देश के सामने स्थतियाँ बड़ी विकट है जिनको देश चलाने कि जिम्मेदारी दी वही देश को लुट रहे हैं ! अपनी जिम्मेदारियों में वो ना केवल नाकाम साबित हो रहें है वर्ना दीमक कि तरह देश को खोखला करते जा रहे है ! ना हमारी सीमाएं सुरक्षित है ना हमारे जंगल ,जमीं और नदियाँ सुरक्षित है ! आम आदमी भूख और भय के वातावरण में जी रहा है ! माँ,बहन बेटियाँ हमारी सुरक्षित नहीं है ! इसी देश के वाशिंदे शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर है ! इतना सब सामने होते हुए भी हमें केवल और केवल उन्ही घिसे पीटे और रटे रटाए बयानों को सुनना पड़ता है जिनको हम कितनी बार आगे भी सुन चुके होते हैं !
क्या उन्ही बयानों से हमारा भला हो सकता है या फिर उन्ही बयानों को सुनना हमारी मज़बूरी है और हम क्या कुछ नहीं कर सकते हैं ! अगर हम इतने लाचार और मजबूर हैं तो फिर हम कैसे लोकतंत्र में जी रहें हैं ! दरअसल खराबी हमारे लोकतंत्र में नहीं है बल्कि हमारी सोच में है क्योंकि हम सहन करने के आदी हो गए हैं और हम अपने आप में इतने सिमट गए हैं कि हमें कहीं पर कुछ होता है तो उससे फर्क भी नहीं पड़ता है मानो हम तो गहरी नींद में सो रहे हो ! और कभी जागते हैं तो कुछ चीखना चिलाना और दोषारोपण करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं और फिर गहरी नींद में सो जाते हैं ! और हमारी याददास्त तो इतनी कमजोर होती है कि जब वापिस किसी को देश चलाने कि जिम्मेदारी देने कि बात आती है तो हम सब कुछ भूल जाते हैं और हमें याद रहता है तो केवल यह कि उम्मीदवार किस जाति का है अथवा किस धर्म का है !
हमें अपनी गलतियां दिखाई नहीं देती और हम दूसरों पर दोषारोपण करते रहते हैं लेकिन यह एक शास्वत नियम है कि हमारी गलतियों कि सजा हमें भुगतनी ही होगी और वही हो रहा है ! इतिहास में झाँकने और उससे सबक लेना हमारी आदत नहीं है ! इतिहास गवाह है कि जिस पार्टी नें सता में रहते हुए धार्मिक कट्टरपंथ के आगे घुटने टेकते हुए सुप्रीम कौर्ट के फैसले को संविधान संसोधन द्वारा पलटकर देश की सभी मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों अथवा हकों का गला घोट दिया था आज हम उसी पार्टी से यह आशा कर कर रहें है और गुहार लगा रहे हैं कि वो महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करे ! जो पार्टी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हो उसी से हम ये आशा करते हैं कि वो भ्रष्टाचार पर लगाम लगायेगी ! जिस पार्टी को यह दिखाई नहीं देता कि अपने ही देश के लोग शरणार्थी शिविरों में कैसे रह रहे हैं उसी से हम अपने और देश के बेहतर भविष्य कि आशा पाल रहें हैं ! अब इसे क्या हमारी मूर्खता नहीं कहा जाएगा !
दरअसल लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदान के समय ही देश का भविष्य तय होता है और हम उस समय देश को किनारे पर रख देते हैं और अपने तुच्छ स्वार्थों के वशीभूत होकर मतदान करते हैं और हम उसी समय ऐसी गलती कर बैठते हैं जिसका भुगतान पांच साल तक हर देशवासी को करना ही पड़ता है ! और यह एक बार नहीं हर बार हम भी उसी तरह दोहराते रहते हैं जैसे नेता हर घटना के बाद अपने बयानों को दोहराते रहते हैं ! और उसके बाद तो दोषारोपण करना अपनी गलतियों को ढकना और अपनी ही गलती से पैदा हुयी हताशा को बाहर निकालने का उपक्रम भर है !
14 टिप्पणियां :
आपकी बात सही है
latest post बे-शरम दरिंदें !
latest post सजा कैसा हो ?
आज की ब्लॉग बुलेटिन बिस्मिल का शेर - आजाद हिंद फौज - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
bebak rachna aur talkh sachhayee,
सार्थक सच को बयान करती रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर।
सहर्ष आभारी हूँ !!
सादर आभार !!
सादर आभार !!
सहर्ष आभारी हूँ !!
जानते हुए भी विवश बन कर रह जाते है लोग!!
poorv pradhan mantri Shri Chandrshekhar ji ne kaha tha ki " Es desh se kabhi bhrastachar ko khatm nahi kiya ja sakata hai kyonki bhrashtachar to desh ke rakt me mil gya hai "
aj hamare samane Aam Admi jaisee party uplabdh hai jiske pryas sarahneey hain ....pr rakt me mila bhrashtachar uski unnati ke liye badhak hai .......Rajnetaon ke sath sath hm to bhrsht ho chuke hain ..
sarthak chintan ke liye vivash karata hua lekh ........sadar aabhar .
सही कह रहें है आप !!
आभार !!
"आम आदमी पाटी" का हाल भी "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" वाला है !
आभार !!
देश एक बुरे दौर से गुज़र रहा है ...............
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