दृढ राजनितिक सोच के बिना हमारा देश केवल कागजी शेर बनकर रह गया है ! आंकड़ों के लिहाज से हम काफी मजबूत देश हैं लेकिन कहीं भी किसी भी बात में हमारी वो मजबूती नजर नहीं आती है ! जिसका एकमात्र कारण नेतृत्व की कमजोर सोच ही सामनें उभरकर आती है ! केवल आंकड़ों से भले ही हम ताकतवर होने का दंभ भरते रहे लेकिन उस ताकत को दिखाने का समय जब आता है तो हम कमजोर ही नजर आते हैं ! फिर हमारी ताकत को कौन मानेगा ! हम बात करते हैं एक महाशक्ति बनने की लेकिन क्या ऐसी कमजोर सोच के सहारे हम ऐसा कर पानें में सक्षम हो पायेंगे !
आज हम आंकड़ों की बात करें तो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सेना हमारे पास है और परमाणु शक्ति सम्पन देशों में हमारा स्थान छठवां है ! विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था हमारी है ! इस हिसाब से देखा जाए तो विश्व जगत में हमारा सम्मानजनक स्थान होना चाहिए ! लेकिन आज हमारी हालत यह है की कोई हमें पूछता तक नहीं है ! हमें जो थोडा बहुत महत्व विश्व में हमें दिया जा रहा है वो भी हमारी ताकत के हिसाब से नहीं बल्कि व्यापारिक हितों को देखकर दिया जा रहा है ! हर देश को अपना उत्पादन बेचने के लिए बाजार चाहिए और भारत सबसे बड़ा बाजार है ! और उन्ही व्यापारिक हितों को देखते हुए ही अन्य देश हमें महत्व देते हैं ताकि वो अपने उत्पाद भारत में खपा सके !
हम हमारी ताकत में इजाफा चाहते ही नहीं है और ये बात हमारी राजनैतिक सोच से साफ़ झलकती है जो हमेशा एक लक्ष्य लेकर नहीं चलती है ! जब हम सयुंक्त राष्ट्र संघ में जब स्थायी सदस्यता के लिए अन्य देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे थे ! और कुछ देश हमारे साथ आ भी रहे थे लेकिन तभी हमारी सरकार नें उसको ठन्डे बस्ते में डाल दिया और हम समर्थन जुटाने लग गए शशि थरूर को सयुंक्त राष्ट्र संघ में महासचिव बनाने के लिए जिसके कारण हम ना तो शशि थरूर को सयुंक्त राष्ट्र का महासचिव बना पाए और जिस दिशा में प्रयास कर रहे थे उसको भी पीछे छोड़ दिया ! दरअसल हम किसी तरह का लक्ष्य निर्धारित करके उस पर आगे बढनें में नाकाम रहते हैं !