आज मीडिया की सोच हमारी सोच पर जबरदस्त तरीके से
हावी होती जा रही है ! इसे हमारे दिमाग का दिवालियापन ही कहा जाएगा कि मीडिया हमको
जिस तरीके से चलाना चाह रहा है हम भी उसी तरीके से चलते जाते हैं ! सही मायनों में
देखा जाए तो दिमाग और सोच कहने को हमारी होती है लेकिन उसका रिमोट मीडिया के हाथों
में रहता है और वो उसको जिस तरह से संचालित करता है हम भी उसी तरीके से संचालित
होते जाते हैं !
मीडिया जब अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन के पूरी
तरह साथ था और साथ क्या था उस समय तो ऐसा लग रहा था कि मीडिया ही उस आंदोलन को
प्रायोजित कर रहा था ! उस समय अन्ना हजारे के समर्थन में लाखों लोग जुटते थे लेकिन
आज जब मीडिया उस आंदोलन से दूर हुआ तो लोगों का समर्थन भी अन्ना हजारे से दूर हो
गया और आज हालत यह हो गयी कि जिन अन्ना जी के समर्थन से देश के कोने कोने में
हजारों लोग एक आवाज पर जुटते थे आज उनकी सभाओं में महज गिनती के लोग आते हैं और
मजबूरन उनको अपना कार्यक्रम ही रद्द करना पड़ता है ! आंदोलन आज भी वही है और नेता
भी वही है लेकिन फर्क मीडिया के साथ होने अथवा नहीं होनें का है !
हमारे राष्ट्रीय खेल हॉकी की बात करें तो वहाँ भी
मीडिया कि सोच ही हावी है ! मीडिया क्रिकेट को प्रोत्साहित करता है और मैच हो तो
भी और नहीं हो तो भी क्रिकेट के लिए निरंतर और नियत समय में कार्यक्रम दिखाता है
लेकिन वही मीडिया हॉकी का मैच हो तो भी किसी तरह का कार्यक्रम नहीं दिखाता है और
सबसे दुखद बात यह कि हम भी मीडिया कि सोच को अपनी सोच में अंगीकार कर लेते हैं और
क्रिकेट को तो अपनी भावनाओं से जोड़ लेते हैं लेकिन अपने राष्ट्रीय खेल हमारी
भावनाओं में कोई जगह नहीं बना पाता है ! जब हमारी भावनाओं में राष्ट्रीय खेल भी
नहीं आता तो अन्य खेलों की बराबरी के बारे में तो सोचना भी गलत है ! मीडिया हमारे
खेल प्रेम को क्रिकेट पर केंद्रित करके रखता है और हम भी उसी पर केंद्रित होकर रह
जाते हैं !
अभी हाल में दिसम्बर महीने में हुए दामिनी बलात्कार
कांड की बात हो या फिर अन्य और कोई मुद्दे कि बात हो लेकिन देखकर ऐसा ही लगता है
कि हमें मीडिया जिस तरह से संचालित करता है हम उसी तरह से संचालित होते हैं !
मीडिया जिस मुद्दे पर हमें उकसाता है हम उसी मुद्दे पर आक्रामक होकर सड़कों पर आ
जातें हैं और जिस मुद्दे पर मीडिया कोई उत्साह नहीं दिखाता है वो मुद्दा हमारे लिए
कोई मायने नहीं रखता है भाले ही दोनों मुद्दे समान ही क्यों नहीं हो ! मेरा आशय मीडिया की सोच का सही या गलत का विश्लेषण करना नहीं है बल्कि हमारी सोच के ऊपर हावी होती मीडिया कि सोच की तरफ इशारा करना है !
21 टिप्पणियां :
ऐसा ही लगता है हमको भी...!
सत्य वचन -
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय
मीडिया भी अब निष्पक्ष नहीं रहा !
latest post सजा कैसा हो ?
latest post तुम अनन्त
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २३ /४/१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
शस्य श्यामला धरा बनाओ।
भूमि में पौधे उपजाओ!
अपनी प्यारी धरा बचाओ!
--
पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!
sankh nad jari rakhiye ,halat bhi sudhrenge aur manzar bhi badlega Puran Bhayee
शानदार आलेख।
मीडिया हमारे ऊपर हावी है,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
RECENT POST: गर्मी की छुट्टी जब आये,
.एक एक बात सही कही है आपने जिम्मेदारी से न भाग-जाग जनता जाग" .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-2
Sahmat Hun...
सादर आभार आदरणीय !!
सादर आभार माननीय !!
सादर आभार !!
सादर आभार आदरेया !!
जिस भारतीय संस्कृति ने अपने को प्रकृति के साथ अंगीकार कर रखा हो वहाँ पर भी हमें पृथ्वी दिवस मनाने के बहाने प्रकृति की रक्षा का सन्देश देना पड़े इससे दुखद: क्या हो सकता है और यह कहीं ना कहीं दिखाता है कि हम पृकृति और हमारी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं !!
सादर आभार आदरणीय !!
सादर आभार !!
आभार !!
आभार !!
सहर्ष आभार !!
बहुत सटीक लेख |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आभार !!
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