शुक्रवार, 31 मई 2013

क्या हम वाकई ताकतवर है या केवल दंभ पाले बैठे हैं !!

दृढ राजनितिक सोच के बिना हमारा देश केवल कागजी शेर बनकर रह गया है ! आंकड़ों के लिहाज से हम काफी मजबूत देश हैं लेकिन कहीं भी किसी भी बात में हमारी वो मजबूती नजर नहीं आती है ! जिसका एकमात्र कारण नेतृत्व की कमजोर सोच ही सामनें उभरकर आती है ! केवल आंकड़ों से भले ही हम ताकतवर होने का दंभ भरते रहे लेकिन उस ताकत को दिखाने का समय जब आता है तो हम कमजोर ही नजर आते हैं ! फिर हमारी ताकत को कौन मानेगा ! हम बात करते हैं एक महाशक्ति बनने की लेकिन क्या ऐसी कमजोर सोच के सहारे हम ऐसा कर पानें में सक्षम हो पायेंगे !

आज हम आंकड़ों की बात करें तो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सेना हमारे पास है और परमाणु शक्ति सम्पन देशों में हमारा स्थान छठवां है ! विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था हमारी है ! इस हिसाब से देखा जाए तो विश्व जगत में हमारा सम्मानजनक स्थान होना चाहिए ! लेकिन आज हमारी हालत यह है की कोई हमें पूछता तक नहीं है ! हमें जो थोडा बहुत महत्व विश्व में हमें दिया जा रहा है वो भी हमारी ताकत के हिसाब से नहीं बल्कि व्यापारिक हितों को देखकर दिया जा रहा है ! हर देश को अपना उत्पादन बेचने के लिए बाजार चाहिए और भारत सबसे बड़ा बाजार है ! और उन्ही व्यापारिक हितों को देखते हुए ही अन्य देश हमें महत्व देते हैं ताकि वो अपने उत्पाद भारत में खपा सके !

हम हमारी ताकत में इजाफा चाहते ही नहीं है और ये बात हमारी राजनैतिक सोच से साफ़ झलकती है जो हमेशा एक लक्ष्य लेकर नहीं चलती है ! जब हम सयुंक्त राष्ट्र संघ में जब स्थायी सदस्यता के लिए अन्य देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे थे ! और कुछ देश हमारे साथ आ भी रहे थे लेकिन तभी हमारी सरकार नें उसको ठन्डे बस्ते में डाल दिया और हम समर्थन जुटाने लग गए शशि थरूर को सयुंक्त राष्ट्र संघ में महासचिव बनाने के लिए जिसके कारण हम ना तो शशि थरूर को सयुंक्त राष्ट्र का महासचिव बना पाए और जिस दिशा में प्रयास कर रहे थे उसको भी पीछे छोड़ दिया ! दरअसल हम किसी तरह का लक्ष्य निर्धारित करके उस पर आगे बढनें में नाकाम रहते हैं !

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

हमारी गलतियों का खामियाजा तो हमें हि भुगतना होगा !!

एक अटल सत्य है कि गलती करने वाले को हि अपनी गलती का नुकशान उठाना पड़ता है ! लेकिन  इतनी सी बात हमारे देश के कर्णधारों को समझ में नहीं आ रही है और इसका खामियाजा भारत बराबर भुगतता आ रहा है और यही रवैया रहा तो आगे भी भारत को तो भुगतना हि पड़ेगा ! अब गलती आप करेंगे और उसका नुकशान उठाने के लिए भी आपको हि तैयार रहना होगा भले हि आप उसका दोष किसी दूसरे पर थोप दें लेकिन जिस पर आप दोष डाल रहें हैं उसका तो कुछ भी बुरा होने से रहा ! 

बात चाहे इटली के नौसैनिकों की हो या फिर पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद कि हो हर जगह भारत के हुक्मरानों की असफलता साफ़ नजर आती है अब वो इसके लिए भले हि वो दोष इटली को दें या फिर पाकिस्तान को दें ! लेकिन सच्चाई यही है कि उनको अपनी खुद की गलती नजर नहीं आती है ! अभी हाल हि में हुयी दो घटनाओं का जिक्र यहाँ जरुर करना चाहूँगा जिनमें भारतीय सताधिशों की गलतियां खुद चीख चीख कर बता रही है कि भारतीय सताधिशों नें गलतियां की है लेकिन अफ़सोस तो तब होता है जब भारतीय सताधिश खुद ये मानने को तैयार नहीं है कि उनसे कोई गलती हुयी है !

अभी हाल हि में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कि निजी यात्रा के समय भारतीय विदेशमंत्री द्वारा दिए गये भोज नें हमारा मजाक उड़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी ! उनके द्वारा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को दिए गये भोज के बाद पाकिस्तानी मीडिया नें जोर शोर से यह प्रचार करना शुरू कर दिया कि सीमा पर भारतीय सैनिकों कि ह्त्या पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा करने कि बात भारतीय सरकार और भारतीय मीडिया द्वारा गढा गया झूठ है और इसके पक्ष में दलील यह है कि अगर ये बात सच होती तो भारतीय विदेशमंत्री  पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से मिलते भी नहीं , भोज देना तो दूर कि बात होती ! और दुनिया इस सच को जानती है कि जिसके दिए जख्मों से दिल छलनी हो तो मिलना तो दूर देखना भी अच्छा नहीं लगता और यहाँ तो हम उनसे मिलने के लिए दिल्ली से जयपुर का रास्ता भी तय कर लिया !

बुधवार, 13 मार्च 2013

विफल होती हमारी विदेशनीति खतरा बढ़ा रही है !!

हमारी विदेशनीति कि दुर्बलता हमारे सामने समस्याओं का पहाड़ खडा कर रही है ! हमारे सताधिशों का अमेरिकी प्रेम हमारे लिए दुर्बलता बनता जा रहा है ! वर्तमान समय में हमारे सताधिशों नें सारा ध्यान अमेरिका को खुश करनें में लगा रखा है और दूसरी तरफ चीन हमारे लिए लगातार खतरनाक बनता जा रहा है ! और अमेरिका को खुश करने के चक्कर में हमने रूस जैसे हमारे मित्र देश को चीन के नजदीक कर दिया और आज चीन और रूस मित्र कि भूमिका में है और आज हमारे साथ कोई विश्वासी मित्र देश नहीं है ! रूस को हमने दूर कर दिया और अमेरिका हमारा मित्र बन नहीं रहा है बल्कि केवल बनने का नाटक कर रहा है ! जो निश्चय हि दुखद: है !

जब भी किसी विवाद में हमारे साथ खड़े होने का समय आता है तब वो पाकिस्तान के साथ खड़ा दीखता है ! अमेरिका कि कथनी और करनी में हमेशा हि फर्क रहा है ! अमेरिका बार बार कहता है कि भारत आतंकी हमलों का शिकार है और भारत के दर्द को अपना दर्द बताता है लेकिन जब २६/११ के हमलों की एक कड़ी डेविड हेडली को भारत को सौंपने और उससे पूछताछ करने कि मांग भारत सरकार की तरफ से की गयी तो वो पाकिस्तान के नाराज होने के डर से कन्नी काट गया ! वैसे अमेरिका की दोस्ती का इतिहास खंगाला जाए तो वो आज तक किसी भी देश का स्थायी दोस्त नहीं बन पाया है ! उसकी दोस्ती तब तक हि रहती है जब तक उसे उस देश से फायदा उठाना हो  और जब उस देश को उसकी जरुरत होती है तब वो उस पर खरा नहीं उतरता है ! 

साल २००८ में जब अमेरिका आर्थिक मंदी से जूझ रहा था तब अमेरिका भारत के प्रधानमंत्री की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकता था ! और उन तारीफों का असर यह हुआ कि हमारे प्राधानमंत्री समझ बैठे कि अमेरिका दिल से भारत कि तारीफ़ कर रहा है ! उस दौरान जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आये तो उनका शाही स्वागत किया गया ! उस समय उन्होंने भारतीय कंपनियों से समझौता करके ५०००० अमेरिकियों कि नौकरी बचाने में वो कामयाब रहे थे लेकिन वहीँ जब २०१२ में दुबारा आर्थिक मंदी ने दस्तक दी तो वही अमेरिका कहता है कि भारत में निवेश करना जोखिमभरा है ! अमेरिका के इस तरह के व्यवहार से पता चलता है कि वो पूर्ण रूप से व्यापारी है और उससे दोस्ती किसी भी देश के साथ तब तक बनी रह सकती है जब तक उसका खुद का व्यापारिक हित हो ! ऐसे में हम अमेरिका को खुश करने के चक्कर में उस पर हि निर्भर होते जा रहें है !

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

ढुलमुल विदेश निति ही पाकिस्तान का हौसला बढ़ा रही है !!

पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मालिक अपने भारत दौरे के दौरान अपने विवादित बयानों को लेकर काफी सुर्खियाँ बटोरी वहीँ उनके दौरे के बारे में संसद में जानकारी देते हुए भारतीय गृहमंत्री द्वारा मुंबई हमले के मुख्य आरोपी हाफिज सईद को श्री और मिस्टर से संबोधित करके खुद को विवादों से जोड़ लिया ! ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि पाकिस्तानी गृहमंत्री के  इस दौरे से विवादों के सिवा क्या हासिल हुआ !!

इस पुरे दौरे का लबोलुआब देखा जाये तो पाकिस्तान फायदे में रहा और भारत को कुछ भी हासिल नहीं हुआ पाकिस्तान नें वीजा नियमों में लचीलापन लाने के लिए भारत को रजामंद कर लिया और भारत के प्रधानमन्त्री को पाकिस्तान आने का न्योता भी दे दिया जिसको भारत के प्रधानमंत्री ने स्वीकार भी कर लिया और बदले में भारत को क्या मिला ! भारत की सबसे बड़ी मांग २६/११ के आरोपियों के खिलाफ कारवाई को लेकर थी जिसका पाकिस्तान के गृहमंत्री ने अपने बयानों से जिस तरह का मजाक बनाया वो भारत कि विदेश निति कि विफलता दर्शाने के लिए काफी था ! पाकिस्तानी गृहमंत्री ने तो मुंबई हमले की तुलना बाबरी मस्जिद के विध्वंस से कर डाली और मुंबई हमले के आरोपी अबू जिंदाल को भारत का ही एजेंट बता दिया ! जहां दौरे से पहले चर्चा यह हो रही थी कि रहमान मालिक मुंबई हमले के मुख्य आरोपी हाफिज सईद के खिलाफ  दर्ज मुकदमे की एफआईआर की कोपी भारत को सोपेंगे लेकिन रहमान मालिक ने भारत आकर बताया कि हाफिज सईद के खिलाफ तो किसी भी तरह के सबूत ही नहीं है और ना ही कभी उसके खिलाफ मुंबई हमले के लिए कोई केस दर्ज किया गया है !!