जम्मू के किश्तवाड़ में ९ अगस्त को हुयी हिंसा क्या पहले से प्रायोजित थी और कहीं यह वहाँ के अल्पसंख्यकों के विरुद्ध षड्यंत्र तो नहीं था ! जो बातें सामने आ रही है वो इसी और इशारा कर रही है और ऐसा कश्मीर घाटी में वहाँ के अल्पसंख्यकों के साथ पहले भी हो चूका है ! असल में जम्मू -कश्मीर में देशविरोधी तत्व सबसे ज्यादा सक्रीय हैं और वहाँ के अल्पसंख्यक उनके लिए आसान निशाना है जिससे की धार्मिक आधार पर कश्मीर के बहुसंख्यक लोगों को अपनें साथ जोड़ा जा सके !
किश्तवाड़ घटना के बारे में जैसा मायावती नें कहा कि एक समुदाय के लोगों को चुन चुनकर निशाना बनाया गया ! उनको मारा गया पीटा गया ! उनकी दुकानों और घरों को जलाया गया ! प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया ! गृह राज्य मंत्री सज्जाद किचालू वहीँ था और आगजनी ,लूटपाट,हिंसा होती रही लेकिन गृह राज्य मंत्री बाहर नहीं निकला ! अगर वो चाहता तो कानून व्यवस्था की स्थति को संभाल सकता था ! लेकिन उसनें ऐसा नहीं किया ! और बसपा सुप्रीमो मायावती नें जो कहा है वो वहाँ जो हुआ वो बताने के लिए काफी है और उनका ये बयान अहम इसलिए भी है क्योंकि मायावती कांग्रेस और भाजपा की तरह धार्मिक राजनीति नहीं करती है !
हालांकि किश्तवाड़ में वहाँ के प्रशासन की नाकामी तो प्रथमदृष्टया ही दिखाई पड़ रही है लेकिन कहीं ये जान बूझकर बरती गयी ढिलाई तो नहीं थी ! इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी है जैसा की उधमपुर के कांग्रेस सांसद लालसिंह का भी कहना है कि किश्तवाड़ में छ: घंटे तक जंगल राज रहा जिसमें दंगाइयों नें वहाँ के अल्पसंख्यक हिंदुओं के मकानों और कारोबारी ठिकानों को बुरी तरह तबाह किया ! भद्रवाह से कांग्रेस के ही सांसद नरेश गुप्ता नें सीधे सीधे मायावती की ही तरह किचालू को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह सब किश्तवाड़ में किचालू की मौजूदगी में हुआ ! उसकी भूमिका की जांच होनी चाहिए ! दंगाइयों को बंदूके कहाँ से मिली और समय रहते कर्फ्यू क्यों नहीं लगाया गया !