बुधवार, 7 अगस्त 2013

भारतीय सताधिशों के रवैये के कारण ही पाकिस्तान का हौसला बढ़ा है !!

पाकिस्तानी सेना नें एक बार फिर अपना नापाक चेहरा दिखा दिया और हमारे पांच जवानों को रात के अँधेरे में घात लगाकर शहीद कर दिया ! उन जवानों को क्षोभपूर्ण दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए में यह कहना चाहता हूँ कि आखिर हमारे देश के सत्ताधीश किस मिटटी के बनें हुए हैं जिनको कभी गुस्सा नहीं आता है ! पाकिस्तान हर बार अपनीं नापाक हरकतों को अंजाम दे जाता है ! हमारे सत्ताधीश बयान देकर अपनें कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं और फिर अपनीं तरफ से इकतरफा दोस्ती का राग अलापनें लगते हैं जबकि पाकिस्तान हमारे साथ दोस्ती चाहता ही नहीं है ! वो केवल विश्व समुदाय की आँखों में धुल झोंकने के लिए दोस्ती का नाटक करता है ! 

दरअसल पाकिस्तान का इतना हौसला नहीं है कि वो इस तरह से भारत से सीधी दुश्मनी मोल ले लेकिन उसको ये हौसला हमारे सत्ताधीश दे रहे हैं ! जो पाकिस्तान को कड़ा जबाब देनें की बजाय अपनीं नासमझियों के कारण उसके ही बचाव का रास्ता तैयार करते रहते हैं ! याद कीजिये और वैसे याद करनें की भी जरुरत नहीं है क्योंकि पाकिस्तान का दिया हुआ वो घाव हर भारतीय के सीनें में नासूर बनकर चुभ रहा है जब जनवरी महीनें में पाकिस्तान नें ऐसी ही हरकत की थी और हमारे दो जवानों को शहीद कर दिया था जिसमें शहीद हेमराज का तो सिर काटकर ही पाकिस्तानी सेना अपनें साथ ले गयी थी ! उसके बाद हमारे विदेशमंत्री ,रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री नें पाकिस्तान के विरुद्ध कड़ी कारवाई का भरोसा देश को दिया था !

पिछली साल जब दिसम्बर के महीनें में पाकिस्तान के तत्कालीन गृहमंत्री रहमान मालिक भारत दौरे पर आये थे तब उन्होंने अपना अड़ियल रुख यहाँ भारत में ही दिखा दिया था लेकिन हमारे सत्ताधीशों के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा था और तब भी मैनें उस दौरे का जिक्र करते हुए कहा था कि ढुलमुल विदेशनीति ही पाकिस्तान का हौसला बढ़ा रही है !! और उसी ढुलमुल नीति से बढे हौसलों का परिणाम ही था कि उसके अगले महीनें में ही उन्होंने अपनी नापाक हरकत कर दी और दो भारतीय जवानों को शहीद कर दिया !  उस समय भी मैनें भारत की दोस्ती की नियत पर ये कहते हुए सवाल उठाये थे कि पाकिस्तान सुधरता नहीं और भारत है कि मानता नहीं  है ! 

लेकिन हमारे सत्ताधीश तो मानों कुछ भी समझनें को तैयार ही नहीं है और जो बात एक आम भारतीय समझ रहा है उसको भी यहाँ के सत्ताधीश या तो समझ नहीं रहे हैं और या फिर समझना नहीं चाहते हैं ! तभी तो जब मार्च महीनें में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अपनीं निजी यात्रा ( हालांकि उसको निजी यात्रा बताया गया था लेकिन यात्रा के तरीके को लेकर इस पर कई लोगों नें निजी यात्रा होनें पर संशय जताया था )  पर अजमेर आये थे तो भारत सरकार नें पलक पांवड़े बिछाकर स्वागत भोज दिया था ! जिसका विरोध मैनें अपनें आलेख (दरगाह दीवान भी भारत सरकार से तो अच्छे हैं ) में किया था ! उस समय भी भारत सरकार के रवैये से उसकी काफी किरकिरी हुयी थी !

इसके बावजूद भारत सरकार लगता है कुछ भी सीख लेनें के मुड में नहीं थी और जैसे ही पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ तो भारतीय प्रधानमंत्री नें वहाँ के भावी प्रधानमंत्री को बधाई सन्देश के साथ भारत आनें का न्योता तक दे डाला जबकि उस समय वहाँ की सरकार का गठन भी नहीं हुआ था ! मैनें उस समय भी भारत की गर्मजोशी पर यह कहकर सवाल उठाया था कि सत्ता बदलनें से क्या पाकिस्तान की नियत बदल जायेगी और मैंने वो इसलिए कहा था क्योंकि सत्ताएं तो वहाँ बदलती रहती है लेकिन भारत के प्रति उनका रवैया एक जैसा ही रहता है ! हमारी सरकारों नें पाकिस्तान के प्रति कुछ ज्यादा ही लचीला रुख अपना रखा है और उसी रवैये के कारण पाकिस्तान का हौसला लगातार बढ़ता ही जा रहा है ! अभी का ताजा घटना के मामले में ही देख लीजिए पाकिस्तान की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आती उससे पहले ही हमारे रक्षा मंत्री नें पाकिस्तान को बरी कर दिया और सारा दोष आतंकवादियों पर डाल दिया जबकि उनसे पहले भारतीय सेना नें पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा की गयी हरकत बताया था !

जब भी ऐसा होता है तो हर बार भारतीय सरकार कड़ी कारवाई वाले बयान देकर भूल जाती है और कड़ी कारवाई कहीं देखनें को मिलती नहीं है ! कड़ी कारवाई का मतलब केवल युद्ध छेड़ना नहीं होता है बल्कि कड़ी कारवाई के बहुत से तरीके हैं जिनका जिक्र मैनें अपनें उस समय के आलेख (पाकिस्तान को रास्ते पर लानें के लिए युद्ध तो आखिरी रास्ता है ) में किया था ! लेकिन भारत सरकार तो हर बार कड़ी कारवाई करनें से बचती हुयी दिखाई देती है और कड़ी कारवाई का राग केवल और केवल जनाक्रोश को शांत करनें के लिए ही अलापती रहती है ! जिसके कारण ही तो पाकिस्तान का हौसला लगातार बढ़ता ही जा रहा है !

8 टिप्‍पणियां :

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सरकार के ढुलमुल नीति के कारण सेना का मनोबल गिरता है ,,,

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पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सेना का मनोबल गिरानें वाली ही तो हरकतें करते हैं !!
सादर आभार !!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

इनको, चाहे वो पकिस्तान हो या फिर चीन या अन्य कोई पड़ोसी मुल्क , इन्हें आँखे तरेरने का मौक़ा हमारी नपुंसक सरकारे देती है! ये सच है कि युद्ध से समस्याए सोल्व नहीं होती लेकिन यह भी सच है की पढ़ोसी को अगर वक्त पे माकूल जबाब न दो या मोहल्ले में ऐसा प्रदर्शित करो कि मेरे से बड़ा लल्लू कोई नहीं, तो मोहल्ले का हर टुच्चा आते-जाते उसकी घरवाली को भाभीजी नमस्कार बोलने के बाद यह भी हिदायत देना नहीं भूलता कि घर के गेट पर ज्यादा देर खडी मत रहा करो, या आप गली में पानी गिरा देती हो ! :):)

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अभी तो चुनाव की लडाई में व्यस्त हैं यदि दुश्मन हमला भी करता है तो बाद में देखा जायेगा.
रामराम.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

ऐसा ही चलता रहा तो कभी भी कोई भी हमला भी कर सकता है !
आभार ताऊ !!
राम राम !!

Satish Saxena ने कहा…

सामायिक आवश्यक लेख..
आभार !

Pallavi saxena ने कहा…

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