बुधवार, 7 नवंबर 2012

गठिया रोग का आयुर्वेदिक इलाज !!

गठिया रोग को अंग्रेजी में आर्थ्राइटिस और हिंदी में इसको संधि शोथ भी कहतें है यह बड़ा पीड़ादायक रोग है लेकिन आयुर्वेद में कुछ ऐसे उपचार हैं जिनसे इससे छुटकारा पाया जा सकता है उनमें से दो नुस्खे आपके सामने लिख रहा हूँ जिसमें से एक बथुआ है जो अभी सर्दियों में बहुतायत से होता है दूसरा नागौरी असगंध है जो बारह महीने सुलभ है और दोनों ही चीजें सर्व सुलभ है 


१. बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो - दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें। 







२. नागौरी असगन्ध (अश्वगंधा ) की जड़ और खांड दोनों समभाग लेकर कूट-पीस कपड़े से छानकर बारिक चुर्ण बना लें और किसी काँच के पात्र में रख लें। प्रतिदिन प्रातः व शाम चार से छः ग्राम चुर्ण गर्म दूध के साथ खायें। आवश्यकतानुसार तीन सप्ताह से छः सप्ताह तक लें। इस योग से गठिया का वह रोगी जिसने खाट पकड़ ली हो वह भी स्वस्थ हो जाता है। कमर-दर्द, हाथ-पाँव जंघाओं का दर्द एवं दुर्बलता मिटती है। यह एक उच्च कोटि का टॉनिक है।

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

तुलसी पत्तों का अनुभूत प्रयोग !!

तुलसी का पौधा सदियों से हमारे घरों में पूजा जाता है और इसको घरों में लगाया जाता है लेकिन बहुत कम लोग हैं जो यह जानते हैं कि तुलसी का पौधा अपने अंदर कई तरह की बीमारियों का चमत्कारिक इलाज करने का गुण रखता है और इसको हमारे घरों में स्थान दिलाने के पीछे भी हमारे मनीषियों कि यही वैज्ञानिक सोच रही होगी ! वैसे तो तुलसी के बहुत सारे अनुभूत प्रयोग हैं उसमें से ही एक में आज आपको बताता हूँ !

तुलसी की इक्कीस से इकतीस पतियाँ लेकर साफ़ पानी से धोकर ऐसे सिलबट्टे पर पिस  कर चटनी बना लें जिस पर पहले मसाला ना पिसा हुआ हो ! और इस चटनी को दस से तीस ग्राम मीठे दही में मिलाकर तीन महीने तक सुबह खाली पेट लें  लेकिन ध्यान रहे दही खट्टा नहीं होना चाहिए और अगर मनमाफिक दही नहीं मिल रहा हो तो इस चटनी को एक से दो चमच्च शहद के साथ भी ले सकतें है लेकिन दूध के साथ तो बिलकुल ही ना लें इस बात का ध्यान रखें ! बच्चों को यह दवा  आधा ग्राम के लगभग शहद में मिलाकर देनी चाहिए ! 

यह दवा लेने के पश्चात आधा घंटे तक कुछ भी नहीं लें उसके बाद नाश्ता कर सकतें हैं और इस दवा का प्रयोग दिन में केवल एक बार ही करना है !

इसको तीन महीने तक सेवन करने से खांसी ,सर्दी,पुराना और नया जुकाम ,जुकाम की प्रवृति ,पुराना सिरदर्द जैसी कई बीमारियों से पूर्णरूप से छुटकारा मिल जाता है तथा कई और अन्य प्रकार की बीमारियाँ भी इसके प्रयोग से दूर हो सकती है !!

शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

निम्न रक्तचाप में लाभकारी है किशमिश !!


आपको अक्सर चक्कर आते हैं, कमजोरी महसूस होती है तो हो सकता है कि आप लो ब्लड प्रेशर के शिकार हों। ज्यादा मानसिक तनाव, कभी क्षमता से ज्यादा शारीरिक काम करने से अक्सर लोगों में लो ब्लडप्रेशर की शिकायत होने लगती है।

कुछ लोग इसे नजरअन्दाज कर देते हैं तो कुछ लोग डॉक्टर के यहां चक्कर लगाकर परेशान हो जातें हैं। लेकिन आयुर्वेद में लो ब्ल्डप्रेशर को कन्ट्रोल करने के लिए कारगर इलाज है वो है किशमिश। नीचे बताई जा रही विधि को लगातार 32 दिनों तक प्रयोग में लाने से आपको कभी भी लो ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होगी।

32 किशमिश लेकर एक चीनी के बाउल में पानी में डालकर रात भर भिगोएं। सुबह उठकर भूखे पेट एक-एक किशमिश को खूब चबा-चबा कर खाएं,पूरे फायदे के लिए हर किशमिश को बत्तीस बार चबाकर खाएं। इस प्रयोग को नियमित बत्तीस दिन करने से लो ब्लडप्रेशर की शिकायत कभी नहीं होगी।

सोमवार, 6 अगस्त 2012

अर्शनाशक योग !!


निम्बोली की गिरी,हीराहींग (भुनी), शुद्ध गुग्गुल ,एलुवा (अलवीरा)और खुरासानी अजवायन लें फिर इन्हें खरल में डालकर अच्छी तरह घोंटे और जब गोली बनाने के योग्य हो जाए तो चार - चार रति की गोली बना लें !!

इसको सुबह और शाम एक एक गोली जल या दूध के साथ सेवन करें यह योग बवासीर में अत्यंत उपयोगी है ! बादी बवासीर में तो विशेष लाभ करता है तथा कब्ज को दूर करता है ! यह बवासीरजन्य दर्द में विशेष लाभकारी योग है !

सावधानी: इस योग से कभी कभी अधिक दस्त होने लगते है ऐसी अवस्था में दवा सेवन की मात्रा आधी कर देनी चाहिए ! दवा का सेवन डेढ़ से दो माह तक करें !!


स्मरण शक्ति के लिए शंखपुष्पी !!


शंखपुष्पी को छाया में सुखाकर कूट पीस कर चूर्ण बना कर कपड़छन करके रख ले इस चूर्ण को छह ग्राम की मात्रा में आवश्यकतानुसार पीसी हुयी मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट एक पाव दूध के साथ लेने से स्मरणशक्ति में लाभ होता है !!

अगर ताज़ी शंखपुष्पी मिल जाए तो और भी अच्छा है साफ़ की हुयी ताज़ी शंखपुष्पी को बारह ग्राम की मात्रा में लेकर चार नग कालीमिर्च और पानी के साथ भांग की तरह घोट पीसकर बारिक चटनी सी बना लें फिर इसमें एक पाव दूध या पानी मिलाकर स्वच्छ सूती कपडे से छानकर ठंडाई बना ले ! इस शंखपुष्पी की ठंडाई में पच्चीस ग्राम या आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर प्रात: खाली पेट पी लें !!

रविवार, 5 अगस्त 2012

मासिक धर्म संबधी समस्याओं के लिए रामबाण अजवायन !!


कई औरतों को मासिक धर्म में शारीरिक कष्ट होता है उनके लिए अजवायन रामबाण औषधि है इसके लिए दो चम्मच साफ़ की हुयी अजवायन दो कप पानी में धीमी आंच में उबलने के लिए रख दे जब पानी उबलकर एक कप रह जाए तो इसमें स्वाद अनुसार गुड़ डाल कर थोडा उबालकर छान ले ! गुड़ जितना पुराना हो उतना ही अच्छा रहता है !!

इस काढे को जिस दिन माहवारी शुरू होती है उस दिन से तीन दिन तक सुबह और शाम लेने के बाद बंद कर देनी चाहिए उसके बाद अगले माह भी इसी तरीके से शुरू करना चाहिए तीन चार महीनो में मासिक धर्म की शिकायत मिट जायेगी उसके बाद इसको बंद कर देना चाहिए !!

यह प्रयोग मासिक धर्म शुरू होने के तीन दिन पहले भी शुरू किया जा सकता है !!

बुधवार, 1 अगस्त 2012

अस्थमा व् कफ के लिए !!


छोटी पिप्पली एक नग लेकर गाय के दूध में १०-१५ मिनट तक उबाले , उबालकर पहले पिप्पली खा ले ऊपर से दूध पी लें ! इसी तरह अगले दिन दो पिप्पली ले , इस तरह ६ से ११ पिप्पली तक लेने के बाद क्रमश एक एक पिप्पली कम करते जाये ! यदि अधिक गर्मी नहीं लगे तो १५ पिप्पली तक बढ़ा सकते है !
यह नुस्खा कफ,अस्थमा,नजला,जुकाम और पुरानी खांसी में लाभप्रद है !!
इस नुस्खे का प्रयोग प्रात:काल करें ! दिन में सादा आहार लें ! अधिक तेल , घी तथा खट्टी व् शीतल चीजों से बचे !!

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

स्त्रियों के लिए स्वास्थ्यवर्धक तिल अवलेह !!

सामग्री -
काले तिल १५० ग्राम,गोखरू ३०० ग्राम,बबूल का गोंद ५० ग्राम ,शुद्ध शहद आधा किलो ,शुद्ध देशी घी एक चम्मच,एक मिट्टी कि हांडी और उसके ऊपर ढकने के लिए मिट्टी का ढकन (ढकनी) !

बनाने कि विधि-

तिल,गोखरू और गोंद को कूट पीसकर खूब बारिक चूर्ण कर ले और मिट्टी कि हांडी में अंदर कि तरफ पेंदे पर घी का लेप कर दे! फिर तीनों औषधियों का चूर्ण और शहद हांडी में डालकर खूब अच्छी तरीके से मिला लें! ध्यान रहे हांडी इतनी बड़ी होनी चाहिए कि आधी खाली रहे! अब ढकन लगा कर कपडे मिट्टी से बंद करके धुप में सुखा लेवें!
फिर जमीन में इतना गहरा गड्ढा खोदे जिसमे हांडी पूरी तरह से समा जाये! अब हांडी गड्ढे के अंदर रखकर गड्ढे से निकली हुयी मिट्टी से गड्ढे को भरकर समतल कर देवें! फिर इसके ऊपर २० कंडे रखकर आग लगा दे! दो दिन बाद राख हटाकर हांडी बाहर निकाल ले और सफाई से हांडी के ऊपर का कपड़ा मिट्टी हटा दे! अंदर तैयार किया हुआ तिल अवलेह निकाल कर कांच कि बर्नी (जार )में भर लें!

इसे सुबह नाश्ते के बाद और रात को सोते समय एक एक चम्मच खाकर दूध पी लें! इस तिल अवलेह के सेवन से एक से दो माह में शारीरिक कमजोरी,कमरदर्द,खून की कमी,श्वेदप्रदर,स्तनों का ढीलापन,बेडोल होना,योनीदंस जैसी व्याधियाँ दूर हो जाती है! शरीर चुस्त दुरुस्त व् सशक्त तथा सुडोल हो जाता है! अंग प्रत्यंग कसीले और ठोस हो जाते है !!

वाजीकारक फार्मूला !!

सफेद प्याज का रस आठ चम्मच ,अदरक का रस छः चम्मच,शहद चार चम्मच ,और शुद्ध घी दो चम्मच ,कुल २० चम्मच !
यह पांच दिन की खुराक है! प्रतिदिन प्रात:चार चम्मच चाय से पहले लेकर इसको समाप्त करे! छठे दिन फिर ताजा बनाले! चाहे तो रोज ताजा निकालकर सेवन करें! यह प्रयोग कम से कम २१ दिन और अधिक से अधिक दो माह तक सेवन करना चाहिए! इसके सेवन से स्नायविक शिथिलता, ढीलापन,सुस्ती और कमजोरी दूर भाग जाती है तथा उतेजना,तनाव,कठोरता एवं बल में भरी वृद्धि होती है!

इसका प्रयोग करते समय दो सावधानियां रखनी चाहिए -
१.जिस शीशी में इसको रखे उस पर चूडीदार ढकन ना लगा हो उसमे कागज या कार्क का ढकन बनाकर लगावें क्योंकि इसमें एक दो रोज में गैस बनती है जो अगर नहीं निकलती है तो शीशी को तोड़ देती है! गैस निकलते समय ऐसी आवाज होती है जैसे कोई छोटा मोटा पटाखा फूटा हो !
२.इसका सेवन करते समय इस बात का ध्यान रखे कि इसका प्रभाव कैसा और कितना हो रहा है! सहन शक्ति से अधिक तनाव और उतेजना होने पर इसका सेवन बंद कर देना चाहिए!!

बुधवार, 25 जुलाई 2012

गैस की पीड़ा से छुटकारा दिलाने वाला चूर्ण !!

गैस की पीड़ा से छुटकारा दिलाने वाला गैसहर चूर्ण -
छोटी हरड एक किलो लेकर इसे साफ़ करके छाछ में फुलाइये ! सुबह फूलने छाछ में डाल दीजिए और दूसरे दिन सुबह छाछ में से निकाल कर पानी से साफ़ करके छाया में एक कपडे पर डालकर सुखा लीजिए ! जब सूख जाए तो पुन: छाछ में डाल दीजिए और फिर निकाल कर सुखा लीजिए इस तरह छाछ में डालकर सुखाने को मही कि भावना देना कहते है ! इस प्रकार इस हरड को मही की छः भावना देकर सुखा लीजिए !

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

दांतों के लिए लाभकारी हल्दी पावडर !!

हल्दी स्वाद कि द्रष्टि से कसेली एंव कड़वी होने से दांत और मसूड़ों पर हितकारी असर करती है कसेला रस हमेशा संकोचन करने वाला होने से सूजन दूर करता है! कसेला रस जिसके संपर्क में आता है उसी अंग को मजबूत करता है! हल्दी में पाया जाने वाला कसेला रस दन्तकृमि को उत्पन होने नहीं देता और अगर हो गयी हो तो नष्ट कर देता है ! इसके प्रयोग से दाढ़ या दांत में छिद्र नहीं होते! कड़वा रस भी कसले रस कि तरह रक्तशुद्धी करने वाला है ! मसूड़ों का रक्त शुद्ध रहने से दांत मजबूत रहते है! हल्दी रस में तीखी भी है जो कफ का नाश करती है,तथा कृमि व् चिकनाई को दूर करती है !

पीलिया के उपचार का नुस्खा !!

पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार -
आक (मदार) के पोधे की सबसे ऊपर की छोटी जुड़वां कोंपल (दो पती वाली)लें (इन नए कोमल जुड़वां पती के बीच में कोई अन्य पता न हो)इन नए कोमल जुड़वां पतों को साफ़ कर ले फिर बारीक क़तर कर या मसलकर पेडे या मीठा मावा में भर लें और रोगी को खाली पेट खिलाएं एक बार देने पर ही दो तीन दिन में पीलिया रोग सदा के लिए ठीक हो जाता है फिर भी यदि कोई कसर रह जाए तो पन्द्रह दिन के बाद एक खुराक और दी जाया सकती है !!

साइनस का सिरदर्द

साइनस के सिर दर्द ठीक करने का आयुर्वेदिक नुस्खा -
तुलसी के पत्ते -११ ,काली मिर्च -११ ,मिश्री के टुकड़े ११ (स्वादानुसार)तथा २ ग्राम अदरक को एक गिलास पानी में उबाले और आधा शेष रहने पर छान कर प्रात:खाली पेट गर्म गर्म (जितना गर्म पी सके )पी लें लेकिन इसके साथ ध्यान यह रखना है कि कम से कम एक घंटे तक स्नान ना करें !!