीए की और से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और यूपीए सरकार की तमाम नाकामियों के बावजूद देश की जनता नें उन पर भरोसा नहीं किया था और सत्ता फिर यूपीए को ही मिली थी ! उसके बाद तो आडवाणी जी को खुद ही अपनें मन से ऐसी किसी इच्छा को किनारे कर देना चाहिए था लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए हैं ! अब जिस तरह से तेजी से पार्टी के भीतर की स्थतियाँ मोदी जी के पक्ष में होती जा रही है और तमाम सर्वेक्षणों में जिस तरह से मोदी जी की लोकप्रियता प्रदर्शित हो रही है ! उसके बाद अब आडवाणी जी के पास इस सच्चाई को स्वीकार करने के सिवा कोई रास्ता भी नहीं बचा है !