देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा इसको लेकर बुद्धिजीवी वर्ग अपने अपने कयास लगा रहें हैं और संभावनाओं के आधार पर विश्लेषण भी कर रहें हैं ! पार्टियां भी अपने अपने हिसाब से समीकरण बैठा रही है और जोड़ बाकी गुणा भाग करके सता के समीकरणों का हिसाब लगा रही है और केवल पार्टियां हि क्यों पार्टियों के नेता तक अपनी संभावनाओं को तलाश रहे हैं ! वैसे देश की पुरानी पार्टी कांग्रेस तो अपने वंशवादी परम्परा का निर्वहन करते हुए अपने नए नवेले युवराज राहुल को प्रधानमन्त्री के उम्मीदवार के रूप में देख रही है तो दूसरी तरफ भाजपा अभी तक निर्विवादित रूप से किसी को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार नहीं कर पा रही है ! और उसके कई नेता इस कतार में खड़े हैं ! दूसरी कई पार्टियों के नेता भी अपनी संभावनाओं को जिन्दा रखे हुए हैं लेकिन जिस तरह से मोदी कद्दावर होकर उभर रहें है उससे दोनों हि पार्टियों के समीकरण बिगड़ते नजर आ रहें हैं !
भाजपा के कई नेता भले हि प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले हुए हो लेकिन भाजपा अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां उसके सामने दो हि रास्ते है ! या तो वो मोदी को अगला प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित करके सता तक पहुँचने की संभावनाओं को बनाए रखते हुए चुनावों में जाए और दूसरा रास्ता उसके पास यही है कि गटबंधन कि चिंता करते हुए तथा अपनी हि पार्टी के दूसरे नेताओं की प्रधानमंत्री बनने कि इच्छाओं को जीवित रखते हुए चुनावों में जाए ! जहां पहले रास्ते में मोदी भाजपा पर हावी होते नजर आते हैं वहीँ भाजपा के सत्ता तक पहुँचने कि संभावनाएं भी इसी रास्ते से ज्यादा नजर आती है लेकिन इस रास्ते पर चलने से हो सकता है कि कुछ दलों के साथ उसका गटबंधन भी टूट जाए लेकिन फिर भी जमीनी हकीकत और हाल हि में आये सर्वे के नतीजे देखें तो उस कमी को वो शायद मोदी के नाम के सहारे अधिक सीटें जीतकर पूरा भी कर सकती है !
वहीँ दूसरे रास्ते में तो भाजपा के लिए कठिनाइयां हि कठिनाइयां नजर आती है क्योंकि उसके कार्यकर्ताओं पर मोदी का जबरदस्त असर है ऐसे में मोदी को किनारे रखने से उसके कार्यकर्ताओं में हताशा का भाव निश्चित रूप से पैदा होगा और कार्यकर्ता हि चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं ऐसे में हताशा के दलदल में धंसे हुए भाजपा कार्यकर्ता पार्टी को ऐसी जीत दिला पायेंगे जो सता तक पहुंचाए और वो भी उस सूरत में जब पार्टी में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के लिए सबसे चमत्कारिक चेहरे को किनारे रखा जा रहा हो ! और उसके परम्परागत मतदाता भी उस सूरत में भाजपा से दुरी बना सकते हैं ! ऐसे में वो गटबंधन बचाकर भी कुछ हासिल करने कि स्थति में नहीं होगी तो भला वो दूसरे रास्ते को क्यों चुनेगी इसलिए दैर सवेर मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित करना हि होगा क्योंकि भाजपा के सामने यही विकल्प है दूसरा कोई रास्ता हि नहीं है !
दूसरी और भले हि कांग्रेस में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार को लेकर कोई संशय कि स्थति नहीं हो लेकिन मोदी को लेकर उसके अंदर भी बैचेनी साफ़ देखी जा सकती है ! जिसका सबसे बड़ा कारण तो यह है कि भले हि राहुल कांग्रेस के सबसे योग्य उम्मीदवार हो लेकिन जब से राहुल नें सक्रीय राजनीति में कदम रखा है तबसे लेकर अब तक देश नें राहुल में किसी योग्यता को देखा नहीं है और कांग्रेस के रणनीतिकार इस बात को बखूबी जानतें हैं ! और यही बात कांग्रेस के रणनीतिकारों के लिए चिंता का सबसे बड़ा कारण बनी हुयी है ! और वो भी मोदी जैसा उम्मीदवार जब सामनें हो तो कांग्रेस के रणनीतिकारों कि चिंता और बढ़ जाती है क्योंकि उनको ऐसा लग नहीं रहा है कि मोदी के सामने राहुल कोई करिश्मा दिखा पायेंगे और राहुल पहले भी कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने में नाकाम रहें है ऐसे में अब अगर लोकसभा चुनावों में भी वैसा हि हुआ तो कांग्रेस जिस राहुल के नाम के सहारे भविष्य कि संभावनाओं को तलाशना चाहती है उन पर विराम लग सकता है !
ऐसे में किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि भाजपा अगर आगामी लोकसभा चुनावों में मोदी को उम्मीदवार के तौर पर उतारती है तो कांग्रेस के रणनीतिकार किसी और कांग्रेसी चेहरे को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बना दें ! इससे कांग्रेस के लिए फायदा यह हो सकता है कि आगामी चुनावों में कांग्रेस वैसे भी अपनी संभावनाएं कम हि देख रही है और दूसरे वो इसको यह कहकर प्रचारित भी कर सकती है कि राहुल को सत्ता का मौह नहीं है और इसके सहारे वो राहुल को आगे के लिए निर्विवाद रूप से बचाकर भी रख सकती है !!
9 टिप्पणियां :
कौग्रेस तो यही चाहेगी कि येन
-केन प्रकारेंण सत्ता पर दोबारा काबिज हो ताकि जो पाप पिच्छले ५ सालों मे किए है उनको तरीके से दफ़ना सके !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल गुरूवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
अनिश्चित स्थिति है
latest post होली
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बहुत खूब आपके भावो का एक दम सटीक आकलन करती रचना
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
यह तो कांग्रेस के चाहने से होने वाला नहीं है मतदाता चाहेगा वही होगा !!
आभार !!
सादर आभार आदरणीय !!
भाजपा की मजबूरी हैं नरेंदर मोदी,बेहतरीन लेख आभार।
आइये जानते हैं सोशल नेटवर्किंग की दुनियाँ के बारे में
सादर आभार !!!
आभार !!
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