शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

कालेधन पर मोदी का सवाल और कांग्रेस का जबाब !!

कल बेंगलुरु से नरेंद्र मोदी ने सरकार द्वारा सपनें के आधार पर खजाने की खुदाई करवाने को आधार बनाकर सरकार पर निशाना साधा और उसके बाद जो कांग्रेस का जबाब आया वो वाकई हास्यास्पद ही कहा जाएगा ! मोदी नें कहा था कि सरकार एक आदमी के सपनें को आधार बनाकर खुदाई करवा रही है लेकिन इससे कई गुना ज्यादा खजाना तो स्विस बैंकों में जमा है जिसको लानें में सरकार की दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रही है ! उनका कहना सत्य भी है क्योंकि यह खजाना तो ३००० करोड का ही है जबकि कालाधन लाखों करोड का है !

जिसके जबाब में कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी यह कहना कि "कालेधन को लेकर नरेंद्र मोदी के पास अगर जानकारियाँ है तो वो सरकार को देनी चाहिए ! सरकार उन पर भी कारवाई करेगी " उनको ही हंसी का पात्र बना दिया है और कांग्रेस की वो मंशा भी साफ़ हो गयी जो कालेधन को लेकर पहले भी कई बार जाहिर हो चुकी है ! वैसे रेणुका जी किन जानकारियों की बात कर रही है यह तो उनको बताना ही चाहिए ! तत्कालीन वितमंत्री और वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा कालेधन पर स्वेत पत्र लाया जा चूका है क्या उसका कोई महत्व कांग्रेस की नजर में है भी या नहीं ! वैसे भी उसमें कई बातों को गौण कर दिया गया था लेकिन जितनी जानकारियाँ उसमें थी उनके आधार पर कोई कारवाई क्यों नहीं हुयी !

कालेधन का मामला ऐसा तो है नहीं कि यह पहली बार मोदी नें ही उठाया है ! बाबा रामदेव इस मुद्दे पर लगातार २००४ से संघर्षरत है और कई बड़े बड़े आंदोलन सरकार की नाक के निचे दिल्ली में आयोजित कर चुके हैं ! देश भर में घूम घूम कर जनता को बता चुके हैं ! २७ फरवरी २०११ और ४ जून २०११ को दिल्ली में बड़े आंदोलनों को अंजाम दे चुके हैं जिसमें ४ जून वाले आंदोलन पर तो पुलिसिया कारवाई भी हुयी थी ! यह सब कांग्रेस को याद है कि नहीं और क्या उसको यह भी याद नहीं कि उसके चार चार मंत्री इसी कालेधन के मुद्दे पर बाबा रामदेव से बात करनें हवाईअड्डे तक गए थे ! फिर सरकार क्यों सोती रही क्यों नहीं कालेधन वाले मामले पर सरकार गंभीर दिखाई दी !

बुधवार, 5 जून 2013

बाबा रामदेव आज भी वही है जो दो साल पहले थे !!

मैंने कल अपने आलेख  "४ जून -लोकतंत्र पर सवालिया निशान लगाता रहेगा " में चार जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुयी पुलिसिया कारवाई का जिक्र किया था ! जिससे महेंद्र श्रीवास्तव जी सहमत नहीं थे और उन्होंने आपति प्रकट करते हुए अपने ब्लॉग "रोजनामचा" पर एक आलेख "याद करो "बाबा" की कारस्तानी " पोस्ट किया था जिसका जबाब में वहाँ नहीं दे सकता था क्योंकि पुरे आलेख का जबाब देने में एक नया टिप्पणीनुमा आलेख ही बन जाता ! इसीलिए मैंने सोचा कि उनकी बातों का जबाब अपने ब्लॉग पर ही दिया जाए ! हालांकि उन्होंने बहुत सी बातें की है लेकिन में हमेशा की तरह अपने आलेख को छोटा रखने की कोशिश करते हुए कुछ मुख्यतया बातों का ही जवाब दूँगा !

सत्ता पोषित मीडिया नें ५ जून की सुबह ८ बजे के बाद से ही बाबा रामदेव से किनारा कर लिया है ! इसलिए वो बाबा के कभी कभार बयानों की बात छोड़ दें तो ज्यादा कुछ दिखाता नहीं है ! इसलिए ज्यादा मीडिया में नहीं आनें के कारण कुछ लोगों को लगता है कि आजकल बाबा रामदेव हरिद्वार तक सिमित हो गए हैं और उनको पूर्ण रूप से व्यापारी मानने लगे हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं है बाबा रामदेव पहले की तरह ही देश भर के दौरे कर रहे हैं और जनता को कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर जगा रहें हैं ! रही बात उनके उत्पादों की तो उनकी बिक्री तो वो ४ जून २०११ से पहले भी कर रहे थे और अब भी कर रहे हैं इसलिए जो वो पहले थे अब भी वही हैं बस फर्क ये आया है कि मीडिया की किनारेबाजी के कारण लोगों को पता नहीं चलता है !

बाबा रामदेव स्वदेशी के मुद्दे पर लोगों को जागृत कर रहे हैं और स्वदेशी विकल्प के तौर पर ही अपने उत्पादों को प्रस्तुत कर रहें हैं लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि केवल पतंजली के उत्पाद ही स्वदेशी है और वही खरीदें बल्कि वो केवल स्वदेशी उत्पाद खरीदने का आग्रह ही लोगों से करते हैं वो चाहे किसी भी स्वदेशी कम्पनी के क्यों नहीं हो ! और वैसे पतंजली के उत्पादों के व्यापार की बात है तो वो विदेशी के बदले स्वदेशी का विकल्प उपलब्ध करवा रहे हैं तभी तो वो लगातार स्वदेशी के मुद्दे जिन्दा रखे हुए हैं वर्ना स्वदेशी का आंदोलन तो आरएसएस नें भी स्वदेशी जागरण मंच के माध्यम से चलाया था जो कितने दिन चला सबको पता है ! और बाबा रामदेव के विरुद्ध २००२ से ही आयकर विभाग की जाँच चल रही है जो ऐसा कोई लेनदेन नहीं साबित कर पाया है जिसके आधार पर उन पर कोई प्रश्नचिन्ह लगाया जा सके !

जहां तक ४ जून के बाबा रामदेव के आंदोलन को कुचलने कि बात है उसमें बाबा रामदेव से गलती हुयी थी और सबसे बड़ी गलती सरकार के मंत्रियों  पर भरोसा करने कि हुयी थी ! जबकि सरकार का रवैया अन्ना मण्डली के साथ जन लोकपाल पर नोटिफिकेशन जारी करने के बाद भी टालमटोल वाला रवैया अपना रही थी ! जिसका जिक्र मैंने १ जून २०११ के अपने फेसबुक स्टेटस में किया भी था ! और उसके बाद सरकार से बातचीत की भूल हुयी थी जहां शायद बाबा रामदेव ये भूल कर बेठे की सरकार सकारात्मक बातचीत कर रही है और सरकार के चार चार मंत्री बातचीत करने पहुंचे तो उनका भरोसा ज्यादा पुख्ता हो गया और उन्होंने मंत्रियों की मौखिक बात पर भरोसा करके वो चिट्ठी लिख दी जिसमें उन्होंने आंदोलन समाप्त करने की बात कही थी ! यहाँ भी सौदेबाजी की बात बिलकुल गलत है ! उन्होंने सौदेबाजी में अपने लिए तो कुछ किया नहीं था ! बातें मानने का मौखिक भरोसा मिलने पर आंदोलन खतम करने की बात लिखकर दी थी ! और जाहिर है कि जब तक सरकार की तरफ से बातें मानने की आधिकारिक घोषणा नहीं होती तब तक आंदोलन को चालु रखना तो था ही ! लेकिन जब सरकार नें उनकी चिट्ठी को हथियार बनाया तो बाबा रामदेव भी बदल गए !